महाराष्ट्र में है किताबाें वाला गांव भिलार, घर-घर में लाइब्रेरी, फ्री पढ़ें किताबें, पुस्तक प्रेमियाें के लिए लाॅज सुविधा भी

    19-Nov-2020
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प्राकृतिक साैंदर्य से भरे इस गांव में राेज 80 पुस्तक प्रेमी आते हैं
 
पुणे - लाॅकडाउन से आप ऊब चुके हैं और पर्यटन पर जाने की साेच रहे हें, ताे पुणे से 100 किमी दूर सतारा जिले का भिलार गांव बेहतर विकल्प हाे सकता है. इसे किताबाें का गांव कहा जाता है. महाराष्ट्र सरकार और मराठी विकास संस्थान की ओर से यहां गांव के 35 घराें में लाइब्रेरी सेवा शुरू की गई है. यहां घराें में या फिर लाॅन में झूलते हुए भी आप किताबें पढ़ने का आनंद ले सकते हैं.
 
पाठकाें के लिए यह सेवा पूरी तरह नि:शुल्क है, बशर्ते आप काेराेना वायरस से बचने के सभी एहतियात बरतें. यहां विभिन्न विषय से संबंधित करीब 50 हजार किताबें मुहैया कराई गई हैं. प्राकृतिक साैंदर्य से भरे इस गांव में राेज 80 लाेग आ रहे हैं, जबकि छुट्टियाें में यह संख्या बढ़कर 150 तक पहुंच जाती है. गांव में 22 घराें ने न्यूनतम शुल्क के साथ बाहर से आने वाले पर्यटकाें के लिए लाॅजिंग की सुविधा भी देनी शुरू कर दी है. अगर आप चाय-नाश्ते के साथ पुस्तकाें काे पढ़ना चाहते हैं, ताे यह सुविधा भी यहां माैजूद है. ऑनलाइन पुस्तकाें की भी सुविधा यहां दी जा रही है. भिलार गांव महाबलेश्वर हिल स्टेशन के पास सुंदर पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है. इस गांव के आसपास स्ट्राॅबेरी की खेती की जाती है. साल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसकी शुरुआत की थी. अनलाॅक में अब साेशल डिस्टेंसिंग, मास्क व काेराेना से बचाव के तमाम नियमाें का पालन करने वालाें काे गांव में आने की अनुमति दी गई है. यहां लाेगाें ने घराें में आराम कुर्सी, झूले आदि भी लगवा लिए हैं, ताकि पुस्तक प्रेमी इसका भरपूर आनंद ले सकें. राज्य मराठी विकास संस्थान के डायरे्नटर संजय पाटील ने बताया कि काेराेना संक्रमण बढ़ने के बाद यहां लाइब्रेरी सेवा बंद कर दी गई थी, लेकिन अब इसे फिर शुरू कर दिया गया है ताकि पुस्तक प्रेमी पर्यटन का भी आनंद ले सकें.