क्या हाेती थी काला पानी की सजा, जिससे कांपते थे कैदी

    21-Aug-2020
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’काला पानी की सजा’ बीते जमाने की एक ऐसी सजा थी, जिसके नाम से कैदी कांपने लगते थे. दरअसल, यह एक जेल थी, जिसे सेल्यूलर जेल के नाम से जाना जाता था. आज भी लाेग इसे इसी नाम से जानते हैं. यह जेल अंडमान निकाेबार द्वीप की राजधानी पाेर्ट ब्लेयर में बनी हुई है. इसे अंग्रेजाें द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियाें काे कैद रखने के लिए बनाया गया था, जाे कि भारत की भूमि से हजाराें किलाेमीटर दूर स्थित थी. काला पानी का भाव सांस्कृतिक शब्द काल से बना माना जाता है जिसका अर्थ हाेता है समय या मृत्यु. यानी काला पानी शब्द का अर्थ मृत्यु के स्थान से है, जहां से काेई वापस नहीं आता. हालांकि अंग्रेजाें ने इसे सेल्यूलर नाम दिया था, जिसके पीछे एक हैरान करने वाली वजह है. सेल्यूलर जेल अंग्रेजाें द्वारा भारत के स्वतंत्रता सेनानियाें पर किए गए अत्याचाराें की मूक गवाह है. इस जेल की नींव 1897 ईस्वी में रखी गई थी और 1906 में यह बनकर तैयार हाे गई थी. इस जेल में कुल 698 काेठरियां बनी थीं और प्रत्येक काेठरी 15ु8 फीट की थी. इन काेठरियाें में तीन मीटर की ऊंचाई पर राेशनदान बनाए गए थे ताकि काेई भी कैदी दूसरे कैदी से बात न कर सके.
 
यह जेल गहरे समुद्र से घिरी हुई है, जिसके चाराें ओर कई किलाेमीटर तक सिर्फ और सिर्फ समुद्र का पानी ही दिखता है. इसे पार कर पाना किसी के लिए भी आसान नहीं था. इस जेल की सबसे बड़ी खूबी यहथी कि इसकी चहारदीवारी एकदम छाेटी बनायी गयी थी, जिसे काेई भी आसानी से पार कर सकता था, लेकिन इसके बाद जेल से बाहर निकलकर भाग जाना लगभग नामुमकिन था, क्याेंकि ऐसा काेशिश करने पर कैदी समुद्र के पानी में ही डूबकर मर जाथे.