जमीन से हजाराें फुट नीचे बसा अनाेखा गांव, जहां छिपे हैं कई गहरे राज़ : भाग २

    10-Sep-2020
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हर साल गांव में करीब बीस हजार लाेग यहां की कुदरती खूबसूरती और यहां की जिंदगी देखने के लिए आते हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए सभी सैलानियाें काे हवासुपाई की ट्राइबल काउंसिल की इजाजत लेनी पड़ती है. फरवरी महीने से नवंबर तक सैलानी यहां के लाेगाें के साथ उनके घराें में रह सकते हैं. चांदनी रात में झरनाें से गिरते पानी की आवाज के साथ गांव की खूबसूरती का मजा ले सकते हैं.
 
हवासुपाई गांव के लाेगाें की जिंदगी आसान बनाने वाले खच्चराें के लिए बीते कई दशकाें से आवाज उठ रही है. सैलानियाें की बढ़ती तादाद के साथ इन खच्चराें पर दबाव बढ़ने लगा है. इनसे जरूरत से ज्यादा काम लिया जा रहा है. साईस घाेड़े और खच्चराें काे सेहत काे नजरअंदाज कर बिना खाना-पानी के आठ मील दूर तक चलाते रहते हैं. हालांकि ऐसा हर काेई नहीं करता. इसीलिए हवासुपाई ट्राइबल काउंसिल ने ऐसे साईसाें की टीम बना दी है, जाे काराेबार में इस्तेमाल हाेने वाले सभी जानवराें की देखभाल करते हैं. ये एक से दस नंबर के पैमाने पर जानवराें काे सेहत का सर्टिफिकेट देते हैं.
 
एरिजाेना यूं ही सूखा राज्य है. यहां की ग्रैंड कैनियन में बारिश बहुत कम हाेती है. सालाना बारिश नाै इंच से भी कम रिकाॅर्ड की जाती है है, लेकिन यहां के तीस हजार साल पुराने पानी के चश्मी कभी पानी की किल्लत नहीं हाेने देते. वैज्ञानिक पता लगाने की काेशिश कर रहे हैं कि इस रेगिस्तानी इलाके में फिराेजी पानी के झरने इतने सालाें से कैसे रवां हैं. पानी में ये फिराेजी रंग आता कहां से है. दरअसल यहां की चट्टानाें और जमीन में चूना पत्थर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. पत्थर पर पानी गिरने के साथ जब हवा मिलती है ताे एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया हाेती है और कैल्शियम कार्बाेनेट बनने लगता है. सूरज की राेशनी पड़ने पर यही पानी फिराेजी रंग का नजर आता है.
 
यूराेपीय लाेगाें के अमरीका आकर बसने से पहले हवासुपाई का रकबा लगभग 16 लाख एकड़ था, लेकिन इस इलाके के कुदरती जखीरे पर जब सरकार और सरहदी लाेगाें की नजर पड़ी ताे उन्हाेंने यहां कब्जा करना शुरू कर दिया. व्यापारियाें ने यहां रहने वाली बहुत-सी जनजातियाें काे जबरन उखाड़ फेंका. इनके हक के लिए हवासुपाई के आदिवासियाें ने लंबी लड़ाई लड़ी है. 1919 में अमेरिका के राष्ट्रपति थियाेडाेर रूजवेल्ट ने ग्रैंड कैनियन काे नेशनल पार्क सर्विस का हिस्सा बनाया.
 
सरकारी याेजना के तहत यहां के बहुत से लाेगाें काे राेजगार मिला, लेकिन इसके बावजूद अपनी जमीन के लिए इनकी लड़ाई जारी रही. 1975 में राष्ट्रपति जेराल्ड फाेर्ड ने करार के तहत 1,85,000 एकड़ जमीन का कंट्राेल हवासुपाई के लाेगाें काे दे दिया. आज यहां के लाेग सिर्फ कैनियन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यहां के जंगलाें में शिकार करने का हक भी इन्हें मिल गया है.