पाकिस्तान का वो मुर्गा, जो आठ महीने बाद पुलिस की हिरासत से रिहा हुआ

AajKaAanad    05-Aug-2020
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पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जिला घोटमी में एक स्थानीय अदालत ने पुलिस की हिरासत में रह रहे एक मुर्गे को रिहा कर उसके मालिक के हवाले करने का आदेश दिया है. सिंध के दो थानों में पांच मुर्गे पुलिस के मेहमान बने रहे, जिनमें से एक को अब रिहाई मिल गई है. पुलिस ने उन्हें मुर्गों की लडाई के खेल पर छापेमारी के दौरान खेल में शामिल लोगों के साथ हिरासत में लिया था.
 
मेहमान मुर्गे पुलिस की जेब पर भारी : थाना प्रभारी मुमताज सिरकी का कहना है कि अभियुक्त तो जमानत पर रिहा हो गए थे, लेकिन ये मुर्गे केस प्रोपटी की हैसियत से पुलिस के पास रह गए थे और जब तक अदालत इन पर कोई फैसला नहीं करती तब तक उन मुर्गों को सही-सलामत रखने की जिम्मेदारी थाने की थी. थाने में उन मुर्गों को लॉकअप या मालखाने में नहीं रखा गया था, बल्कि उन्हें खुली जगह में रखा गया था, लेकिन उनकी टांग में रस्सी बांध दी गई थी. लेकिन पुलिस की मुश्किल ये है कि ये मुर्गे रोजाना करीब सौ रुपए का बाजरा खा जाते हैं. और पुलिस को ये पैसे अपनी जेब से देने पडते हैं.्.
 
कानूनन अपराध है : पाकिस्तान में इसे अपराध करार दिया गया है, जिसके लिए एक साल तक की सजा हो सकती है और ५०० रुएप का जुर्माना भी लग सकता है. पुलिस के अनुसार अगर कोई मवेशी पकडा गया है तब तो उसे सरकारी कैटल फार्म में भेज दिया जाता है लेकिन परिंदों और मुर्गों के लिए कोई आधिकारिक आदेश नहीं है कि उनका क्या करना है. वकील लाला हसन पठान के अनुसार इस मामले में कानून खामोश है कि अगर परिंदे पकडे गए तो उनका क्या करना है? पठान के मुताबिक आम तौर पर पुलिस परिंदों का कभी केस डायरी में जिक्र नहीं करती है, या तो उन्हें उनके मालिक के हवाले कर देती है या फिर खुद उनका इस्तेमाल कर लेती है. ऐसे कम ही मामले हैं. जिनमें उन मुर्गों को केस का हिस्सा बनाया गया है. इस मामले में यही परेशानी हुई कि न तो किसी ने उन मुर्गों पर अपनी दावेदारी पेश की और ना ही पुलिस ने उनका इस्तमाल किया. पुलिस ने बाजाब्ता उनको केस का हिस्सा बनाया और इसी कारण ये पेचीदगी पैदा हुई्.