'वर्क फ्रॉम होम' से साइबर हमले का खतरा बढा

    03-Apr-2020
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वर्क फ्रॉम होम से साइबर ह 
कोरोना वायरस के कारण कई लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. एलिया कंसल्टिंग के सीईओ दीपक भवनानी का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम के कारण बडी व छोटी सभी प्रकार की कंपनियों के लिए साइबर सुरक्षा का जोखिम बढा है. कंपनियों के निजी आंकडों को कर्मचारी अपने घर से लैपटॉप या घर पर लगे पीसी से एक्सेस कर रहे हैं. संभव है उनमें उसी स्तर का फायरवाल या सिक्योरिटी सिस्टम न हो, जो ऑफिस वाले कंप्यूटर में होता है. ऐसे में साइबर अटैक की संभावना बढ जाती हैं. मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर के हैक हो जाने पर कई बार आपका डाटा करप्ट हो जाता है जिसके चलते कई बार आपको नुकसान भी झेलना पडता है. कंपनियों को ऐसी स्थिति में ज्यादा नुकसान हो सकता है. इस समस्या से बचने के लिए SBI जनरल इंश्यारेंस कंपनी ने साइबर डिफेंस बीमा मुहैया कराती है. यह बीमा आपके डाटा के खोने, हैकिंग के दौरान व्यापार में नुकसान होने जैसे कई रिस्क को कवर करता है.
 
साइबर डिफेंस बीमा की खास बातें -
कंपनी के अनुसार शुरूआती फेस में यह बीमा उत्पाद छोटी कंपनियां या छोटे बिजनेस की जरूरतें पूरी करता है. साइबर नियमों के उल्लंघन व धोखाधडी के बढते खतरे से सुरक्षा प्रदान करता है. इसे बीमा योग्य साइबर खतरों से सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इसमें हैकिंग के हमले, आपकी पहचान संबंधी डाटा की चोरी व संवेदनशील जानकारी के सार्वजनिक होने से बिजनेस में आने वाली परेशानी भी शामिल हैं. SBI जनरल इंश्योरेंस में साइबर हमले की घटना के बाद ग्राहक को तत्काल में मिलने वाली हर जरूरी सेवाओं की भी पेशकश की जाती है. इसके तहत साइबर घटना के संदर्भ में २४X७ घंटे सेवा दी जाती है. इस पॉलिसी से जुडी अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें - https://www.sbigeneral.in/portal/cyber-defense-insurance
 
साइबर अटैक से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान - 
पर्सनल डिवाइस पर एप में संवेदनशील डेटा स्टोर करते समय आपके पास ऐसा सिक्युरिटी टूल होना चाहिए जो मालवेयर, रेंसमवेयर या साइबर क्राइम का पता लगा सके. घर के नेटवर्क में इसके लिए अक्सर फायरवॉल और एनक्रिप्शन का उपयोग किया जाता है. फायरवॉल डिवाइस, एप्लीकेशन को साइबर हमले से बचाती है. या ऐसी कोई वेबसाइट जो आपके नेटवर्क में सेंध लगाने की कोशिश करती है उसका पता लगाकर उसे रोकती है. पब्लिक वाई-फाई से जुडना भी स्माटफोन और एप के लिए जोखिम की वजह बन सकता है. साइबर अपराधी अक्सर ई-मेल के जरिए फिशिंग हमले करते हैं. यूजर को ऐसे ई-मेल असली लगते हैं लेकिन वह फर्जी होते हैं. इनसे बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अज्ञात सोर्स वाले ई-मेल या किसी अज्ञात वेबसाइट की अचानक खुलने वाली पॉप-अप विंडो में दी लिंक को क्लिक न करें. न ही डाउनलोड लिंक पर क्लिक न करें.