ट्रांसजेंडर होना कोई अभिशाप नहीं : कमजोरियों को ताकत में बदल

    03-Apr-2020
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मैंने मिस वल्ड डायवर्सिटी का खिताब तीसरी बार जीता है. यह खिताब तीन बार जीतने वाली में देश की पहली ट्रांसजेंडर महिला हूं. मेरा उददेश्य ट्रांसजेंडर को मुख्यधारा में लाने की दिशा में काम करना है. में चाहती हूं कि हर कोई हमें बिना भेदभाव स्वीकार करें. मेरा जन्म नई दिल्ली में एक मुस्लिम मां व हिंदू पंजाबी पिता के घर हुआ. मेरा बचपन एक बुरे सपने की तरह था. बचपन से मुझमें ट्रांससे्नसअलिडी के लक्षण दिखने लगे थे, इसलिए मेरे परिवार ने छह-सात साल की उम्र मेंही मुझे सामाजिक तानों से बचाने के लिए मुंबई में एक दूर के रिश्तेदार के पास भेज दिया. लेकिन वहां सहयोग मिलने के बजाय मेरी जिंदगी और बदतर हो गई.

 सुबह घर का काम करने के बाद स्कूल जाने और अपनी फीस भरने के लिए मुझे ढाबों और रेस्तरां में काम करना पडा. उस व्नत मेरी उम्र ११ वर्ष थी. जब रिश्ते के चचेरे भाई और उसके दोस्तों ने सामुहिक बलात्कार किया. में मौत के मुहाने पर थी. बजाय इसके कि दोषियों को सजा दिलवाई जाती. रिश्तेदार ने मुझे ही इस मामले पर चुप रहने के लिए कहा. मुझे अस्पताल में भर्ती कर दिया गया, वही मेरी मुलाकात एक ट्रांसजेंडर से हुई, जिसने मुझे डांस बार में नौकरी खोजने में मदद की. मैंने वहां सात साल तक काम किया. इन सबके बावजूद मैंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. उसी दौरान मेरे दूर के रिश्तेदार ने, जो मॉडलिंग करता था. मेरी मदद की, तो मैंने राष्ट्रीय फैशन प्रोद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) में दाखिला लिया और फैशन डिजाइनिंग की पढाई की. बाद में मैने  इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टे्ननोलॉजी गाजियाबाद से मार्केटिंग में एबीए किया. कैंपस प्लेसमेंट मिलने पर मैने रितु कुमार और रितु बेरी जैसे फैशन जगत के दिग्गजों के साथ डिजाइन और मर्चेंडाइज जग का काम किया. पर एक बार फिर मेरी गाडी पटरी से उतर गई. तीन वर्ष तक जब मुझे कोई काम नहीं मिला, तो मैने यौनकर्मी के रूप में काम करना शुरू किया. यह शायद अखिरी विकल्प होगा, जिसे कोई भी महिला चुनेगी. जब मेरे पास पैसे नहीं थे और किसी ने मुझे काम पर नहीं रखा, तो मुझे वहां काम मिला, लेकिन मैंने अंदर से खुद को मृत महसूस किया. ऐसे मौके भी आए.

जब मैंने आत्महत्या के बारे में सोचा. लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया,क्योंकी मुझे लगता है कि जीवन ईश्वर का उपहार है और हमें इसे गले लगाना चाहिए. वर्ष २०१३ में मैने से्नस रिअसाइनमेंट सर्जरी करवाई और महिला मॉडल के रूप में मॉडलिंग करियर की शुरुआत की. मैंने हमेशा महसूस किया कि ट्रासजेंडर होना कोई अभिशाप नही है. लेकिन अ्नसर माता-पिता अपने ट्रांसजेंडर बच्चों को घर से बाहर निकाल देते हे, क्योंकी वे समाज से डरते हैं.  में उन लोगों से कहना चहूंगी कि आप बुरे वक्त में होते हे.  तो समाज नहीं. बल्कि आपके बच्चे ही आपके साथ खडे होते हे. इसलिए किसी भी माता-पिता को ट्रासजेंडर बच्चों को घर से नहीं निकलना चाहिए, उन्हें समझना चाहिए कि जैसे एक लडका या लडकी आपकी संतान है, वैसे ही ट्रांसजेंडर भी आपके परिवार का हिस्सा है. जब मैंने मॉडलिंग  में मुकाम हासिल किया, तब मेरे माता-पिता ने भी मुझे अपना लिया.
 
में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए घरेलू qहसा, सैनेटरी नैपकिन के प्रति जागरुकता जैसे गंभीर मुददों पर काम कर रही हूं. मैंने एक बेटी गोद ली हुई है.

मेरा विश्वास है कि अपनी कमजोरियों को ताकत में बदलो और आकाश की सीमाओं को छुओ. संघर्ष से कभी निराश न हो,क्योंकी विफलता ही वह चीज है, जो आपकी सफलता को आपके लिए सार्थक बनाएगी.