कोरोना और लॉकडाउन से बच्चों के तनाव को नियंत्रित करें

AajKaAanad    22-May-2020
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Children during lockdown_ 
 
बच्चे को भरोसा देना है तो अच्छे श्रोता बनकोरोना और लॉकडाउन के कारण बच्चों में तनाव बढा रहा है. ऐसे में नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है. धीरे धीरे यह अवसाद का रूप ले सकता है. बच्चे अलग अलग तरह की एक्टिविटीज करने लगते हैं. इसे पैरेंट्स समझ नहीं पाते. कैलिफोर्निया के बाल रोग विशेतज्ञ डॉ. नादिन बर्क हैरिस कहते हैं. कुछ मामलों में तनावपूर्ण घटनाओं को देखने सुनने से भी बच्चों मे तनाव बढ रहा है. कोई तय दिनचङ्र्मा नहीं है ऐसे में उन्हें डराने के बजाय नए अवसरों को बताने पर जोर दिया जाना चाहिए.
 
डॉ. हैरिस बताते हैं, बच्चे के मन की बात जानने के लिए उनसे बात करें. जानने की कोशिश करें कि उन्हें कौन सी बातें परेशान कर रही हैं. शायद, उन्हें मदद मिल सके. उसमें आत्मसम्मान की भावना बनाएं प्रोत्साहन और स्नेह दें. ऐसी स्थिति में उसे उन चीजों में शामिल करें जहां वह सफल हो सकता है. सजा के बदले उसे पुरस्कार दें जो बच्चे बचपन से ही पॉजिटिव माहौल में रहें हैं. उनके सामने आज के समय कोरोना संकट एक भयानक नकारात्मक घटना है. ऐसे में बच्चों पर पड रहे प्रभाव को समझना जरूरी है.
 
पैरेंट्स बिना किसी दखल के अपने बच्चे की बात सुनें स्कूल बंद हैं, बच्चे घरों में कैद हैं. ऐसे में उनके दिमाग में कई तरह की धारणाए बनती हैं. पैरेंट्स को अस पर नजर रखनी चाहिए. बच्चे को अधिक विश्वास दिलाने का सबसे अच्छा तरीका है अच्छा श्रोता बन जाना. पैरेंट्स को बच्चों की बातों और आशंकाओं को सुनना चाहिए. उन्हे मिना किसी दखल के ज्यादा से ज्यादा सुनें इससे यस भावना आएगी कि उन्हें सुना जा रहा है. फिर वे मन की हर बात जता पाएंगे. व्यायाम और हेल्दी फूड भी उन्हें तनाव मु्नत रखने में मदद कर सकते हैं. बच्चों से महामारी के बारे में बात करने से बचना चाहिए.