रियल इस्टेट सेक्टर में वर्ष २०२२ के दौरान तेजी की संभावना

AajKaAanad    24-May-2020
Total Views |
Ishwarchandra Goel_1 
 
प्रिस्टीन प्रॉपटीज के चेयरमैन ईश्वरचंद गोयल की राय
 
लॉकडाउन के कारण प्रोजेक्ट में देरी का डर
 
नियम और शर्तों में थोडी शिथिलता जरूरी
 
पहले 'रोटी-कपडा' और उसके बाद 'मकान' का विचार
 
कोरोना महामारी और इसके मद्देनजर घोषित लॉकडाउन का असर विभिन्न क्षेत्रों के साथ रियल इस्टेट सेक्टर पर भी हुआ है. इस सेक्टर में मौजूदा दौर में कई समस्याएं पैदा होने के बावजूद मार्च २०२१ के बाद लोगों की मानसिकता में कुछ सकारात्मक बदलाव होने लगेंगे और २०२२ में रियल इस्टेट सेक्टर में बडा बूम (उछाल) देखने को मिलेगा. यह राय प्रिस्टीन प्रॉपटीज के चेयरमैन ईश्वरचंद गोयल ने व्यक्त की. वे ३० वर्षों से भी अधिक समय से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. हमारे प्रतिनिधि स्वप्निल बापट द्वारा लिये गये इंटरव्यू के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं.-
 
प्रश्न : आपने अब तक कई आपदाओं को देखा होगा, उन विपत्तियों व मौजूदा कोरोना महामारी में क्या अंतर है?
उत्तर : कोरोना के कारण सब कुछ एक ही समय बंद हो गया. इस तरह का अनुभव हमने पहली बार देखा है. खासकर हर कोई लगभग दो महीने तक घर में ही फंसा रहा और ऐसे हालात हमने न पहले कभी सुने थे और न देखे थे. यही इस संकट का अनूठापन है. कोरोना महामारी से हर कोई परेशान हुआ है, लेकिन लोगों का घर में फंसे रहना सबसे बडी परेशानी है. कुछ देशों ने लॉकडाउन न कर वहां की जनता के बजाय अर्थ-व्यवस्था को जरूरी माना और अपने यहां लोगों की जिंदगी को प्राथमिकता दी गई. हालांकि, कोरोना से होने वाली मृत्यु दर और अन्य कारणों से होने वाली मौतों का अनुपात भी हमें प्रैक्टिकली समझ लेना चाहिए. क्योंकि, जब कोरोना जैसी महामारी नहीं थी, तब भी लोग कई अन्य कारणों से मर रहे थे.
 
प्रश्न : कोरोना और लॉकडाउन के कारण वर्तमान में जो स्थिति पैदा हुई है, उससे आपकी इंडस्ट्री में वास्तविक समस्या क्या है?
उत्तर : वर्तमान में लॉकडाउन के कारण काम बंद है, लेकिन हमें जिनका पेमेंट देना है उसका भुगतान तो हमें करना ही होगा. लॉकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद बिक्री शुरू नहीं होगी. उसके लिए कम से कम ३ महीने तक इंतजार करना पडेगा. आमदनी कुछ भी नहीं है. स्टाफ का ध्यान रखना होगा. अब की स्थिति यह है कि इन्कम न होने के बावजूद बैंक की किश्तें भरना जरूरी है. जो प्रोजेक्ट अभी हाथ में लिये हैं. उन्हें पूर्ण करने में भी देरी होगी.
 
