अच्छे और सिंपल टैक्स के लिए कुछ और सुधारों की जशरत

एक्सपर्ट्स ने जीएसटी बदलाव का स्वागत करते हुए उम्मीदें जताईं : कहा - ‌‘तर्कसंगत दरें और रिटर्न को सरल बनाने की भी जशरत

    07-Sep-2025
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शिवाजीनगर, 5 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) 
केंद्र सरकार ने जीएसटी कम करने का फैसला किया है. कर कटौती से संबंधित एक चार्ट भी प्रकाशित किया गया है. अब हर जगह इसकी चर्चा हो रही है. लोगों ने इस कर कटौती के फ!सले का स्वागत किया है. हालांकि, सरकार से कुछ और उम्मीदें जताई जा रही हैं. खासकर, लोगों का कहना है कि जीएसटी कम करने के साथ-साथ अनुपालन और अन्य चीजों में सुधार की जशरत है.  
 
सुधार का दायरा शैक्षणिक संस्थानों तक बढ़ाएं
 केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी कर ढांचे में किया गया बदलाव स्वागत योग्य है. अगर सरकार इस सुधार का दायरा बढ़ाकर शैक्षणिक संस्थानों को भी इसमें शामिल करे, तो यह और भी सुखद होगा. खासकर, वेिशविद्यालयों से संबद्ध स्थायी रूप से गैर-सहायता प्राप्त (परमनंटली अनएडेड), स्व-वित्तपोषित (सेल्फ फायनेंस), संबद्ध स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों द्वारा की जानेवाली शिक्षा सामग्री की खरीद पर जीएसटी शून्य होना चाहिए. ऐसे शैक्षणिक संस्थान जो ट्रस्टों द्वारा संचालित हैं या केवल वेिशविद्यालयों द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम ही पढ़ाते हैं, वहां जीएसटी नहीं लगाना चाहिये. क्योंकि, ऐसे शैक्षणिक संस्थान केवल उतनी ही फीस ले सकते हैं जिसकी उन्हें फी रेग्युलेटरी एथॉरिटी से मंजूरी मिली है. वह फीस बेहद कम होती है. साथ ही 50 प्रतिशत से अधिक छात्रों को स्कॉलरशीप के तौर पर मिलनेवाले पैसे मिलने में भी आमतौर पर छह महीने से एक साल का समय लगता है. हमारी मांग है कि छात्रों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए शिक्षा संस्थानों को जिन वस्तुओं खरीद करनी होती है, उन पर जीएसटी घटाकर शून्य प्रतिशत कर दिया जाए. उम्मीद है कि सरकार अगली बैठक में इस मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी.
- डॉ. संजय बी. चोरडिया चेयरमैन, एजुकेशन एंड ट्रेनिंग कमेटी (एमएसीसीआयए)
 

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 यह संशोधन सही दिशा में उठाया गया कदम
 हालिया जीएसटी संशोधन एक स्वागत योग्य कदम है और अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में अधिक स्पष्टता और दक्षता लाने के सरकार के इरादे को दर्शाता है. इससे उपभोग को बढ़ावा मिलने और अर्थव्यवस्था को मदद मिलने की उम्मीद है. इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) पर स्पष्टीकरण और अनुपालन समय-सीमा को सुव्यवस्थित करना सकारात्मक उपाय हैं जो विवादों को कम करेंगे और व्यवसायों के लिए अनुपालन बोझ को कम करेंगे. डिजिटलीकरण और स्वचालित समाधान की दिशा में कदम भी एक प्रगतिशील कदम है जो पारदर्शिता को बढ़ाता है. हालांकि, कुछ अपेक्षाएं अभी भी पूरी नहीं हुई हैं. संशोधन ने जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा नहीं किया है, खासकर उन क्षेत्रों में जो उल्टे शुल्क ढांचे से जूझ रहे हैं. रिटर्न प्रारूपों का सरलीकरण, खासकर एमएसएमई के लिए, और एक मजबूत विवाद समाधान तंत्र का निर्माण भी छूटे हुए अवसर थे. यदि जीएसटी को वास्तव में मगुड एंड सिंपल टैक्स अच्छा और सरल होने के अपने वादे पर खरा उतरना है, तो दरों को युक्तिसंगत बनाने, रिटर्न को सरल बनाने और विवाद समाधान में और सुधार करने की तत्काल आवश्यकता है.
- मंगेश कटारिया, चार्टर्ड एकाऊंटेंट
 

