स्त्री काे प्रेम की आजादी देने पर ही वेश्यावृत्ति से मुक्ति संभव !

30 Nov 2020 11:49:26

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महाराष्ट्र सरकार ने एक अत्यंत मानवीय निर्णय लिया है. यह निर्णय उन हजाराें सेक्स वर्कर्स या देह व्यापार करने वाली महिलाओं के लिए हैं, जिन्हें हम वेश्या’ कहकर पुकारते हैं. वास्तव में किसी महिला काे वेश्या कहने से पहले यह समझना... जानना.. साेचना जरूरी है कि उसे वेश्या बनाता काैन है? हमारे सभी शास्त्र पुरुषाें द्वारा ही लिखे गए हैं, यही कारण है कि स्त्री काे लेकर शास्त्राें ने वर्गीकरण.. क्लासिफिकेशन कर दिया है. जैसे चरित्र काे लेकर : एक : जिसका एक ही पति है. वह पतिव्रता.. दाे : दाे पति या पुरुषाें से संबंध वाली दुश्चरित्रा! तीन : तीन पति या पुरुषाें वाली वेश्या और चार : उससे ज्यादा या 5 पतियाें- पुरुषाें वाली पुंश्चली. इसी कारण द्राैपदी काे पुंश्चली कहा गया. फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में एक पात्र सवाल उठाता है कि ‘ये पूछ कि गंगा काे वेश्या बनाया किसने? यह समाज चूंकि पुरुष प्रधान समाज है. इसलिए यहां स्त्री वेश्या है. यह एक बड़ा सच है. आदिवासी समाज में वेश्यावृत्ति नहीं हाेती. क्योंकि वह मातृप्रधान समाज है. ऐसे कई आदिवासी समुदाय हैं जहां समाज की सबसे वृद्ध या अनुभवी स्त्री ‘प्रमुख’ हाेती है. उसी का निर्णय अंतिम माना जाता है.
 
महाराष्ट्र-सरकार के इस फैसले के अनुसार मुंबई की 5600 रजिस्टर्ड वेश्याओं काे 5000 रुपए हर महीने दिए जाएंगे.. उनके राशन कार्ड भी बनेंगे. उन्हें 5 किलाे राशन भी दिया जाएगा. जिनके बच्चे हैं और वे स्कूल जा रहे हैं. उन्हें 2500 रुपए अतिर्नित मिलेंगे. यह ताे हुई मुंबई की बात. इसका अनुकरण अन्य राज्याें व केंद्र सरकार काे भी करना चाहिए. चूंकि सेक्स वर्कर काेई खुशी से नहीं बनती.. उसका सबसे बड़ा कारण गरीबी है. दलाल शादी या नाैकरी या बाॅलीवुड में काम दिलाने का लालच देकर मासूम लड़कियाें काे फंसाकर लाते हैं और मुंबई पुणे जैसे महागनराें के रेड लाइट एरिया में बेच देते हैं. कुछ लड़कियां पेट के लिए अपना तन बेचने स्वेच्छा से मजबूर हाेकर आती हैं. हमारे देश में 8.60 लाख सेक्स वर्कर हैं, जिनमें 6.35 लाख रजिस्टर्ड हैं. बताया गया है कि सर्वाधिक 1.56 लाख सेक्स वर्कर आंध्र प्रदेश में हैं. मुंबई में 61 हजार सेक्स वर्कर हैं. वास्तव में ये सब आंकड़े सिर्फ अनुमानित हैं. मुंबई में ही करीब तीन लाख सेक्सवर्कर हाेने की आशंका है. वैसे भी हर साल हजाराें कम उम्र की लड़कियाें का अपहरण हाेता है. जिनमें से ज्यादातर रेड लाइट एरिया पहुंचा दी जाती हैं. यदि संवेदनशीलता से सर्वेक्षण हाे ताे इस लाॅकडाउन में ऐसी हजाराें महिलाएं मिल सकती हैं. जिन्हाेंने अपने व अपनाें के लिए इस देह व्यवसाय.. के बाजार से समझाैता कर लिया हाेगा? एक और भयानक सच यह है कि 13 वर्ष से 18 वर्ष की उम्र तक ऐसी लड़कियाें का काैमार्य भंग कर दिया जाता है. जबकि यह एक संज्ञेय अपराध है. भारत, के अलावा ब्रिटेन, नाॅर्वे व स्वीडन आदि देशाें में वेश्यावृत्ति अपराध है. लेकिन यह भी वास्तविकता है कि यह दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा व्यवसाय है. इसके कारण दुनियाभर में 5 कराेड़ से ज्यादा सेक्स वर्कर एड्स जैसी बीमारियाें से ग्रस्त हैं. उनके इलाज का भी ठीक से प्रबंध नहीं है.
 
