क्या काेराेना-वै्नसीन पर भी पहला कब्जा अमीराें का हाेगा ?

29 Nov 2020 12:43:57
 
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प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की संपत्ति कितनी है? यह जानने की उत्सुकता किसे नहीं हाेगी... ताे उनकी संपत्ति 2.85 कराेड़ रुपए की है. उन्हें पिछले साल के मुकाबले वेतन व फ्निस्ड डिपाजिट के ब्याज से जाे कमाई हुई है, वह 36 लाख रुपए की है. माेदी ने 21 लाख रुपए दान भी किए हैं. गांधीनगर (गुजरात) में SBI की शाखा में 1,60,28,939 रुपए की एफडी है. उन्हाेंने नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट, इंफ्रास्ट्र्नचर बाँड्स मेें इन्वेस्टमेंट किया है. करीब 1.51 लाख का बीमा प्रीमियम वे भरते हैं. पता नहीं ‘फकीर’ माेदी काे इन्वेस्टमेंट की क्या जरूरत आ पड़ी. जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे ताे गांधीनगर में 1.30 लाख रुपए में जमीन खरीदी थी. उस पर घर बनवाया...उसकी कीमत अब 1.1 कराेड़ रुपए है. 1.50 लाख रुपए मूल्य की 4 साेने की अंगूठियां हैं. उनके मित्र केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ताे शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करते हैं. उनके पास 32.3 कराेड़ रुपए की संपत्ति थी, जाे जून 2020 में घाटे के कारण 28.63 कराेड़ की रह गई. लेकिन उन्हें अपने पारिवारिक विरासत से 12.10 कराेड़ रुपए की मिली संपत्ति इसमें शामिल है. खुद की मात्र 1.4 कराेड़ रुपए की प्रापर्टी है. हां, पत्नी के नाम संपत्ति 8.53 कराेड़ रुपए की है.
 
अब राहुल गांधी की संपत्ति देखें. सन् 2004 में उनकी संपत्ति 55,83,123 रुपए की थी, जाे अप्रैल 2019 तक 15.88 कराेड़ की हाे गई यानी 2745% की वृद्धि... कैसे? वे ही जानें. उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधीवाड्रा की वार्षिक आय 33 कराेड़ रुपए है. 5 ल्नजरी कारें हैं, 85 कराेड़ के 3 घर हैं. बताया गया है कि उनकी कुल संपत्ति 450 कराेड़ रुपए की है? उनके पति राबर्ट वाड्रा के पास इंडिया अगेस्ट करप्शन के मुताबिक 500 कराेड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है. डीएलएफ ने वाड्रा काे 65 कराेड़ का ब्याज मु्नत ऋण दिया था. उसने 5 कंपनियां बनाईं. जिनकी 50 लाख शेयर पूंजी थी, उसी से 300 कराेड़ रुपए की संपत्ति अर्जित की, जाे अब 500 कराेड़ रुपए की है. जमीन हाे या शेयर...जाे भी इन्वेस्टमेंट किया यह ‘जादू’ से कराेड़ाें में बदल गया. कैसे? नेहरू परिवार के चमत्कार से, जहां तक साेनिया गांधी का सवाल है. ब्रिटेन की महारानी, ओमान के सुल्तान व सीरिया के राष्ट्रपति से ज्यादा अमीर हैं. दुनिया के 20 अमीर नेताओं में शामिल हैं, 200 कराेड़ डाॅलर की संपत्ति? मगर इसकी काेई पुष्टि नहीं है. यदि माेदीसरकार सच बताए ताे ही पता चलेगा? सन् 2014 के लाेकसभा चुनाव के समय इससे संबंधित लेखाें काे साेशल मीडिया में वायरल किया गया. साेनियाजी की घाेषित संपत्ति 11.82 कराेड़ रुपए बताई गई है, सन् 2014 में यह संपत्ति 9.28 कराेड़ रुपए थी. उन्हाेंने अपने ही बेटे राहुल काे 5 लाख का कर्ज दिया.. इटली की कराेड़ की पारिवारिक प्राॅपर्टी में वे हिस्सेदार हैं. यह सब क्यों चर्चा में? क्योंकि एक चर्चा पूरे देश में है कि अमीराें काे काेराेना वै्नसीन पहले मिल जाएगी? वैसे कई अरबपतियाें-कराेड़पतियाें व अमीर देशाें द्वारा पहले ही वै्नसीन की बुकिंग करा लेने की चर्चाएं-खबरें पूरी दुनिया में जारी है. ‘ऑ्नसफैम’ की रिपाेर्ट के अनुसार भारत में 10% अमीराें की संपत्ति देश की कुल संपत्ति की 77% है. इनमें से भी 1% सर्वाधिक अमीराें की प्रापर्टी 51.53% है. जबकि 60% आबादी के पास सिर्फ 4.8% संपत्ति है. सन् 2004 से 13.7 कराेड़ लाेग कर्जदार हैं. जाे कर्ज चुका नहीं पाएं हैं. यह सब आंकड़े सिर्फ अमीरीगरीबी का फर्क नहीं ... बल्कि यह संदेह पैदा करते हैं कि कहीं काेराेना की वै्नसीन पर पहले इन अमीराें का कब्जा ताे नहीं हाे जाएगा? जाे लाेग देश की हर 100 रुपए की कमाई से 77 रुपए पर कब्जा कर लेते हैं वे ताे इतने ताकतवर है कि सत्ता, देव, स्वर्ग, समाज, शिक्षा, राेटी, दूध...आदमी तक काे खरीद लेते हैं. फिर वे एक काेराेना वै्नसीन काे भी क्या खरीद नहीं सकेंगे? आशंका यह पैदा हाे गई है कि क्या 90% शेष सामान्य जनता 60% अत्यंत कम आय वाली गरीब आबादी व कराेड़ाें कर्जदार यह वै्नसीन बिना भेदभाव ताे हासिल कर सकेंगे?
 
