चमचमाती 'चांदी' की ओर देखते समय ग्राहक व निवेशक सावधान रहें

AajKaAanad    04-Aug-2020
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दै.मआज का आनंदफ को दिए गए इंटरव्यू में कमोडिटी विशेषज्ञ व पु. ना. गाडगिल एंड संस के CEO अमित मोडक ने दी सलाह
 
चांदी की कीमतों में वर्तमान में भले ही उछाल दिखाई दे रहा है, लेकिन आम ग्राहकों और निवेशकों को इसी समय में सतर्क रहने की जरूरत है. खासकर अल्पकालिक उतार-चढाव या तेजी-मंदी को देखते हुए खरीदी या बिक्री के संबंध में निर्णय नहीं लेने चाहिए. यह भी ध्यान में रखना होगा कि यदि अब अचानक चांदी की कीमतों में तेजी आई है, तो आने वाला कुछ समय यह विराम (पॉज) का हो सकता है. यह सलाह कमोडिटी विशेषज्ञ व पु. ना. गाडगिल एंड संस के सीईओ अमित मोडक ने दी है. चांदी की चढी हुईं दरें, राइqजग प्राइस के कारण, इसमें खरीदी के अवसर व भविष्यफ विषय पर दै.मआज का आनंदफ प्रतिनिधि द्वारा लिये गये इंटरव्यू का संपादित भाग यहां प्रस्तुत है.
 
प्रश्न - हाल के दिनों में चांदी की कीमतें तेजी से बढी हैं.. ऐसी चर्चा है कि चांदी की कीमतें १ लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती हैं.. इस संबंध में आपका क्या अनुमान है?
उत्तर : इन दरों के आधार पर यह नहीं लगता कि काफी ज्यादा तेजी है, क्योंकि हमने यह देखा है कि अब की तेजी लॉकडाउन के बाद की है. लॉकडाउन के समय चांदी की कीमत लगभग ४०,००० रुपये थी, जो अब ६५,००० तक पहुंची है. यानी तीन महीने में चांदी की कीमतों में करीब ५० फीसदी की तेजी आई है, लेकिन ऐसे समय में एक सरल नियम ध्यान में रखना चाहिए कि काफी तेजी से बढी हुई बात अच्छी नहीं होती. आप रबर की गेंद को उदाहरण के तौर पर देख लीजिए. जोर से पटकी हुई गेंद उछलने के बावजूद उसकी गति भी धीमी पड जाती है और बाद में वह भी नीचे ही आती है. म।लशपीं; यह नहीं कह रहा हूं कि चांदी की कीमतें फिर से बहुत ही कम हो जाएंगी, लेकिन इनकी गति भी धीमी पड जाएगी. तीन महीने में ५० फीसदी, छह महीने में १०० फीसदी और बारह महीने में २०० फीसदी की वृद्धि जैसे अनुमान चांदी की कीमतों के बारे में नहीं लगाने चाहिए. वित्तीय बाजार में तो बिल्कुल भी नहीं.
 
प्रश्न- चांदी की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण चीन और अमेरिका के बीच के व्यापारिक युद्ध को माना जा रहा, इसका नतीजा क्या होगा?
उत्तर : आने वाले समय में चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार छिड जाने की उम्मीद जताई जा रही है. चांदी एक धातु है, जिसका उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. इसलिए यदि चीन-अमेरिका व्यापारिक युद्ध में औद्योगिक मंदी शुरू होती है तो फिर चांदी में भी मंदी आ सकती है. यानी चांदी की दरवृद्धि में ठहराव आ सकता है. इसलिए, खरीदारों को सावधानी बरतनी चाहिए. अगले १२ से २४ महीनों का आकलन करना हो तो चांदी की दरें ४५,००० रुपये से ७०,००० रुपये प्रति किलो के बीच रह सकती हैं..
 