हमारे देश.. खासकर महाराष्ट्र में देवदासी नामक प्रथा आज भी जीवित है. यह प्रथा मानव सभ्यता व संस्कृति का एक ऐसा घृणित पहलू है जिसमें स्त्री पुरुषाें के लिए सिर्फ... भाेग की वस्तु हाेती है. पहले ऐसा ही पाप नगरवधू के रूप में हाेता था. ये देवदासियां कहने काे ताे देवता की दासी हाेती हैं, मगर गांव या समाज के अमीर-ताकतवर बाहुबलियाें के लिए वह भाेगने के लिए ही हाेती हैं. आश्चर्य यह कि यह प्रथा ‘मान्य’ भी समझी जाती है.
 
दिल्ली हाईकाेर्ट ने हाल ही में एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला दिया है, उसके न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ घर छाेड़कर अपने प्रेमी के साथ रहने वाली 20 वर्षीया यानी बालिग युवती काे लेकर दिए गए आदेश में स्पष्ट किया है कि ‘वयस्क या बालिग... एडल्ट महिला अपनी मर्जी से किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है, चाहे वह समलिंगी हाे या विपरीत लिंगी.’ दाेनाें न्यायाधीशाें ने युवती व उसके पति काे सुरक्षा देने और माता-पिता काे समझाने का आदेश पुलिस काे दिया.
 
ऐसे कई फैसले आते रहे हैं जाे समाज की सदियाें पुरानी साेच, रूढ़ियाें- परंपराओं काे ताेड़ते हैं, जैसे विवाह बाह्य संबंध. देश भर में इस संबंध में चर्चा- प्रतिक्रियाएं हाेती रही हैं, ऐसा बताया गया कि न्यायालय ‘व्याभिचार’ काे कानूनी बना रहा है, लेकिन न्यायालय ने जाे किया वह एक बहुत बड़ी क्रांति है, उसने सेक्स काे पितृ या पुरुष प्रधान समाज व सत्ता की मान्यताओं से अलग किया. तमाम सामाजिक व्यवस्थाएं स्त्री काे याैन-सुरक्षा देने के बहाने उन्हें अपने धर्म-संस्कृति-समाज-स्वर्ग-पुण्य आदि के नाम पर ‘कैद’ रखना चाहती हैं, इन सबका मूल यही है कि ‘स्त्री काे सेक्स का अधिकार’ न दिया जाए... जबकि यह मनुष्य हाेने के नाते बुनियादी अधिकार है, यह अधिकार र्सिफ पुरुषाें काे मिला है कि वह ‘सेक्स पार्टनर’ चुन सके. हमारे देश में ‘पतिव्रता धर्म’ काे बहुत महत्व दिया जाता है, लेकिन पांच पतियाें वाली कुंती व द्राैपदी काे भी पतिव्रता कहा जाता है, वास्तव में यह र्सिफ इसलिए है, क्याेंकि ये युद्धाें में विजेता पांडवाें की मां व पत्नी थीं, यदि इन्हें पतिव्रता न कहा जाता ताे पांडवाें की कीर्ति धूमिल हाेती यानी स्त्री का पतिव्रता हाेना भी पुरुष की मान्यता पर निर्भर रहा है. सेक्स और प्रेम काे इतना घालमेल करके जाेड़ा गया है कि पूरा समाज सेक्स के साथ प्रेम के अधिकार के भी विराेध में है.
 
ऑनर किलिंग हाे या लव जिहाद...स्त्री के प्रेम व सेक्स के हक काे प्रभावित करने की ही चेष्टा है. इन्हें लेकर समाज में जाे विकृत मानसिकता है, उसी के कारण वेश्यावृत्ति भी है. यह मान लिया गया है कि स्त्री काे प्रेम या सेक्स की स्वतंत्रता देने पर वे दुश्चरित्रा, कुलटा या व्याभिचारिणी बन सकती है. क्या ऐसा जरूरी है? हम पुरुष दाे बातें भूल जाते हैं, एक : स्त्री हमारी मां है, और हम उसके गर्भ से इसीलिए पैदा हाेते हैं, कि उससे किसी पुरुष ने स्त्री के रूप में प्रेम किया. दाे : स्त्री हमारी बेटी है, जाे बाद में..साथ में किसी की मां इसीलिए बन पाती हैं, कि उससे किसी पुरुष ने प्रेम किया...दाेनाें मामलाें में सेक्स काॅमन है. हमारे काेर्ट... कानून स्त्री काे प्रेम व सेक्स की स्वतंत्रता देना चाहते हैं, जबकि समाज धर्म के नाम पर उसके खिलाफ खड़ा है. समाज के इसी रवैए के कारण दुनियाभर में वेश्यालय हैं. हम यदि स्त्री काे प्रेम की स्वतंत्रता देंगे ताे ही इस वेश्यावृत्ति से मनुष्य मुक्त हाे सकता है.
 
- आर.के.श्री. मानवेंद्र 
 
 
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