वैज्ञानिकों ने मंगल-चंद्रमा जैसी मिट्टी और वातावरण तैयार कर सब्जियां उगाईं
23-Mar-2020
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नीदरलैंड की वगेनिंगेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता बोले- दोनों ग्रहों पर भविष्य में फसल उगाना संभव

नासा के वैज्ञानिकों नेमंगल और चंद्रमा जैसा वातावरण और मिट्टी तैयार कर उसमें फसलें उगाने में सफलता पाई है| इस प्रयोग के बाद वैज्ञानिकों ने १० अलग-अलग किस्मों की फसलों की खेती की, जिसमें बगीचे के पौधे, टमाटर, मुली, राई, गाजर, पालक और मटर आदि शामिल हैं| नासा के सहयोग से नीदरलैंड की वगेनिंगेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस कार्य को अंजाम दिया है| उन्होंने बताया कि मंगल और चंद्रमा की मिट्टी पर उगाई गई फसल से बीज भी प्राप्त कर लिए गए हैं, ताकि फिर से नई फसल पैदा की जा सके| नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि भविष्य में मंगल और चंद्रमा पर मानव बस्तियां बसाई जाती हैं, तो उनके लिए वहां खाद्य पदार्थ उगाए जा सकेंगे| पृथ्वी की तरह ही फसलों के बीजों से दोबारा फसले उगाई जा सकेंगी| यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता वीगर वेमqलक ने बताया कि मजब हमने इस मिट्टी में उगी फसल में टमाटर लाल होते देखे, तो उत्साह से भर गए| इस शोध के जरिए हमने खेती के उस शिखर को पा लिया, जहां से हम अब भविष्य में दूसरे ग्रहों पर भी फसल उगाने में कामयाब होंगे| मशोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह और चंद्रमा की सतह के ऊपरी आवरण से ली गई मिट्टी में सामान्य मिट्टी मिलाकर कृत्रिम रूप से उस ग्रह का वातावरण विकसित किया था| बोई गई दस फसलों में नौ अच्छी तरह से विकसित हुईं| पालक की फसल नेमन मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया| यह अध्ययन ओपन एग्रीकल्चर जर्नल में प्रकाशित हुआ है| वैज्ञानिकों ने बताया कि इन फसलों को खाया भी जा सकता है| शोधकर्ताओं ने बताया कि मूली, बगीचे के पौधे और राई से पैदा हुए बीज को सफलतापूर्वक अंकुरित कर देख लिया गया है| ये बीज दूसरी फसल तैयार करने के लिए पूरी तरह से उपयुक्त हैं|

फसलों के वातावरण को जानने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की राय लीशोधकर्ताओं ने परीक्षण के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की राय भी ली थी| दोनों ग्रहों पर वहां के वातावरण के मद्देनजर भारत के अध्ययन के बाद इन ग्रहों की मिट्टी तैयार की गई| बीज पैदा करने और फसल उगाने के लिए दोनों ग्रहों के मुताबिक ही तापमान निर्धारित किया गया था| हालांकि, अभी इन फसलों में मौजूद विटामिन, मिनरल्स के बारे में पता लगाया जाना बाकी ह