प्रश्न : लॉकडाउन अब खत्म होता जा रहा है, तो फिर प्रोजेक्ट को देरी क्यों होगी?
उत्तर : इसकी एक महत्वपूर्ण वजह यह है कि कर्मचारी अपने-अपने गांव गये हैं. जब तक लॉकडाउन सख्ती से लागू था तब तक हमने सभी कर्मियों का ध्यान रखा और जीवनावश्यक चीजें भी प्रदान कीं. अब तालाबंदी में ढील मिलने के बाद वे चले गए. वे मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल के हैं. मेरी एक साइट के तो लगभग ९० प्रतिशत श्रमिक चले गये. उनके लौटने के वक्त के बारे में पता नहीं है. दोहरी परेशानी यह है कि पूरी संख्या में कर्मियों के लौटे बिना हम पूरी क्षमता से काम नहीं कर सकेंगे. साधारणतया ४ महीने बाद मजदूर वर्ग लौटने लगेगा, लेकिन लगता है कि लौटने वालों की संख्या भी ५० फीसदी रहेगी. यह पूरी स्थिति पटरी पर लौटने तक कंस्ट्र्नशन इंडस्ट्री पर बुरा असर होगा.
 
प्रश्न : प्रोजेक्ट में देरी होने पर आपको किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड सकता है?
उत्तर : परेशानी तो निश्चित रूप से बढने वाली है, क्योंकि प्रोजेक्ट में जितनी देरी हो जाती है, उतना ही ब्याज का बोझ भी बढता है. निर्माण लागत बढेगी और लेबर कॉस्ट भी बढेगी. ऐसे में रिवाइज एस्टीमेट कर लेना पडेगा. प्रोजेक्ट में देरी होने से हमारी बुकिंग कम नहीं होगी, लेकिन यह तो निश्चित है कि हमारे मार्जिन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पडेगा.
 
प्रश्न : अब लॉकडाउन खत्म होगा और जनजीवन पटरी पर लौटेगा. ऐसे में कुल हालात में कैसे सुधार हो सकेगा?
उत्तर : मुझे नहीं लगता कि कैलेंडर वर्ष २०२० में रियल एस्टेट क्षेत्र में बिक्री के अधिक अवसर नहीं हैं, क्योंकि मौजूदा हालात से बाहर निकलने के बाद लोग पहले रोजीरोटी के बारे में सोचेंगे. हमारी तीन बुनियादी जरूरतों में से पहले की दो यानी 'रोटी व कपडे' को प्राथमिकता देंगे. एक बार जब इन दोनों के मसले हल होंगे, तब 'मकान' का विचार शुरू होगा. इसे लगभग ६ महीने लगेंगे. उस समय ग्राहकों की आर्थिक स्थिति व नया घर खरीदने की इच्छा पर काफी कुछ निर्भर होगा. मेरी राय में मार्च २०२१ के बाद, लोगों की मानसिकता में थोडा सकारात्मक बदलाव होने लगेगा, क्योंकि तब तक उनके हाथ में पैसे आने लगेंगे. नौकरी या व्यवसाय में स्थिरता नजर आने लगेगी. इसलिए कैलेंडर वर्ष २०२२ में रियल एस्टेट क्षेत्र में बूम देखने को मिल सकेगा.
 
प्रश्न : वर्तमान में स्थिति इतनी विपरीत है, तो फिर इस तरह के उछाल का कुछ विशेष कारण क्या?
उत्तर : लोगों ने पहली बार लॉकडाउन की स्थिति का अनुभव किया. कई लोगों को अपने घर में दो महीने तक फंसे रहना पडा. नतीजतन, कई लोगों ने छोटे से घर में होने वाली समस्याओं को महसूस किया है. इसी वजह से इस सोच पर बल दिया जायेगा कि ऐसे हालात में पङ्र्माप्त स्पेस देने वाला घर चाहिए. इसलिए यदि बाजार की स्थिति ठीक रही तो मुझे लगता है कि उस समय वन बीएचके में रहने वाले टू बीएचके में जायेंगे और टू बीएचके में रहने वाले थ्री बीएचके में शिफ्ट होने की कोशिश करेंगे.
 
