संकट से सबक : ५० हजार स्वास्थ्यकर्मी २ साल पहले ही ऐसी बीमारियों के लिए प्रशिक्षित
मास्क पहनने की संस्कृति, मोटापा दर कम होने से मिली सफलता न लॉकडाउन, न आवाजाही पर सख्त पाबंदी, यहां तक कि रेस्तरां और सैलून भी खुले रहे. बडी संख्या में टेस्ट भी नहीं किए, फिर भी जापान कोरोना की रफ्तार थामने में कामयाब रहा है. सोमवार को यहां इमरजेंसी पूरी तरह हट सकती है. विकसित देशों में कोरोना से हजारों मौतें हुईं वहीं, जापान में सिङ्र्क ८०८ मौतें हुई हैं. १६.५ हजार संक्रमित हैं.
जापान में अमेरिका के सीडीसी जैसा संस्थान नहीं है. इसके बावजूद वह कोरोना को हराने में सफल रहा है, पिढए.जापान में स्वास्थ्यकर्मियों की सक्रियता और लोगों की जागरूकता से कोरोना पर काबू रखने में सफलता मिली है. वेसेडा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिकिहितो तनाका कहते हैं. कि सिङ्र्क मौतों के कम आंकडे देखकर आप दावा कर सकते हैं. कि जापान सफल रहा है. स्कूलों को जल्दी बंद करना, मास्क पहनने की संस्कृति, मोटापे की दर कम होना इसके कारण हो सकते हैं. जापानी भाषा बोलने में अन्य भाषाओं की तुलना में कम ड्रॉप्लेट्स निकलते हैं. इससे संक्रमण कम फैला.
एक्सपट्र्स के मुताबिक अन्य देश मरीजों का पता लगाने के लिए हाइटेक एप इस्तेमाल कर रहे हैं. जापान ने ऐसा नहीं किया. कुल आबादी के सिङ्र्क ०.२% लोगों का ही टेस्ट किया. इसके अलावा जापान में ५० हजार से ज्यादा प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी हैं, जिन्हें २०१८ में इन्फ्लूएंजा और टीबी के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया था. जनवरी में पहला मामला आते ही इन्हें सक्रिय किया गया, इन्होंने कांटेक्ट ट्रेसिंग में अहम भूमिका निभाई.
डायमंड क्रूज शिप पर संक्रमण के बाद पूरी व्यवस्था बदल गई. शीर्ष वैज्ञानिक, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉक्टर लोगों की जांच में जुट गए. सरकार के सलाहकार और महामारी मामलों में विशेषज्ञ शिगू ओमी कहते हैं. कि जापानी लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता सबसे अहम कडी रही. विशेषज्ञ का मानना है कि कोरोना का सबसे कमजोर स्ट्रेन जापान में पहुंचा था. इससे भी नुकसान कम हुआ. क्योटो के थियेटर में सोशल डिस्टेंसिंग.