दुनिया में तीन हजार धर्म हैं, संत की परिभाषा कैसे करें?

04 Apr 2020 11:26:37
 


 
में परमात्मा को और अस्तित्व को अलग-अलग नहीं तोडता. पुराने धर्मों ने यह भूल की थी; इस भूल का बडा दुष्परिणाम हुआ. पुराने धर्म संसार को तोड देते हैं|. परमात्मा से अलग, फिर सवाल उठता है उसका प्रमाण कहां है? स्वाभाविक सवाल है. संसार तो है नहीं परमात्मा, फिर परमात्मा कहां है? फिर अडचन खडी होती है. फिर आकाश में हाथ उठाने पडते हैं|.. ये हाथ झूठे हैं|.. म।. तुमसे कहता हूं : परमात्मा अस्तित्व है; इससे पार नहीं है, इसीमें छिपा है, इसी में गुंथा है. यहीं खोजो, अभी खोजो. तुम पत्ते-पत्ते में उसके हस्ताक्षर पाओगे. जीसस का वचन है : उठाओ पत्थर को और तुम मुझे छिपा पाओगे. तोडो लकडी को और तुमने मुझे तोड दिया.
 
आचरणों को हमने संत समझा हुआ है. और आचरण तो कितने हैं|. दुनिया में! हजारों तरह के हो सकते हैं|.. किसी ने तय कर लिया है कि मांसाहार करना संतत्व के विपरीत है. लेकिन जीसस तो मांसाहार करते थे. और जीसस को तो जाने दो, मोहम्मद को जाने दो-दूर के हैं|.. रामकृष्ण परमहंस तो बहुत करीब थे, वे भी मछलियां खाते थे! अब जिसने यह धारणा बना ली है कि मांसाहार तो संत कर ही नहीं सकता, वह रामकृष्ण के पास जाकर भी चूक जाएगा; वह यही देखता रहेगा कि अरे मछलियां, यह किस तरह का संत है! संत तो मधुर वचन बोलते हैं| संत तो प्यारी बातें कहते है।.. संतों के वचनों से तो फूल झरते हैं|.. लेकिन शिरडी के साईं बाबा डंडा उठा कर मां-बहन की गाली भी देते थे, भक्तों के पीछे दौड पडते थे, पत्थर भी मारते थे. तो तुम कैसे तय करोगे कि ये संत हैं|.? देख कर ही तय हो जाएगा कि ये संत नहीं हैं|.. यह डंडा उठाना, पत्थर मारना, गाली बकना! रामकृष्ण परमहंस भी गालियां देते थे. तो बडी अडचन हो जाएगी. तुम कैसे तय करोगे कौन संत है? और जिसने शिरडी के साईं बाबा की गाली खाई है और पी ली है गाली और फिर भी झुका रहा, जिसका सिर झुका सो झुका ही रहा-गाली दी, चाहे पत्थर मारे, चाहे डंडा मारा-वह जानता है, वही पहचानता है. लेकिन वह तुम्हें पागल मालूम पडेगा, उन्मत्त मालूम पडेगा. क्योंकि साईं बाबा के डंडे में उसने तो फूल ही झरते पाए. उन पत्थरों में अमृत बरसता हुआ पाया. वे गालियां तो उनके प्रेम का प्रतीक थीं. तुम ऐसे हो कि बिना गाली के तुम जागोगे ही नहीं. तो उतने तक के लिए वे राजी हैं|. कि गाली से जागोगे तो गाली दूंगा. तुम्हें गालियां ही शायद थोडी झकझोरें तो झकझोरें. नहीं तो तुम तो वैसे ही गहरी नींद में सो रहे हो. अच्छी-अच्छी बातें तो लोरियां बन जाती हैं|.. और लोरियां तो तुम सुनते रहे हो बहुत दिन से. लोरियां सुन रहे हो, अंगूठे चूस रहे हो, अपने-अपने झूले में पडे झूला झूल रहे हो.
 
कैसे तय करोगे? जीसस तो शराब पीते थे. शराब पीते ही नहीं थे, उनके चमत्कारों में एक चमत्कार यह भी है कि जब वे समुद्र के पास आए, हजारों लोग उनके साथ आए थे, तो उन्होंने पूरे समुद्र को चमत्कार से शराब में बदल दिया. अब अगर भारत में होते तो पुलिस पकड ले जाती कि यह क्या कर रहे हो! सागर को और शराब बना दिया, कि अब पीएं पीने वाले जितना पीना हो! अब कभी पीने की कमी नहीं होगी.
 
तुम कैसे जीसस को मान सकोगे कि ये संत हैं|.? तुम्हें अडचन होगी. आचरण तो बहुत तरह के हैं|.. दुनिया में कोई तीन हजार धर्म हैं|.-छोटे-मोटे, सब मिला-जुला कर. इन तीन हजार धर्मों की अपनी-अपनी धारणाएं हैं|.. संत की परिभाषा कैसे करें?
 
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