प्रश्न : रियल इस्टेट सेक्टर की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इसका भविष्य कैसा नजर आ रहा है?
उत्तर : कई कंपनियां अब चीन के बजाय भारत की ओर देख रही हैं. इसका एक सकारात्मक प्रभाव भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बढने के रूप में होगा. इसका उपयोग व्यावसायिक निर्माणों को बढाने में हो सकेगा. मुझे लगता है कि कंपनी का कामकाज अच्छी तरह से चलाने के लिए कुछ नियमों और शर्तों में ढील देने की जरूरत है. क्योंकि, मौजूदा नियमों की वजह से कंपनियां नया काम शुरू करने में थोडा संकोच करती हैं. इसे टालना आना चाहिए. इसके लिए लेबर लॉ या लैंड लॉ में थोडी शिथिलता की जानी चाहिए. अगर भारत में एफडीआई बढती है तो इससे रोजगार के साथ-साथ जीडीपी भी बढेगी.
 
प्रश्न : प्रतिकूल परिस्थिति में भी आगे बढते रहना चाहिए. इसी के मद्देनजर आप जैसे अन्य उद्यमियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर : आपके पास जितने प्रोजेक्ट्स हैं, उन्हें पूर्ण करने पर जोर देना चाहिए. इससे ओवरसप्लाई नहीं होगी. यानी एक साथ १० प्रोजेक्ट्सपर काम करने के बजाय दो प्रोजेक्ट ही शुरू कर उन्हें पूर्ण करना चाहिए. इसके अलावा, हमें जितनी बाजार की जरूरत है उतना ही काम करना चाहिए. इससे अनावश्यक बोझ नहीं बढेगा.
 
लॉकडाउन अवधि में कई लोगों ने 'वर्क फ्रॉम होम' के विकल्प को चुना. क्या आपको लगता है कि यह चलन बढेगा और इसका आपकी इंडस्ट्री पर क्या प्रभाव पडेगा?
 
 - 'वर्क फ्रॉम होम' का विकल्प भले ही कई लोगों ने चुना हो, लेकिन मेरी राय में यह २५ फीसदी तक ही सीमित रहने की उम्मीद है. इसकी वजह यह है कि अपने यहां ऑफिस में जाकर ही काम करने का कल्चर है, जिसमें अचानक बदलाव नहीं होगा. हालांकि, 'वर्क फ्रॉम होम' शुरू होने से किसी कंपनी को आवश्यक जगह की मांग कम होने लगेगी. संक्षेप में कहा जाय तो कमर्शियल स्पेस की मांग में १० से १५ प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलेगी.
 
आप लोगों को क्या सुझाव देंगे?
  • हमें व्यवसाय के तरीके को अपग्रेड करना होगा
  • गुणवत्ता (क्वालिटी) और सेवा (सर्विस) पर जोर देना होगा
  • वर्तमान में बडे विस्तार (एक्सपान्शन) बिल्कुल न करें
  • जो प्रोजेक्ट्स जारी हैं. उन्हीं को प्राथमिकता दें
  • जितनी क्षमता है उतने ही प्रोजेक्ट पर काम करें
  • ओवरहेड को न्यूनतम रखने की कोशिश करें
  • अनावश्यक दिखावे की जरूरत नहीं है और उस पर खर्च न करें
  • कम से कम लोन या ऋण मुक्त (debt free) रहने की कोशिश करें
लॉकडाउन की वजह से व्यावसायिक क्षति हो चुकी है, लेकिन इसके साथ कुछ अच्छी बातें भी हुई हैं. हमें उस पर भी गौर करना होगा. हमें घर में रहने का महत्व पता चला है. होटल के बजाय घर का भोजन करने से हमारे रहने व जीवन का तरीका बदल गया है. जीवन में एक तरह का अनुशासन स्थापित हो गया है, जिसे बनाए रखना होगा. लोग स्वास्थ्य के महत्व को समझने लगे हैं. और खुश नजर आने लगे हैं. इसके अलावा, अपने यहां अपनी बचत की संस्कृति में और वृद्धि दिखाई देगी. मौज-मस्ती में होने वाला अतिरिक्त खर्च कम करके लोग पैसे बचाना शुरू कर देंगे.