भक्तिमय माहौल में ‌‘सूर्यदत्त‌’ परिवार के बाप्पा का विसर्जन

27 साल की परंपरा बरकरार, विद्यार्थियों ने ढोल-ताशों की गूंज और झांझ की ताल पर दीं प्रस्तुतिया

    05-Sep-2025
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surya
   
बावधन, 4 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

परंपरा को दर्शाती सजावट से सजा पंडाल, वहां विराजमान सर्वांगसुंदर बप्पा, कलात्मक रंगोलियां, मधुर भजन और आरती, श्रद्धा व आध्यात्मिक भाव से संपन्न पूजा.. ऐसे भक्तिमय वातावरण में सूर्यदत्त परिवार ने गणेशोत्सव मनाया. लगातार 27 वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाल कर गणराय को विदाई दी गई. ढोल-ताशों की गूंज, झांझ की ताल और लेजिम की लय पर विद्यार्थियों ने मनमोहक प्रस्तुति दी और सारा माहौल गूंजायमान हो गया. विदाई के क्षण में कई आंखें नम हो गईं, लेकिन भावनाओं के बीच एकही घोषणा थी, गणपति बाप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ..! सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन में गणेशोत्सव पूरे जोश और भक्ति भाव में मनाया गया.

 दैनिक आरती, अथर्वशीर्ष पाठ, सामूहिक भजन-कीर्तन ने परिसर को पवित्र बना दिया. सुबह की शांति से लेकर शाम की महाआरती तक का हर पल भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और आनंद देने वाला रहा. विद्यार्थियों, शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मचारियों और प्रबंधन के सभी सदस्यों ने उत्साह से सहभाग दर्ज किया. इस अवसर पर सूर्यदत्त की उपाध्यक्ष सुषमा चोरडिया, सहयोगी उपाध्यक्ष स्नेहल नवलखा और सीईओ अक्षित कुशल ने विद्यार्थियों को उत्साह, श्रद्धा और समाजोपयोगी उपक्रमों में सक्रिय रहने का संदेश दिया. विसर्जन शोभायात्रा में सहायक उपाध्यक्ष सिद्धांत चोरडिया, नयना गोडांबे, रोशनी जैन, स्वप्नाली कोगजे, शीतल फडके, केतकी बापट, डॉ. सीमी रेठरेकर, डॉ. मनीषा कुंभार, डॉ. श्रीकांत जगताप, डॉ. प्रतिक्षा वाबळे, डॉ. मोनिका सेहरावत समेत पूरा सूर्यदत्त परिवार जोश और श्रद्धा के साथ शामिल हुआ.

सूर्यदत्त परिवार ने गणेशोत्सव का सच्चा अर्थ जीया है. सूर्यदत्त के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, सूर्यदत्त परिवार ने गणेशोत्सव का सच्चा अर्थ जीया है. यह भक्ति, एकता और संस्कार की सीख देने वाला पर्व है. सूर्यदत्त में गणेशोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के लिए मूल्यों, संस्कारों और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत पाठ है.