शिवाजीनगर, 29 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) राज्य के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति है. खासकर मराठवाड़ा क्षेत्र के लोगों को अयादा से अयादा मदद की जशरत है. इस समय वहां हर कोई काफी परेशान है. राज्य में अलग-अलग लोग इस मुसीबत से निजात दिलाने के लिए अपने-अपने तरीके से राहत कार्य कर रहे हैं. लोगों से अपील भी की जा रही है कि वह यथासंभव मदद करें. पुणेवासियों ने बीड़ जिले के विभिन्न गांवों, बस्तियों और बस्तियों में बाढ़ प्रभावित किसानों के आंसू पोंछने का बीड़ा उठाया है. पुणे के भोई प्रतिष्ठान से एक राहत दल इन भाइयों की मदद के लिए रवाना हो गया है. बीड़ के कुछ गांव गोदावरी और सिंदफना नदियों से घिर गए हैं. बाढ़ ने घरों, कृषि, पशुओं और शैक्षिक सामग्री को भारी नुकसान पहुंचाया है. भोई प्रतिष्ठान की ओर से बताया गया कि बाढ़ पीड़ितों को अस्थायी सहायता प्रदान करने के बजाय स्थायी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष परियोजना लागू की जाएगी. इन किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज (सोयाबीन, कपास, गेहूं, चना, अरहर आदि), उर्वरक, अन्य कृषि सामग्री और शैक्षणिक सामग्री प्रदान की जाएगी. महात्मा फुले कृषि विशवविद्यालय इसके लिए विशेष सहयोग प्रदान कर रहा है. इस विश्वविद्यालय के सह-अध्यक्ष और शासकीय कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. महानंद माने ने इस सेवा कार्य में भाग लिया है. इस परियोजना के समन्वयक, भोई प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रा. डॉ. मिलिंद भोई और डॉ. जनक चौरे (बीड) ने पुणेवासियों से अपने अन्नदाता बलिराजा के आंसू पोंछने में शामिल होने की अपील की है.
किसानों को तत्काल और पर्याप्त सहायता दी जाए पिछले 50 वर्षों में सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा बारिश के रूप में आई है. कई गांवों को भारी नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर भारत में भी स्थिति ऐसी ही है. कई घर पानी में डूबे हुए हैं. गांवों और शहरों को जोड़ने वाली सड़कें बंद हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कृषि को भारी नुकसान हुआ है. जो फसलें तैयार थी, वह भी बह गईं. कई गांवों में तो इस बाढ़ में खेतों की मिट्टी भी बह गई है. चावल, बाजरा, दालें, मूंग, चावल, उड़द, सरिजयां इन दिनों हाथ में थीं और बाजारों में बिकने के लिए तैयार थीं. इन्हीं उत्पादों को बेचकर किसान इस कमाई से दिवाली मनाते हैं. हालांकि, फसलों के बह जाने से उन किसानों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. किसान चिंतित हैं. ऐसी बाढ़ की स्थिति में किसानों को तत्काल सहायता मिलनी चाहिए. उस गांव का जो भी मुख्य अधिकारी हो, उसे तुरंत जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और मदद पहुंचानी चाहिए. इस समय किसानों को भाषणों से अयादा मदद की जशरत है. सभी को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि उनकी दिवाली अच्छी रहे.
- अभय संचेती, वरिष्ठ व्यापारी, मार्केटयार्ड
राहत कार्य को एक सामाजिक प्रतिबद्धता के रूप में करना चाहिए भारी बारिश के कारण मराठवाड़ा में जो आपात स्थिति पैदा हुई है, इससे हर वर्ग के लोग प्रभावित हुए हैं. कई घर पानी में डूब गए हैं. जशरी घरेलू सामान, कपड़े और अनाज भी बह गए हैं. सरकार उनकी मदद कर रही है. लेकिन, मुझे लगता है कि हमें भी मानवीय भाव से मदद करनी चाहिए. हमारे विजयलक्ष्मी ग्रुप की ओर से, हम लोगों से भी यही अपील कर रहे हैं. हमें इस राहत कार्य को एक सामाजिक प्रतिबद्धता के रूप में करना चाहिए. हमें यथासंभव मदद करनी चाहिए. वहां की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, हमें दपतावेजों और नियमों के चक्कर में पड़े बिना मदद करनी चाहिए. मुझे लगता है कि कागजी कार्रवाई की बजाय, सीधे खेत का निरीक्षण किया जाना चाहिए और मुआवजा दिया जाना चाहिए. अगले कुछ दिनों में दिवाली है. मुझे लगता है कि उन गरीबों का दिवाली त्यौहार अच्छे से मनाया जाना चाहिए. पहले दिवाली है और फिर शादी-ब्याह, की पृष्ठभूमि में वहां के लोगों को मदद की सख्त जशरत है. मेरा मानना है कि हमें ईेशर की कृपा से जो कुछ भी प्राप्त हुआ है उसके लिए आभारी होना चाहिए और बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए.
- नितिन अग्रवाल, अध्यक्ष, विजयलक्ष्मी ग्रुप
व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए हो रहा है; किसानों को अनाज और किराने का सामान भेज दिया है कोरोना काल में हमने समर्थ सोशल ग्रुप नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था. उस समय हम प्रतिदिन 2 हजार लोगों को भोजन के पैकेट उपलब्ध करा रहे थे. बाद में यह ग्रुप चलता रहा. इस ग्रुप के माध्यम से वेंकटेश चिरमुला, सूर्यकांत पाटिल, देवीदास घेवारे, कल्पेश पोरवाल, रमेश बंडडी, राहुल लंगर और अन्य साथियों ने पहल की और मोहोल तालुका के भोपाल और उन्दरगांव तथा माधा तालुका के दारफल गांव में मदद की. सीना नदी में आई बाढ़ ने वहां के लोगों की स्थिति बहुत कठिन बना दी है. कई लोगों के घर तबाह हो गए हैं. फसलें बह गई हैं. स्थिति ऐसी है कि अब शायद उन खेतों में फसलें नहीं उग पाएंगी. फिलहाल, हमने उन लोगों को अनाज और किराने का सामान भेज दिया है. लोगों के घरों में पानी भरने से हालात ऐसे हैं कि वे अपने घरों में नहीं रह सकते. जानवर खुले में हैं. ऐसे में लोगों को इस मदद की जशरत है, साथ ही उन्हें मनोवैज्ञानिक सहारा, चिकित्सीय और शैक्षिक मदद की जशरत है. यह एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे एक व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए किया जा सकता है.
- वैभव लोढ़ा, समन्वयक, समर्थ सोशल ग्रुप