मैथेमैटीशियन 'वर्चुअल सर्जरी' को वास्तविकता में परिवर्तित करने हेतु कार्यरत हैं. 'वर्चुअल सर्जरी' में किसी वास्तविक मरीज का ऑपरेशन करने से पहले ही डॉक्टर मरीज का एक 'डिजिटल डबल' तैयार कर उस पर ऑपरेशन की प्रक्रिया लागू करेंगे ताकि वास्तविक ऑपरेशन में गलतियों की सम्भावना न रहे.
वह दिन अब दूर नहीं जब कोई सर्जन किसी व्यक्ति का वास्तविक ऑप्रेशन करने से पहले उसके 'डिजीटल डबल' यानी एक प्रकार के कम्प्यूटरीकृत प्रतिरूप पर ऑप्रेशन का अभ्यास करेंगे. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लास एंजल्स के मैथेमेटीशियन जोसेफ टैरेन वर्चुअल सर्जरी को व्यावहारिक रूप देने में कार्यरत हैं. उनका मानना है कि इस तकनीक से जानें बचाई जा सकेंगी.
जोसेफ टैरेन कहते हैं, "जब आप एक सिमुलेटर का प्रयोग करते हैं तथा अपनी गलतियों से सीखते हैं तो असफलता की संभावना बहुत कम हो जाती है. यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे आप एक 'वर्ड' डॉक्यूमेंट में टाइप करते हैं और गलती होने पर उसे सुधार लेते हैं. 'सर्जिकल सिमुलेशन' के बहुत लाभ हैं. यह मरीजो के लिए एक सुरक्षित विकल्प है."
वर्चुअल सर्जरी काम कैसे करती है?
टैरेन आगे बताते हैं, "इस सर्जरी में आदर्श स्थिति वह है जब मरीज एक प्रक्रिया के लिए आते हैं, उनकी स्कैनिंग की जाती है तथा उसका एक थ्री डाइमैंशनल डिजीटल डबल (डिजीटल प्रतिरूप) जैनरेट कर लिया जाता है.
इस तकनीक से ऐसा भी संभव है कि एक मरीज छोटे से उपनगर में स्कैनिंग करवा चुका है और हजारों मील दूर बैठा सर्जन उस पर सर्जरी का अभ्यास कर रहा है. उसके बाद मरीज को हवाई जहाज से वहां भेजा जा सकता है."
इस सर्जरी की कुंजी गणित में निहित है. टैरेन कहते हैं, "हमें कुछ मैथेमैटिकल एल्गोरिद्म्स सुलझाने पडते हैं जिनसे पता चलता है कि सर्जन ने कम्प्यूटर पर वास्तविक जीवन की नकल पर क्या-क्या किया है."