कश्मीर से कन्याकुमारी, असम से महाराष्ट्र-गुजरात तक मंदिरों में सन्नाटे से संकट बढा
कोरोना महामारी के चलते देश में २५ मार्च से लॉकडाउन किया गया है. लगभग दो माह लंबे लॉकडाउन के कारण मंदिरों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. कश्मीर से कन्याकुमारी, असम से महाराष्ट्र-गुजरात तक मंदिरों में छाए सन्नाटे से मंदिरों का संकट बढ गया है. काशी, मथुरा, प्रयाग, उज्जैन, शिडी और पंढरपुर जैसे भव्य मंदिरों में व्यवस्था चरमरा गई है. कहीं- कहीं तो पुजारियों व कर्मियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं.. हालांकि देश के कुछ हिस्सों में मंदिर तो खुल गए हैं. लेकिन संक्रमण के डर और लॉकडाउन के चलते श्रद्धालु नदारद हैं.. इस कारण लाखों पुजारियों-कर्मचारियों पर रोजीरोटी का संकट खडा हो गया है. इतना ही नहीं कहीं-कहीं तो मंदिर प्रबंधन के पास बिजली और पानी के बिल तक भरने को पैसा नहीं है. तमिलनाडु में राज्य सरकार ने करीब ६५ हजार पुजारियों को १-१ हजार रुपए की मदद दी है.
विस्तार प्राप्त समाचार के मुताबिक देश में लॉकडाउन के कारण मंदिरों और धार्मिक शहरों की अर्थव्यवस्था चरमराने लगी है. तमिलनाडु के ८००० छोटे और मध्यम मंदिरों में अब एक समय पूजा हो रही है. मंदिरों में दान की आवक न होने के कारण सरकार से मांग की जा रही है कि इनके बिजली बिल माफ किए जाएं. उत्तराखंड में चारधाम सहित पहाडों पर मौजूद १०० से ज्यादा मंदिर खुल गए हैं., लेकिन यहां हर साल श्रद्धालुओं का जो जमघट होता है, वो नदारद है. उत्तराखंड सरकार लोगों से टूरिज्म को बूस्ट करने के लिए सुझाव मांग रही है.
नासिक : कालसर्प की शांति के लिए नहीं आ पा रहे लोग
महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी का किनारा, त्र्यंबकेश्वर का मंदिर कालसर्प दोष की शांति के लिए सबसे श्रेष्ठ स्थान माना जाता है. आम दिनों में देश-दुनिया से यहां हजारों लोग रोज आते हैं.. सैकडों परिवारों की आमदनी का आधार गोदावरी के घाटों और मंदिर में पूजन कराना ही है.
लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण अभी सन्नाटा पसरा हुआ है. लोग आ नहीं रहे. कई परिवार तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.. इनमें खासतौर पर वे परिवार शामिल हैं. जो मंदिर के आसपास पूजा और अन्य आवश्यक सामग्रियां बेचते हैं.. १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक नासिक में गोदावरी के किनारे बने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में इस समय सन्नाटा पसरा हुआ है. पुजारी नित्य पूजा करते हैं.. सामान्य दिनों में यहां कालसर्प दोष और पितृदोष की शांति के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं..
उज्जैन : मंदिर बंद, घाट सूने, कर्मकांड मंत्रों की आवाजें शांत मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के अलावा मंगलनाथ में मंगलदोष की शांति और कालसर्प, पितृदोष की शांति जैसे अनुष्ठानों के लिए देशभर से लोग आते हैं.्. पिछले दो महीनों से यहां शिप्रा नदी के घाट सूने हैं.. मंदिर बंद हैं., घाट सूने पडे हैं., कर्मकांड मंत्रों की आवाजें शांत हैं.. ५००० से ज्यादा पंडे-पुजारियों और कर्मकांड से जुडे अन्य लोगों को घर बैठना पड रहा है. हालांकि, अभी यहां आर्थिक स्थिति उतनी विकट नहीं है. लेकिन, लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर हैं.. क्योंकि, लॉकडाउन खुलने के बाद भी स्थिति काफी समय तक ऐसी ही रहनी है.
लॉकडाउन ३१ मई तक बढने के बाद मंदिर प्रबंधनों को जल्दी सुधार की उम्मीद भी नहीं है. पूरे देश में स्थिति सामान्य होने में लंबा वक्त लगने का अनुमान है, तभी टूरिज्म सेक्टर में सुधार हो सकता है. कई धार्मिक शहर लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए हैं.. इनमें मप्र के उज्जैन, महाराष्ट्र के नासिक, उत्तराखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार के गया जैसे कई शहर शामिल हैं.. दक्षिण भारत क्षेत्र में तमिलनाडु धर्म की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. यहां छोटे-बडे कुल मिलाकर १० हजार से ज्यादा मंदिर है. वहीं ६५ हजार पुजारियों के परिवार यहां मंदिरों पर आश्रित हैं.. तमिलनाडु : पुजारियों को एक हजार रुपए की राहत तमिलनाडु में मंदिरों की खस्ता हालत को देखते हुए राज्य सरकार ने करीब ६५ हजार ग्रामीण पुजारियों को एक-एक हजार रुपए की राहत राशि दी है. बडे मंदिरों में दान ज्यादा आने के कारण व्यवस्थाएं सामान्य रूप से चल रही हैं., लेकिन छोटे मंदिरों की स्थिति वैसी नहीं है. पुजारी संगठन के अध्यक्ष पी. वासु के मुताबिक राहत राशि ग्रामीण पुजारियों को दी गई है. लेकिन मंदिर सिङ्र्क पूजा का स्थान नहीं है, यहां से कई लोगों के घर चलते हैं.. जो राहत राशि दी गई है, वो भी कम है. ये बढानी चाहिए.