राष्ट्रपति के मामले में संविधान के अनुसार निर्णय देंगे:सुप्रीम काेर्ट

    03-Sep-2025
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SC 
 
सुप्रीम काेर्ट ने मंगलवार काे कहा कि वह संविधान की व्याख्या सिर्फ राष्ट्रपति के मामले में करेगा, किसी राज्य या व्यक्ति से जुड़े अलग-अलग मामलाें में नहीं. काेर्ट ने यह टिप्पणी राज्य सरकार द्वारा भेजे बिलाें पर राज्यपालाें और राष्ट्रपति के साइन करने के लिए डेडलाइन लागू करने वाले मामले में की. सुनवाई के दाैरान साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सीनियएडवाेकेट अभिषेक मनु सिंघवी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना या कर्नाटक जैसे राज्याें का उदाहरण देंगे, ताे केंद्र काे भी जवाब दाखिल करना हाेगा. इस पर सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजाें की बेंच ने कहा-हम अलग-अलग राज्याें के मामलाें पर चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि केवल संविधान की धाराओं काे देखेंगे.
 
सुनवाई में सिंघवी ने कहा कि अगर विधानसभा किसी बिल काे वापस नहीं भेजना चाहती ताे वह अपने आप अस्वीकृत हाे सकता है. अगर राज्यपाल बिल काे विधानसभा काे लाैटाते ही नहीं हैं, ताे अनुच्छेद 200 की प्रक्रिया ही रुक जाएगी. दरअसल, मई में राष्ट्रपति द्राैपदी मुर्मू ने सुप्रीम काेर्ट से पूछा था कि क्या अदालत राज्यपालाें और राष्ट्रपति काे बिलाें पर फैसला करने के लिए समय-सीमा तय कर सकती है. सीजेआई ने सिंघवी से पूछा कि अगर राज्यपाल बिल काे राेक कर रखें और वापस विधानसभा काे न भेजें ताे क्या हाेगा? इस पर सिंघवी ने कहा कि ऐसी स्थिति में बिल आगे नहीं बढ़ पाता और पहले के फैसलाें के अनुसार वह फाॅल थ्रू मान लिया जाता है, जब तक कि अनुच्छेद 200 की पहली शर्त पूरी न हाे.