रेडी रेकनर की दरें इस वर्ष 15 से 20% तक कम की जाएं

    31-Aug-2020
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क्रेडाई नेशनल के उपाध्यक्ष शांतिलाल कटारिया द्वारा मांग : रेट बढ़ाने पर बिल्डर के लिए सस्ते रेट पर घर बेचना संभव नहीं : रियल इस्टेट की घटी कीमतें ध्यान में रखना जरूरी 
 
रेडी रेकनर की दरें वास्तविकता के अनुरूप हाेनी चाहिए और इस वर्ष ताे इसमें कम से कम 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी की जानी चाहिए. यह मांग क्रेडाई नेशनल के उपाध्यक्ष शांतिलाल कटारिया ने की है. काेराेना की पृष्ठभूमि पर रियल इस्टेट के क्षेत्र में अभूतपूर्व हालात पैदा हाे गये हैं. इसके अलावा, रेडी रेकनर रेट अधिक हाेने के कारण बिल्डराें के लिए अपनी इच्छा के बावजूद अपने घराें या प्राॅपर्टीज काे कम कीमत पर बेचना असंभव हाेगा. कटारिया द्वारा दै.‘आज का आनंद’ काे दिये गये विशेष इंटरव्यू के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं-
 
रेडी रेकनर की निर्धारण पद्धति में आपकाे ्नया आपत्ति है और इसमें क्या बदलाव किए जाने चाहिए?
- रेडी रेकनर रेट के ऐलान की तारीख नजदीक आते ही रियल इस्टेट सेक्टर के लाेगाें की धड़कनें तेज हाेने की तस्वीर सामने आती है. वजह यह है कि रेडी रेकनर की दर में जाे बेतहाशा वृद्धि हाेती रहती है, उससे आम नागरिकाें काे घर खरीदना असंभव लगता है. ऐसा नहीं है कि इस वृद्धि से सरकार का रेवेन्यू निश्चित रूप से बढ़ेगा ही. इसके अलावा रेडी रेकनर तय करने के लिए काेई वैज्ञानिक कार्यपद्धति अस्तित्व में नहीं है. रेडी रेकनर दरें हर साल बदलती हैं. इसके बजाय उन्हें हर तीन साल में बदला जाना चाहिए. पिछले 2 वर्षाें में रेडी रेकनर की दरें न बदलने के बावजूद सरकार के राजस्व में कमी नहीं हुई, बल्कि इसमें बढ़ाेतरी ही हाे गई. इसीलिए, इस साल 2020 में अगर सरकार रेडी रेकनर की दर बढ़ाती है, ताे कुछ दिनाें पहले स्टांप ड्यूटी में घाेषित रियायत का असर शून्य हाे जाएगा. कुछ राज्याें में रेडी रेकनर की दरें 3 वर्षाें में हुए खरीदी-बिक्री के वास्तविक व्यवहाराें की न्यूनतम दराें काे ध्यान में रखकर तय की जाती हैं. मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में भी यही तरीका अपनाया जाना चाहिए.
 
आपकाे क्या लगता है कि रेडी रेकनर की दराें काे तथ्याें के अनुरूप बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
- रेडी रेकनर दराें काे सावधानीपूर्वक व बारीकी से अध्ययन के बाद निर्धारित किया जाना चाहिए. सरकार काे यह तय करने से पहले अपने लाभार्थियाें से राय व सुझाव मंगाने चाहिए. उनके सुझावाें के आधार पर दरें निर्धारित की जानी चाहिए. सरकार काे एक समिति गठित करनी चाहिए. इसमें बिल्डराें, सरकारी अधिकारियाें और घराें की खरीदी करने वाले ग्राहकाें के प्रतिनिधि शामिल हाेने चाहिए. मुझे लगता है कि यह समिति एक उद्देश्यपूर्ण रिपाेर्ट तैयार करेगी और उस रिपाेर्ट के आधार पर रेडी रेकनर की दरें तय की जानी चाहिए. ताकि ये दरें वास्तविक व बाजार की स्थितियाें पर आधारित हाें.
 
आप यह कह रहे हैं कि रेडी रेकनर की दरें औसत के आधार पर तय नहीं हाेनी चाहिए. वास्तव में या निश्चित रूप से क्याें और इसमें क्या बदलाव किए जाने चाहिए ?
- रेडी रेकनर की दरें निर्धारित करते समय हर शहर की जगह की कीमताें और उस समय की स्थिति व तथ्याें काे ध्यान में रखकर तय की जानी चाहिए. रेडी रेकनर दरें अक्सर औसत कीमताें पर आधारित लगती हैं, लेकिन यदि आप व्यावहारिक रूप से उपयुक्त या उचित रेडी रेकनर बनाना चाहते हैं, ताे आपकाे प्रत्येक क्षेत्र की खरीदी के व्यवहार की कम से कम या न्यूनतम दर पर विचार करना हाेगा. रेडी रेकनर की दर का निर्धारण करते समय इसके ुटनाेट्स (पाद लेख या पाद टिप्पणी) की वजह से एक ही प्राॅपर्टी का दाेहरा मूल्यांकन हाेता है. उदाहरण के लिए स्पेशल टाउनशिप जैसे मामलाें या फुटनाेट्स काे सूची से हटा दिया जाना चाहिए. इसके अलावा, इन ुटनाेट्स पर व्यापक विचार कर उसमें वास्तविकता या तथ्याें के आलाेक में सुधार किया जाना चाहिए.
 
ग्राहकाें के मन में क्या डर हाेता है या उन पर काेई प्रेशर आता है?
-प्राेजेक्ट एडज्यूडिकेशन (Project Adjudication) की पद्धति तुरंत शुरू की जानी चाहिए. क्याेंकि हमारा तजुर्बा है कि अगर ऐसा नहीं हाेता है, ताे किसी प्राेजे्नट की दरें कम रहने के बावजूद रेडी रेकनर की दर अधिक रहने से इन्कम टै्नस के डर से कीमत कम हाेने के बावजूद ग्राहक घर खरीदने के लिए नहीं आते. ग्राहकाें काे अब जीएसटी भरना पड़ता है, लेकिन जीएसटी लागू हाेने के बावजूद एलबीसी बंद नहीं हुआ है. उपभाे्नताओं पर इस तरह टै्नस का दाेहरा बाेझ है, इसे कम किया जाना चाहिए.
 
आप किस आधार पर कहते हैं कि रेडी रेकनर दराें काे तय करने की अनुचित विधि के कारण सरकार काे राजस्व का नुकसान हाे जाता है? इस पर आप क्या समाधान सुझाएंगे?
- रेडी रेकनर की दर ध्यान में रखकर उसके अनुसार आगे इन्कम टै्नस, प्राॅपर्टी टै्नस व कंस्ट्र्नशन पर सेस जैसी बातें तय की जाती हैं. इस वजह से रेडी रेकनर की बुनियादी दर उचित हाेना आवश्यक है. साथ ही रेडी रेकनर दर व बिल्डर जिस कीमत में प्राॅपर्टी की बिक्री करते हैं उस दर में जाे फर्क की रकम हाेती है वह राशि ही घर बेचने वाले व खरीदी करने वाले दाेनाें की डीम्ड/नाेशनल आय के रूप में मानी जाती है. इसी वजह से अनुचित बाेझ बढ़ जाता है और इसके परिणामस्वरूप घर खरीदी के व्यवहार कम हाे जाते हैं. इसका असर सरकार के रेवेन्यू पर भी पड़ता है. यानी सरकार काे कम राजस्व मिलने से नुकसान हाे जाता है.