संतरे का सेवन सेहतमंद बनाता ह

    18-Apr-2020
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यों तो संतरा एक मौसमी फल है, परन्तु यह सारे देश में आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसकी पैदावार नागपुर, असम में सिलहट और उत्तरप्रदेश के पहाडी भागों में अधिक होती है. नागपुर का संतरा, अपने स्वाद के लिए बहुत प्रसिद्ध है. कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी विभिन्न किस्में पैदा करके इसे विभिन्न जलवायु के अनुकूल बना लिया है. संतरा बहुत उपयोगी फल है. गर्मी में तो इसकी उपयोगिता बहुत बढ जाती है, क्योंकी इससे उष्णता शांत होती है.
 
आयुर्वेद के अनुसार संतरा वातनाशक, तृषाशामक, दाह, ज्वर एवं हृदय विकार को दूर करने वाला होता है. यह मुंह की दुर्गंध दूर करता है. इससे कब्ज भी दूर होती है. इसमें लगभग ८७.४ प्रतिशत पानी, १०.५ प्रतिशत कार्बनिक पदार्थ, ०.१ प्रतिशत प्रोटीन और ०.३ प्रतिशत वसा होता है. यह फल विटामिन मसीफ का भंडार होता है.
 
गर्मियों में बार-बार प्यास लगने पर पके संतरे की ताजा फांकें को चूसने से प्यास शांत होती है. जी मिचलाने और उल्टी होने पर भी संतरे की ताजा फािडयों को चूसना लाभकर होता है. बुखार में जब रोगी को बेचैनी होती है, बार-बार प्यास लगती है, मुंह सूख जाता है तो रोगी को मीठे संतरे की फािडयां चूसने को दें. इससे रोगी तृप्त एवं शांत होता है. बुखार एवं खांसी में आराम के लिए मीठे संतरे के गूदे में संतरे का सेवन सेहतमंद बनाता है मीठा रस भरा संतरा बच्चों को ही नहीं, बडों को भी अच्छा लगता है. इसका वनस्पति नाम चित्तुस रेतिकुलाता ब्लेंकों है. यह आरेकासी परिवार का सदस्य है. संतरे का वृक्ष मध्यम आकार का झाडीनुमा तथा कांटेदार वृक्ष होता है. यह उष्ण कटिबंधीय वातावरण में उगता है. इसके पत्ते, छोटे, गोल-बेलनाकार तथा छोटे डंठल वाले होते हैं.. श्नकर या चीनी डालकर गर्म करके रोगी को खिलाएं.
 
परन्तु ध्यान रखें कि संतरा मीठा ही हो, क्योंकी खट्टे संतरे के ज्यादा सेवन से कफ विकार हो जाता है. पायरिया के कारण यदि मसूढे फूल जाएं तथा उनमें सडन के कारण दुर्गंध व र्नत आने लगे तो रोगी को प्रतिदिन संतरे का ताजा रस दिया जाना चाहिए. साथ ही संतरे के छिलकों को बारीक पीसकर दंतमंजन में मिला लें, फिर इस मंजन से धीरे-धीरे मसूढों की मालिश करें. इससे रोगी को लाभ होगा. छोटे शिशुओं को यदि ताजा संतरे का रस थोडी मात्रा में नियमित रूप से पिलाया जाए तो उनका शरीर तंदुरुस्त रहता है तथा र्नत शुद्ध रहता है. इससे उनकी हड्।िसीं;डयां मजबूत होती हैं. तथा उनका पूर्ण विकास होता है. खाज-खुजली होने पर भी संतरे का रस पीने से राहत मिलती है. साथ ही प्रभावित स्थान पर ताजा संतरे का छिलका रगडना चाहिए. इसके छिलके से आंखें भी साफ हो जाती हैं.. गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन संतरे का सेवन करना चाहिए, इससे मां तथा गर्भस्थ शिशु दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. गर्भवती महिलाओं को होने वाले वमन तथा अतिसार के लिए संतरे के छिलके के चूर्ण की कुछ मात्रा देकर संतरे का रस पिलाएं.
 
यदि शिशुओं के पेट में कृमि हो जाएं तो संतरे के छिलकों को चार कप पानी में चौथाई शेष रहने तक उबाल लें, फिर छान कर उसमें थोडी सी हींग मिलाकर एक चम्मच शिशु को नियमित रूप से सुबह-शाम पिलाएं. इससे पेट के कृमि शीघ्र ही नष्ट हो जाएंगे. प्रतिदिन प्रात:काल निराहार एक-दो रसीले संतरे खाने से मंदाग्नि की शिकायत दूर होती है. हृदय तथा छाती की कमजोरी, पेट की गडबड तथा श्वास की बीमारी में संतरे का सेवन लाभ देता है. इन्फ्लुएंजा के लिए संतरा रामबाण औषधि है. इन्फ्लुएंजा होने पर लगातार तीन-चार दिन ताजा संतरा खाएं और उबला हुआ ठंडा पानी पीएं.
 
संतरे का कच्चा फल यह हरा होता है, जबकि पकने पर पीला, नारंगी, मीठा एवं रस वाला हो जाता है. फल एक चिकने व सख्त छिलके के अंदर सुरक्षित रहता है. रस और गूदा विभिन्न फािडयों के रूप में पतली सी झिल्ली में होता ह