२८ प्रतिशत पुणेवासी झोपडपट्टी में रहने को मजबूर

AajKaAanad    05-Aug-2020
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पुणेवासी झोपडपट्टी_1 
 
शहर की ४८६ झोपडपट्टियों में एक लाख ६५ हजार झोपिडया
 
देश में तेजी से विकसित होने वाले शहरों में पुणे शहर का नंबर काफी ऊपर है. ऐसे में शहर में कुल ४८६ झोपडपट्टियां हैं.. शहर की कुल आबादी की तुलना में करीब २८ प्रतिशत नागरिक यानी करीब दस लाख लोग ऐसी झोपडपट्टियों में रहने मजबूर हैं.. महाराष्ट्र का कैलिफोर्निया तथा पूर्व दिशा का ऑ्नसफोड ऐसे नामों से प्रसिद्ध होने वाले शहर की झोपडपट्टियां भी एक सच्चाई हैं.. शहर की झोपिडयों की संख्या में तेजी से बढने की जानकारी पुणे मनपा द्वारा विमोचित पङ्र्मावरण सद्यस्थिति रिपोट से सामने आयी है.
 
शिक्षा और आईटी हब के कारण पुणे शहर राज्य में काफी तेजी से आगे आया है. सामाजिक सुरक्षितता तथा अच्छी नागरी सुविधाओं के कारण स्थानांतरण करने वालों से शहर की वृद्धि तेजी से हो रही है. वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार शहर की स्थानांतरित जनसंख्या यानी रोजगार और शिक्षा के लिए आने वालों की जनसंख्या १० प्रतिशत है. वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या वृद्धि की दर २२.७३ प्रतिशत थी. इसके अनुसार करीब ३६ लाख जनसंख्या वाले शहर में करीब ५ लाख जनसंख्या स्थानांतरितों की है.
 
पिछले कुछ वर्षों से शहर में रोजगार के मौके लगातार बढ रहे है. विकसित होने वाला आईटी हब, कंस्ट्र्नशन क्षेत्र, छोटे-बडे उद्योग-व्यवसाय तथा सेवा क्षेत्र में बडे पैमाने पर रोजगार बढ रहे हैं.. इससे राज्य के विभिन्न विभागों से विद्यार्थी, व्यावसायिक, नौकरदार और मजदूर वर्ग पुणे की ओर लगातार बढ रहा है. इनमें मजदूर वर्ग का प्रमाण काफी ज्यादा है. यह मजदूर वर्ग बडे पैमाने पर झोपडपट्टियों में रहता दिखाई देता हैं.. साथ ही स्थानांतरण करने वालों में गरीब परिवार काफी ज्यादा संख्या में होते है. शहर में रोजगार के लिए आने पर रहने के विकल्प में रूप में वे झोपडपट्टियों का ही सहारा लेते नजर आते हैं..
 
वर्तमान में शहर के १५ वाड ऑफिसेस के क्षेत्र में घोषित और अघोषित ऐसी ४८६ झोपडपट्टियां और बस्तियां हैं.. इन झोपडपट्टियों में करीब साढे छह लाख मजदूर रहते हैं.. झोपडपट्टियों में घरों की कुल संख्या एक लाख ६५ हजार है. लगभग दस लाख लोग झोपिडयों में रहने को मजबूर है. झोपडपट्टी में रहने वाले नागरिकों के लिए झोपडपट्टी पुनर्वसन जैसी योजनाओं पर कुछ जगहों पर अमल किया गया है, लेकिन अब भी ज्यादातर नागरिक झोपडपट्टी में रहते दिखाई देते हैं.. झोपडपट्टी मुक्त शहर करने की घोषणाएं की जाती हैं., लेकिन प्रत्यक्ष में किसी भी उपाय पर तेजी से अमल होते दिखाई नहीं देता.