पुणे, 7 सितंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) खग्रास चंद्रग्रहण के कारण इस बार मूर्तियों का विसर्जन ग्रहण से पहले करने का निर्णय लिया गया था. इसी कारण विसर्जन शोभायात्रा को एक घंटे पहले शुरू किया गया. इसके बावजूद पुणे गणेशोत्सव की विसर्जन जुलूस इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ 32 घंटे तक चला. सम्मान के पांचों गणपतियों का विसर्जन समय पर पूरी हो गई थी, फिर भी इतनी लंबी अवधि यह दर्शाती है कि प्रशासन और राजनैतिक लोगों पर से वेिशास उठ गया है. पुलिस की ढीली व्यवस्था, डीजे का तेज शोर और ढोल पथकों की मनमानी ने इस बार का उत्सव प्रभावित किया. जबकि बैठक में तय हुआ था कि ग्रहण से पहले जुलूस पूरा किया जाएगा, मंडलों ने भी यही मांग रखी थी. लेकिन हकीकत में यह निर्णय धरा रह गया. योजना के अनुसार सुबह 9:30 बजे मुख्य जुलूस शुरू हुई. सम्मान के गणपतियों का जुलूस 8 घंटे 9 मिनट चली, जबकि पिछले वर्ष यह 8 घंटे 53 मिनट तक चली थी. यानी केवल 44 मिनट का ही फर्क पड़ा. बादलों से भरा मौसम होने के बावजूद बारिश नहीं हुई, जिससे भक्तों का उत्साह दोगुना हो गया. शंखनाद, ढोल- ताशों की थाप, डीजे की गूंज के बीच गणेश भक्तों ने बाप्पा को विदाई दी. परंपरानुसार महात्मा फुले मंडई में लोकमान्य तिलक और यशवंतराव चव्हाण की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद उपमुख्यमंत्री व पुणे के पालकमंत्री अजित पवार के सम्मान के गणपतियों का पूजन कर विसर्जन जुलूस आरंभ हुआ. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल, उच्च व तंत्रशिक्षण मंत्री चंद्रकांत पाटिल, मनपा आयुक्त नवल किशोर राम, पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार समेत कई मान्यवर उपस्थित थे.
समयावधि को लेकर अखिल मंडई मंडल ने पुलिस का विरोध किया
अखिल मंडई मंडल ने जाहिर किया था कि वे शाम 7 बजे बेलबाग चौक से निकलेंगे और पुलिस ने यही समय दिया था. लेकिन पुलिस की अव्यवस्था और बीच में घुसे अन्य मंडलों के कारण मंडई मंडल को रात 11:45 बजे चौक से प्रस्थान करना पड़ा. इससे नाराज होकर मंडल ने परंपरागत पुलिस प्रमुख के हाथों की जाने वाली आरती रद्द कर दी और सीधे लक्ष्मी रोड से रथ को रवाना किया.
1948 से 2025 तक जुलूस की अवधि
1948 6 घंटे 30 मिनट
1949 8 घंटे
1952 9 घंटे 15 मिनट
1953 9 घंटे 30 मिनट
1954 11 घंटे
1967 17 घंटे 24 मिनट
1978 21 घंटे 30 मिनट
1989 29 घंटे 25 मिनट
2005 33 घंटे 20 मिनट
2016-2019 28 घंटे 15 मिनट
2020-2021 कोरोना के कारण
मिरवणूक रद्द
2022 -31 घंटे
2024 -30 घंटे 15 मिनट
2025 -32 घंटे
जुलूस की प्रमुख विशेषताएं
सुबह 9:30 बजे जुलूस की शुरुआत
सम्मान के गणपति का जुलूस : 8 घंटे
9 मिनट
पुलिस बंदोबस्त : 8 हजार जवान
नदी किनारे पर कृत्रिम विसर्जन हौद :
38
विसर्जन केंद्र : 281
लोहे की टंकिया : 648
मूर्ति संकलन केंद्र : 241
निर्माल्य कलश : 328
शाडूमाती (क्ले) संकलन केंद्र : 46
सम्मान के गणपति का विसर्जन केवल कृत्रिम हौद में
डीजे व ढोल की आवाज डेसिबल सीमा से अधिक
ढोलवादकों की मनमानी और पुलिस की लचर कार्यप्रणाली उजागर
खग्रास चंद्रग्रहण का जुलूस के समय पर कोई असर नहीं