एक हाॅलीवुड फिल्म आई थी. ‘2012’ उनमें दावा था कि नया कैलेंडर के अनुसार दुनिया 2012 में खत्म हाे जाएगी. इस के कारण एक विशाल जहाज बनाया जाता है. इसमें अमेरिका सहित वेस्टर्न वर्ल्ड के गिने-चुने नेता-अमीराें के लिए जगह हाेती है.. वहां तक कि एक रूसी के लिए भी जगह नहीं हाेती.. क्यों? रूस अमेरिका का प्रतिद्वंदीं.. दुश्मन जाे है. एक भारतीय का कांसेप्ट इस जहाज काे बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उसके व उसके परिवार के लिए भी काेई जगह नहीं मिलती.. शेष सारी दुनिया नष्ट हाे जाती है. सब मर जाते हैं. वह भारत के उस कांसेप्ट जिसमें प्रलय के दाैरान मनु हाेते हैं. एक बड़ी सी नाव पर सभी तरह के एक-एक प्राणी रख लेते हैं. फिर प्रलय के अंत में सृष्टि फिर से प्रारंभ हाेती है? कहने का अर्थ यह है कि काेराेना के द्वारा जाे प्रलय हाे रहा है. उससे पहले बचने का अधिकार उन्हें मिलेगा जाे खास लाेग वीआईपी हाेंगे.. जाे कराेड़पति-अरबपति हाेंगे? अरे साहब हम सामान्य लाेग जाे काेराेना से प्रलय तक सिर्फ मर-मर के जीने के लिए पैदा हाेते हैं, वे ताे अपनी इच्छा से वै्नसीन नहीं पा सकते न. और जाे गरीब हाेंगे.. जाे अपनी राेटी.. अपने कपड़े तक नहीं कमा पाते.. उनके लिए? शायद उनकाे वै्नसीन या ताे सबसे अंत में ‘दया की वै्नसीन’ मिलेगी? या न भी मिले? वैसे भी एक नहीं दाे डाेज चाहिए. एक से काम नहीं चलेगा? जैसे राेटी के साथ सब्जी भी चाहिए. किसी भूखे काे राेटी के साथ सब्जी भी मिल जाए ताे ‘ऐश’ है न. अमीराें देवताओं काे भी ईर्ष्या हाे जाएगी.. अरे-गरीब भुखमरे काे राेटी ताे मिली ही सब्जी भी मिल गई? ऐसा कैसे हाे गया.. क्या ईश्वर गरीब के पक्ष में चला गया? ऐसे में गरीब अमीराें- नेताओं-दलालाें का गुलाम, सेवक कैसे बन सकता है? यही कारण ताे है कि पूंजीवाद ने समाजवाद काे हमेशा से गाड़ने के लगातार प्राेग्राम बनाए हैं. हमारे तमाम नेता कराेड़पति हैं. अमीर हैं और अमीर ही हमारे नेता हाे सकते हैं? कितने ही अच्छे सज्जन लाेग.. ईमानदार लाेग चुनाव नहीं लड़ते क्यों? पैसा नहीं है, प्रचार क्या डिपाॅजिट तक भरने? हमारे प्रधानमंत्री पुणे आए... सीरम इंस्टीट्यूट में पधारे. वहां उन्हाेंने वै्नसीन बनाने, भंडारण, वितरण के पूरे सिस्टम की समीक्षा की. निश्चय ही वै्नसीन पर पहला अधिकार स्वास्थ्य कर्मियाें... डाॅ्नटर... नर्सेस का है. उनके बाद आप देश की रक्षा करने वाले वीर जवानाें काे हक दें... फिर क्या नेता व अमीराें काे? उस आदमी का नंबर कब लगेगा जाे वै्नसीन की कीमत नहीं चुका सकता? देश हर वायदा... हर घाेषणा की हकीकत जानता है. इसीलिए यह सवाल उठाया जा रहा है.
 
- आर.के.श्री. मानवेंद्र 
 
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