डीआरडीओ की सातवें जाेन में फायर करने वाली ताेप पर छाया संकट
अगस्त 2020 में भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य काे ‘मेक इन इंडिया’ से जाेड़ते हुए नई जान डाल दी थी. नाै अगस्त काे भारत सरकार ने प्रेस सूचना ब्यूराे के माध्यम से 101 रक्षा उत्पादाें काे विदेश से न आयात करने का निर्णय ले लिया था. इसमें 152 एमएम और 52 कैलिबर की ताेप भी शामिल थीं. यह निर्णय 2020 से ही प्रभावी बताया गया, लेकिन तीन महीने के भीतर ही पीएम नरेंद्र माेदी काे अपने इस निर्णय में संशाेधन करना पड़ा.
अब रक्षा मंत्रालय ने इस निर्णय में कुछ रक्षा उत्पादाें के आयात के लिए एक साल की छूट दे दी है. इसका सबसे बड़ा असर डीआरडीओ के वैज्ञानिकाें द्वारा विकसित की गई एटीएजी (एडवांस टाेड आर्टिलरीगन) पर पड़ने वाला है. एटीएजी 152 एमएम और 52 कैलिबर की सातवें जाेन में ायर करने वाली ताेप है. इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है और यह 48 किमी तक की दूरी तक मार करती है. डीआरडीओ की इस ताेप काे टाटा डिेंस और रक्षा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी भारत फोर्ज (कल्याणी ग्रुप) ने विकसित किया है. डीआरडीओ का दावा है कि, अभी तक दुनिया में माैजूद ताेप केवल छठे जाेन तक फायर करती हैं. उनकी रेंज एटीएजी से काी कम है.
इस ताेप का भारतीय सेना इस समय ट्रायल कर रही है. एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि, यूजर ट्रायल के दाैरान खराब एम्यूनिशन के कारण एक ताेप का बैरल फट गया था, इसलिए इसे बीच में राेकना पड़ा. लेकिन अब जल्द ही िफर ट्रायल शुरू हाेने वाला है. डीआरडीओ के वैज्ञानिक बताते हैं कि, वह इस तरह से ताेप के आयात काे एक साल तक की छूट देने के पक्ष में नहीं हैं. उन्हाेंने अपनी राय से रक्षा मंत्रालय काे अवगत करा दिया है. एक वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि, एटीएजी के निर्माण में देश की 145 छाेटी-बड़ी रक्षा इकाइयां शामिल हैं.
इस्राइल के दबाव में सरकार ने टाला एक साल प्रतिबंध
2019 में इलबिट सिस्टम से 400 ताेप लेने की प्रक्रिया अंतिम चरण में थी. प्राइस नेगाेशिएशन कमेटी ने भी अपना काम करीब-करीब बंद कर लिया था. इस साैदे के तहत 400 गन इलबिट सिस्टम से ली जानी थीं और 1180 ताेप काे भारत में ही तैयार हाेना था. अब ऐसा माना जा रहा है कि, इलबिट सिस्टम से इस साैदे काे अंतिम रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने ताेप की खरीद पर अगस्त 2020 में लगे प्रतिबंध काे एक साल के लिए आगे बढ़ा दिया है.