मीडिया ट्रायल के खिलाफ काेई ऐक्शन क्याें नहीं?

    21-Oct-2020
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सुशांत सिंह राजपूत केस में बाॅम्बे हाईकाेर्ट ने I&B मंत्रालय से पूछा  
 
बाॅम्बे हाईकाेर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MI&B) काे इसकी जानकारी देने काे कहा है कि, उसने बाॅलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की माैत के मामले में मीडिया ट्रायल से संबंधित शिकायताें पर काेई कार्रवाई क्याें नहीं शुरू की है? मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की पीठ मीडिया ट्रायल पर राेक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें एनजीओ, कई व्यक्तियाें और पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारियाें ने दायर किया है. सुनवाई में एनबीए और एनबीएसए का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने बताया कि, चैनलाें के लिए स्व- नियामक तंत्र लगन से काम कर रहा है. दाेनाें संस्थाएं काेर्ट में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आराेपाें का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि, इलेक्ट्राॅनिक मीडिया मामले में तब मीडिया ट्रायल कर रही है, जब पुलिस जांच जारी है और इस दाैरान पुलिस काे काेसने, जांच की अहम जानकारियाें काे बाहर लाने और दर्शकाें की राय काे प्रभावित करने का काम कर रही है.
 
याचिकाओं में आराेप लगाया गया कि, दाेनाें संस्थाएं चैनलाें काे मीडिया ट्रायल करने से राेकने के लिए अहम कदम नहीं उठा रहे हैं. हालांकि, दातार ने आराेपाें का सिरे से खारिज करते हुए कहा कि, कई बार कड़ी कार्रवाई की गई है. यहां तक कि तीन दिनाें से लेकर तीन महीने तक चैनलाें का प्रसारण राेका गया है. उन्हाेंने कहा कि, हालांकि, दाेनाें संस्थाओं के पास काेई भी वैधानिक ताकत नहीं है.
 
दातार ने कहा, अन्य सभी चैनलाें ने माी मांगी है और जुर्माना अदा किया है, वहीं रिपब्लिक टीवी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. वकील नीला गाेखले ने कहा, रिपब्लिक टीवी इसके बाद एनबीए से अलग हाे गया और उसने अपना खुद का संघ न्यूज ब्राॅडकास्टर्स फेडरेशन बनाया. एनबीएसए ने हाईकाेर्ट के पिछले फैसलाें के आधार पर समाचार प्रसारणकर्ताओं के लिए स्व- नियमन की प्रणाली का समर्थन किया है.