जमाखोरी और मिलावट करने वाला ईमानदार नहीं हो सकता

14 Apr 2020 12:06:43
 
 
 
 
समाज में इन्सान का यकीन और भरोसा वो चीज है जो आपसी रिश्ते को मजबूत करता है. यदि भरोसा उठ गया तो इंसानी रिश्तों की डोर कमजोर हो जायेगी. अच्छे समाज के लिए अमन व शांति को भी बरकरार रखना जरूरी होता है. ये बातें तभी वजूद में आती हैं. जब समाज का हर सिस्टम ईमानदारी के साथ सही डगर पर चलता रहे. इसी सिस्टम में खरीद-फरोख़्त भी शामिल है. मगर आज इस बात को लोग भूल गये कि लोगों के साथ इंसाफ से रहना ख़ुदा का हुक्म है. आज व्यापारी खाने-पीने और जरूरत की चीजों को मार्केट में आने नहीं देते, जमाखोरी करके चीजों की कीमत को बढाते हैं., जिससे समाज के गरीबों की जिंदगी दुश्वार हो जाती है. तो कहीं जरूरत की चीजों में मिलावट करके कारोबार किया जा रहा है, यही वजह है कि आज लोगों का भरोसा किसी पर नहीं रहा. व्यापारियों और कारोबारियों को जहां ईमानदारी से काम लेना चाहिए वहीं वो मक्कारी और धोखाधडी से कारोबार करते हैं.. वो सिर्फ सरकारी तंत्र से डरते हैं.. वो ये भूल गये हैं. कि उनको पैदा करने वाला एक ख़ुदा भी है, जिसने उनको पैदा किया, एक दिन आयेगा कि वो उनसे उनके करतूतों का हिसाब भी लेगा. ख़ुदा खुद सबका हाकिम है और गवाह भी, वह हर वक्त बन्दों पर नजर रखता है उससे कोई बच नहीं सकता वो तो दिलों के हाल से भी वाकिफ है. याद रहे जमाखोरी और मिलावट सख़्त गुनाह है. इस्लाम ने इस काम को गलत करार दिया है, किसी को धोखा देना, या परेशान करना गुनाह है. जबकि कुदरत ने हर तरह की खाने-पीने की चीजों को पैदा कर दिया है. मगर चालाक और मक्कार इंसान उन चीजों पर कब्जा जमाकर लोगों तक बाआसानी पहुंचने नहीं देते बिचौलिए बनकर जमा करके रख लेते हैं. और थोडा-थोडा बाजार में आने देते हैं.. ताकि उसका कई गुना कीमत वसूल करें, ये इंसानों के साथ धोखा है और ऐसे धोखेबाजों को ख़ुदा हर्गिज पसंद नहीं करता. इसी तरह मिलावट करना भी बहुत बडी बेईमानी है. ऐसा करने वाले सरकार या हुकूमत से बच सकते हैं. मगर अपने पालनहार से नहीं, वो एक दिन हिसाब लेगा, इसका ध्यान रहे. ख़ुदा के नबी (स.) ने मिलावट को सख़्ती के साथ मना फरमाया है- एक बार नबी (स.) बाजार में एक ऐसे आदमी के पास से गुजरे जो गल्ला (अनाज) बेच रहा था. रसूलुल्लाह (स.) ने उससे पूछा कि तुम इसे किस तरह बेचते हो? उसने आप (स.) को बतलाया (लेकिन कुछ गलत बयानी से बयान किया) तो नबी (स.) ने अपना हाथ उस गल्ले के ढेर में दाख़िल किया तो वो अंदर से गीला और तर निकला. इस बात पर आप (स.) ने इरशाद फरमाया- ममजिसने मिलावट और धोखादेही से काम लिया वो हममें से नहीं है.फफ याद रहे जिसे नबी (स.) ने अपने आपसे अलग कहा हो वो आदमी कैसे ख़ुदा का सच्चा बंदा हो सकता है. इस्लाम ने इंसानों को जहां ईमानदारी की जिंदगी गुजारने की सारी बातें सिखाई हैं. वहीं इस तरह के काम से सख़्ती से मना किया है. आज दुनिया की सारी मुसीबतें इस्लाम के उसूलों से हटकर जिंदगी गुजारने की वजह हैं. याद रहे इस्लाम किसी को भी धोखा देने की इजाजत नहीं देता. ख़ुदा तआला ने अपने पैगम्बर (स.) के जरिए हमें बेहतरीन उसूलेजिंदगी दिया है, मगर अफसोस कि हम लोगों ने इन उसूलों को पीठ के पीछे रख दिया है, जिसकी वजह से हमारे समाज में फ्रॉड और धोखाधडी एक आम रिवाज बन चुका है. अब तो हालत ये है कि जितना धोखेबाज होगा उतना ही उसको काबिल समझा जायेगा. याद रहे किसी को धोखा देना किसी ईमानदार का काम नहीं है. 
 
 
 
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