प्रश्न- लॉकडाउन के बाद की अवधि को ध्यान में लिया जाये तो सोने की दरें जिस तरह बढी हैं. उसी तरह चांदी के दामों में भी बढोतरी हुई है. इसमें निश्चित तौर पर क्या संबंध हो सकता है ?
उत्तर : यह देखने में आता है कि चांदी और सोने की जो कीमतें होती हैं. उनमें पारंपरिक तरीके से एक तरह का अनुपात या रेश्यो होता है. एक किलो चांदी और एक किलो सोना इन दोनों की रुपयों में जो कीमत होती है उस पर गौर करने पर यह बात ध्यान में आयेगी कि एक किलो चांदी की जो कीमत होती है, उससे लगभग ७० से ८० गुना एक किलो सोने की दर होती है. हालांकि, अगर हम पिछले कुछ समय की इन दोनों धातुओं की कीमतों पर नजर डालेंगे तो यह पता चलेगा कि इनका अनुपात लगभग १२० गुना हो गया था. यानी सोने की कीमत बढ रही थी, लेकिन चांदी की कीमत अपेक्षाकृत कम थी. उदाहरण के लिए बताता हूं कि वर्ष २००० में चांदी की कीमत ८,००० रुपये प्रति किलोग्राम थी और उसी समय सोने की कीमत लगभग ४ लाख से साढे ४ लाख रुपये प्रति किलो थी. यानी तब यह प्रति किलो का रेश्यो या अनुपात आम तौर पर ५० से ६० गुना था. फिर अचानक सोने में तेजी आई और २०११ तक सोने की कीमत बढकर २० लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई. इसके बाद चांदी की दर भी ३०,००० रुपये से ३५,००० रुपये हो गई. संक्षेप में कहूं तो दोनों धातुओं का मूल्य अनुपात ७० से ८० गुना हो गया.
 
प्रश्न- क्या लॉकडाउन के दौरान इस अनुपात में कोई अंतर हुआ, जिससे चांदी की कीमतें बढ गई हैं.?
उत्तर : अब हाल के उदाहरण पर नजर दौडाई जाए तो लॉकडाउन से पहले चांदी ३६,००० रुपये प्रति किलो की दर से मिल रही थी और उसी समय सोने की दर ४२ लाख रुपये प्रति किलो थी. यानी यह अनुपात १२० गुना तक था. इसलिए, ऐसी स्थिति में पारंपरिक ७० से ८० गुना का अनुपात बनाए रखने के लिए चांदी की कीमत का बढना आवश्यक था. और अब निश्चित तौर पर ठीक वैसा ही हुआ है. अभी कुछ दिन पहले की ही बात लें तो ध्यान में आयेगा कि सोने की कीमत ५२ लाख रुपये प्रति किलो थी और उसी समय चांदी की कीमत ६५,००० रुपये प्रति किलो तक पहुंची. यानी अनुपात ८५ गुना था. अब पिछले हफ्ते एमसीएक्स पर चांदी ६२,००० रुपये थी, वहीं सोना ५० लाख रुपये प्रति किलो में मिल रहा था. यानी उस समय इस परंपरागत अनुपात में ८५ गुना गिरावट हुई.
 
प्रश्न- दरवृद्धि की यह रफ्तार कितने व्नत तक बरकरार रहने का अनुमान है ?
उत्तर : ऐसी स्थिति में यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यदि सोने की मौजूदा कीमत स्थिर हुई, तो चांदी की दर भी स्थिर हो जाएगी. यदि सोने की कीमत बढती है, तो अनुपात बनाए रखने के लिए चांदी की दर भी बढेगी. अगर सोने की कीमतों में गिरावट आती है, तो चांदी की दरों में और भी ज्यादा गिरावट होने की संभावना है.
 