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दूध और दुग्ध उत्पादों का बाजार प्रगतिशील बनेगा
दूध और दुग्ध उत्पाद हमारे दैनिक आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. केंद्र सरकार ने यूएचटी दूध, दूध आधारित पेय, पनीर, मक्खन, घी और चीज जैसे उत्पादों पर जीएसटी दरों में कटौती की है, यह निर्णय वास्तव में स्वागत योग्य है. इससे उपभोक्ताओं का मासिक खर्च कम होगा और अधिक लोगों को सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता वाले और पैकेज्ड दुग्ध उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे. पिछले कुछ वर्षों में ऐसे उत्पादों का उपयोग लगातार बढ़ा है और अब कर में कमी के चलते उनकी मांग और तेजी से बढ़ेगी. इसका सीधा लाभ दूध उत्पादक किसानों को होगा, क्योंकि हमारे देश में दूध उत्पादन खेती से जुड़ा हुआ सहायक व्यवसाय है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को भी बेहतरीन ब्रांडेड उत्पाद मिलेंगे. साथ ही, इस उद्योग में उपयोग होने वाले उपकरणों और मशीनरी पर जीएसटी में कमी से पूरी आपूर्ति व्यवस्था (सप्लाई चेन) और मजबूत होगी. भारत में पनीर का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है. अब पैक्ड पनीर पर जीएसटी शून्य कर दिए जाने से यह उपभोक्ताओं और कारोबारियों को और अधिक किफायती दाम पर उपलब्ध होगा. इसके अलावा, चीज, घी, मक्खन, जैम, सॉस और आइसक्रीम पर जीएसटी में कटौती से उपभोक्ताओं का रुझान ब्रांडेड उत्पादों की ओर और बढ़ेगा. इन सभी निर्णयों से देश का दूध और दुग्ध उत्पादों का बाजार और अधिक संगठित और प्रगतिशील बनने में मदद मिलेगी, ऐसा मेरा वेिशास है.
  - निखिल चितले, मैनेजिंग पार्टनर, चितले डेयरी  
 
 
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इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स को 5% में शामिल किया जाए
 यह अच्छी खबर है कि जीएसटी कुछ कम होनेवाला है. हालांकि, सभी चीजों पर कर कम नहीं किया गया है. किसी भी वस्तु पर 18% कर कम नहीं किया गया है. इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स पर कर 18% से घटाकर 5% किया जा सकता था. आज, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान आम आदमी के घरों में देखे जा सकते हैं. हालांकि, इस कटौती से इस क्षेत्र में आम आदमी को अयादा फायदा नहीं हुआ है. रोजाना इस्तेमाल होने वाली बाकी घरेलू वस्तुओं पर जीएसटी कम करने से आम आदमी को काफी फायदा होगा. सरकारी ख़जाने के कर संग्रह में अयादा फर्क नहीं पड़ेगा. दुकानदारों को बड़ा फर्क पड़ेगा. कर कम होने के दौरान भुगतान किए गए स्टॉक पर कर की दर घाटे में रहेगी. ख़ासकर थोक व्यापारियों को बड़ा नुकसान होगा. नई जीएसटी दरें 22 सितंबर से लागू होंगी. यानी तब तक व्यापार करते समय वस्तुओं की कमी हो जाएगी. होलसेल दुकानदार कम सामान खरीदेंगे. चूंकि दरें कम होंगी, इसलिए बाजार में फिलहाल सुस्ती रहेगी. व्यापार बहुत कम रहेगा. हालांकि, नवरात्रि, दशहरा, दिवाली के त्यौहार जल्द ही आने वाले हैं. इसलिए, अनुमान है कि 22 सितंबर के बाद व्यापार में वृद्धि होगी. जीएसटी कम होने से आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा, लेकिन इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ-साथ 18% जीएसटी देने वाले व्यापारी नाखुश हैं. इस कर को 5% में शामिल किया जाना चाहिए, यह सभी व्यापारियों की मांग है. सरकार को व्यापारियों की मांग माननी चाहिए.
- मीठालाल जैन, अध्यक्ष, पूना इलेक्ट्रॉनिक्स हायर परचेज एसोसिएशन
 
 
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