ध्यान रखें, गले के रोग हो सकते हैं घातक

08 Apr 2020 10:45:34
ऐसा ही एक गले का रोग है डिफ्थीरिया. पतले चमडे के टुकडे के समान गले में झिल्ली हो जाने के कारण इस व्याधि को डिफ्थीरिया कहते हैं.
यह रोग प्राय: बच्चों में होता है. इसमें गले की नली, स्वरतंत्र और श्वासनली में सफेद रंग की झिल्ली बन जाती है, गले की नली के पास वाली रस ग्रंथियों पर सूजन आ जाती है और धीरे-धीरे सभी अंगो में रोग फैलने लगता परिणामस्वरुप पूरे शरीर में कमजोरी आ जाती है.
 
 
 
 
लक्षण : गले में दर्द एवं ठंड के ज्वर के समान रोग प्रतीत होता है. रोग अत्याधिक होने पर गले व नाक में सूजन व कभी-कभी उल्टी और सिर दर्द होता है. नाक से र्नत मिश्रित पदार्थ का स्त्राव हो सकता है. स्वरतंत्र पर प्रभाव के कारण आवाज फटी-फटी या बिलकुल बंद भी हो सकती है. गले में कफ मिश्रित होने के कारण घरघराहट का स्वर सुनाई देता है. सबसे प्रमुख लक्षण गले में सफेद रंग की झिल्ली का बनना है जो ग्रे रंग की होती है.
 
निदान : यदि कोई बच्चे को छह मास से अधिक का ज्वर, गले में दर्द के साथ आता है तो उसको डिफ्थीरिया रोग का संदेह करना चाहिए. ज्वर पीडित प्रत्येक बच्चे के गले का निरीक्षण टंग डिप्रेशर द्वारा टार्च की सहायता से अवश्य कर लें, क्योकी डिफ्थीरिया रोग का प्राथमिक अवस्था में निदान न करने पर यह भयानक रूप धारण कर सकता है.
 
रोग की गंभीरता में : इस अवस्था में इंजे्नशन आई. वी. मार्ग से लगाना चाहिए क्योकी इस मार्ग से देने से औषधि अति शीघ्र ही र्नत में पहुंच जाती है. इस मार्ग से देने के लिए एंटीटॉ्िनसन सीरम को थोडे से ग्लूकोज घोल में घोलकर बहुत धीरे-धीरे इंजे्नशन देना चाहिए.
 
रोग के कारण यह जीवाणु जनित रोग है इसके जीवाणु का नाम बैसिलम डिफ्थीरिया है जो मकार्नीबै्नटीरियम डिफ्थिरीफ उपनाम से जाना जाता है. ये जीवाणु झिल्ली मेंं पाए जाते हैं., लेकिन वर्तमान परिस्थिति में यह र्नत अथवा देह के तंतुओं में भी पाए जाते हैं. जीवाणु बच्चे के नाक व गले में छुपे रहते हैं.
 
तथा रोगी बच्चे के बोलते, छींकते या खांसते समय यह जीवाणु हवा में फैलकर अन्य लोगों में फैल जाते हैं. यह रोग गंदे स्थानों पर जाने से होता है. श्वास नली में झिल्ली बन जाने से श्वास मार्ग रूक जाता है और इस स्थिति में रोगी की मृत्यु तक हो जाती है.
 
उपचार : इस रोग की एकमात्र और सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा में रोगी को डिफ्थीरिया का एंटीटॉ्िनसन इंजे्नशन दिया जाता है. जैसे ही डिफ्थीरिया का संदेह हो वैसे ही तुरंत
 
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