प्रश्न- अनुपात के अलावा, क्या चांदी की कीमतों में वृद्धि का कोई अन्य कारण है?
उत्तर : वर्तमान में चांदी की कीमतों में वृद्धि का एक और महत्वपूर्ण कारण है पेरू और चिली स्थित कॉपर माइंस (तांबे की खदानों) के परिसर में स्ट्राइक की संभावना. आप इसकी जानकारी इंटरनेट पर पा सकते हैं.. हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि चांदी धातु तांबे (कॉपर) का एक उपोत्पाद यानी बाइप्रोड्नट है. चिली स्थित कॉपर माइन में तांबे का सर्वाधिक उत्पादन होता है. वहां पर भी स्ट्राइक की संभावना थी. ये दोनों संभावित स्ट्राइक भी मौजूदा दौर में चांदी में तेजी लाने की वजह साबित हुए हैं..
 
प्रश्न- पिछले एक हफ्ते में चांदी के ईटीएफ में भी जबर्दस्त तेजी देखी गई. इस ओर आप कैसे देखते हैं.?
उत्तर : अमेरिकी बाजार में चांदी का ईटीएफ (ए्नसचेंज ट्रेडेड फंड) पिछले ५ से ७ वर्षों के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. यह भी चांदी की कीमतों में वृद्धि का एक और महत्वपूर्ण कारण है. शीर्ष पर यानी यह चांदी की प्रति यूनिट २१ डॉलर तक पहुंच गया. पहले इसकी सबसे कम कीमत प्रति यूनिट १० डॉलर।पली;ितक कम भी हुई है. पिछले सप्ताहभर में १ आ।लशपीं;स चांदी की कीमत २१ डॉलर तक पहुंच गई. यह आंकडा पिछले दो से तीन सालों में सबसे ज्यादा है तथा २१ डॉलर का स्तर पांच साल में सर्वाधिक है. अब जब चांदी ने उच्च मूल्य स्तर को छू लिया है तो कुछ समय तक यह व्नत उसके विराम (पॉज) का हो सकता है, क्योंकि इस तरह का अनुभव हमने इससे पहले भी लिया है. जब चांदी की कीमत ७५,००० रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थी, तब चांदी के १ लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंचने की उम्मीद में लोगों ने जमकर खरीदी की थी. हालांकि, ७५,००० रुपये प्रति किलो की दर का स्तर छू लेने वाली चांदी उसके बाद लगभग ९ साल तक यह दर नहीं देख सकी. इस बीच के समय में उस दर से प्रति किलो २८,००० रुपयों की कीमत का स्तर भी देखा गया है. यानी एक समय चांदी की कीमत एक आ।लशपीं;स के लिए १२ डॉलर तक नीचे आई थी.
 
प्रश्न- यदि ऐसी ही स्थिति रहेगी तो फिर अ्नसर चांदी की ऊंची कीमतों का उल्लेख क्यों किया जा रहा है? इस पर हमें कितना विश्वास करना चाहिए ?
उत्तर : अभी नई-नई दरें बताने की जैसी प्रतियोगिता शुरू हुई दिखती है. खासकर सट्टा बाजार में यह बताते हैं. कि वे जब ऊंची दरें बताते हैं. तब मंदी आयेगी और जब कम दरें दर्शायेंगे तो तेजी आयेगी. तस्वीर तो यही नजर आ रही है. क्योंकि आम आदमी भी इस तरह की चर्चाओं में दिलचस्पी लेता है. वह सट्टा लगाने के बारे में सोचता है. कम समय में बडी कमाई करने की सोचता है और ठीक उसी व्नत पर बूम खत्म हो जाता है. अपने पास स्टोर किया हुआ माल खरीदने के लिए कोई ग्राहक आना चाहिए और बडी संख्या में खरीदारों को जुटाने के उद्देश्य से ऐसी चर्चाएं कराई जाती हैं.. ऐसी स्थिति में हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ग्राहकों के दो प्रकार होते हैं.. एक होता है ममासफ ग्राहक और दूसरा म्नलासफ ग्राहक. जब ममासफ ग्राहक बाजार में आता है तब मक्लासफ ग्राहक ठीक उसके विपरीत व्यवहार करता है. यानी जब ममासफ की ओर से मांग बढती है, तभी म्नलासफ के ग्राहक उन चीजों की ऊंची दरों में बिक्री करते हैं..