काराेबारियाें में परेशानियाें का कारण बनी जीएसटी में सुधार हुआ?

    08-Sep-2025
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आखिरकार काफी जद्दाेजहद के बाद केंद्र सरकार ने जीएसटी की दराें में महत्वपूर्ण कटाैती की घाेषणा कर ही दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने संसद के मानसून सत्र में जनता काे आश्वस्त किया था कि जीएसटी की दरें घटायी जायेंगी, जाे उनके लिए दिवाली का उपहार हाेगा. वह अपनी बात पर खरे उतरे और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनकी बात मानते हुए जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी की दर में भारी कटाैती की घाेषणा कर दी. यह आसान काम नहीं था और न ही पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथ में था, क्योंकि जीएसटी काउंसिल में सभी राज्याें के प्रतिनिधि हाेते हैं. उनमें से कई इस तरह की कटाैतियाें का विराेध कर रहे थे. उन्हें लग रहा था कि इससे उनके राजस्व पर बुरा असर पड़ेगा.
 
इसलिए उन्हाेंने इसका पुरजाेर विराेध किया, लेकिन भाजपा तथा एनडीए के मुख्यमंत्रियाें के समर्थन से यह संभव हाे गया.विपक्ष के वित्त मंत्री अब भी इस फैसले के खिलाफ प्रतिक्रिया व्य्नत कर रहे हैं, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने ताे कहा कि इससे 47,700 कराेड़ रुपये का ध्नका लगेगा. वैसे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीमा पर टै्नस हटाने का स्वागत किया और इसे अपनी पार्टी की नैतिक जीत बताया. दूसरी ओर कांग्रेस हमेशा की तरह हमलावर रही तथा उसने इस घाेषणा की टाइमिंग पर सवाल उठाये. उसकी तरफ से पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने कहा कि कांग्रेस 8 साल से टै्नस घटाने की मांग कर रही थी. उन्हाेंने पूछा कि ्नया जीएसटी की दराें में कटाैती सुस्त विकास काे लेकर की गई है? या फिर बढ़ते हुए घरेलू कर्ज काे लेकर? या घरेलू बचत में गिरावट के कारण?
 
जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने साफ कहा कि जीएसटी सुधार का ट्रंप के ट्रैरिफ से काेई लेना-देना नहीं है. उन्हाेंने यह भी कहा कि हम इस पर डेढ़ साल से काम कर रहे थे. इस पर चूंकि काफी चर्चा हाे चुकी है, इसलिए अब राजनीति की गुंजाइश नहीं है.जाहिर है, जीएसटी की दराें में कटाैती अब सच्चाई है.जीएसटी काउंसिल ने व्यापक सुधाराें के तहत 5 और 18 प्रतिशत की दाे-स्तरीय टै्नस संरचना काे मंजूरी दे दी. यह व्यवस्था आगामी 22 सितंबर से लागू हाेगी. परिषद के फैसलाें के अनुसार अब राेजमर्रा के सामान, खाने-पीने की वस्तुओं, काराें, ट्रकाें, सीमेंट जैसी चीजाें पर टै्नस या ताे खत्म कर दिया गया है या घटा दिया गया है. इससे ग्राहकाें खासकर मध्यवर्ग काे काफी फायदा हाेने वाला है.कम टै्नस देने से वे कहीं ज्यादा खरीदारी कर सकेंगे.
 
सीमेंट पर टै्नस घटने से रियल एस्टेट से्नटर में तेजी आयेगी.इससे सर्विस से्नटर काे भी सहारा मिलेगा, जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है. जीवनरक्षक दवाओं पर टै्नस हटाकर जीएसटी परिषद ने बड़ा कदम उठाया है.इसी तरह स्वास्थ्य बीमा पर 18 फीसदी के भारी-भरकम टै्नस काे शून्य पर ले जाने से जनता काे ताे फायदा हाेगा ही, बीमा क्षेत्र काे भी लाभ हाेगा. इससे इस क्षेत्र में राेजगार की संभावना भी बढ़ेगी क्योंकि भारत में अब भी 30 फीसदी लाेगाें के पास ही बीमा है. शेष लाेग किसी भी तरह के सुरक्षा कवच से वंचित हैं.ट्रांसपाेर्ट ऐसे क्षेत्र हैं, जाे बड़ी तादाद में राेजगार देते हैंऔर इन पर टै्नस घटाकर इन्हें प्राेत्साहित किया गया है.इससे पर्यटन और बढ़ेगा तथा सरकार की मिलने वाले टै्नस में भी वृद्धि हाेगी.
 
प्रीपेड तथा पाेस्टपेड माेबाइल सेवाओं पर टै्नस की दर घटने से कम आय वाले लाेगाें काे राहत मिलेगी, ताे इंटरनेट और डीटीएच की दरें घटने से युवा वर्ग काे राहत हाेगी. यानी समाज के हर वर्ग काे राहत देने की काेशिश की गयी है.विशेषज्ञाें का कहना है कि इस फैसले से मुद्रास्फीति की दर में 1.1 फीसदी की कमी आयेगी. जीएसटी की दराें में कटाैती के फैसले का स्वागत शेयर बाजार ने किया.निवेशक भी इस फैसले से खुश हैं. दरअसल बाजार में मांग की कमी दिख रही थी और यह देखते हुए, कि भारतीय अर्थव्यवस्था खपत पर आधारित है, यह कदम उत्साहवर्धक है. दरअसल इस समय अर्थव्यवस्था काे एक-एक बूस्टर की जरूरत थी, जाे उसे मिल गया है, इससे खरीदारी बढ़ेगी और उसका असर मैन्युफै्नचरिंग पर पड़ेगा, जाे अंतत: राेजगार बढ़ायेगा.
 
इससे अर्थव्यवस्था के प्रति निवेशकाें का विश्वास बढ़ेगा और जीडीपी विकास की दर ऊंची रहेगी, जाे इस समय कुलांचे भर रही है, लेकिन जिस पर ट्रंप के टैरिफ का खतरा मंडरा रहा है. आयकर में भारी छूट के बाद जीएसटी में बड़ी राहत न केवल महंगाई काे नियंत्रित करेगी, बल्कि मध्यवर्ग की खपत की क्षमता काे बढ़ावा देगी. लाेकतंत्र में टै्नस वसूली ही सब कुछ नहीं है, टै्नस में सुधार करना और उसे जनता के मनमाफिक बनाना भी जरूरी है. जीएसटी काउंसिल ने यह बड़ा कदम उठाकर आर्थिक सुधाराें के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी है.पिछले कुछ समय से जीएसटी में सुधार की बहुत मांग की जा रही थी और पक्ष तथा विपक्ष के सांसद भी मुखर हाे रहे थे. दरअसल कुछ वस्तुओं पर टै्नस की दराें में विसंगति थी, ताे कुछ में अधिकता थी. लेकिन अब नयी घाेषणा के बाद सभी तरह की विसंगतियां खत्म हाे गयी हैं. जीएसटी के जरिये कर संग्रह का जाे लक्ष्य रखा गया था, वह काफी हद तक पूरा हाे गया है. -मधुरेंद्र सिंहा