यूनिवर्सिटी के कर्मचारियाें का कलम बंद आंदाेलन

    30-Sep-2020
Total Views |

pune_1  H x W:
 
सभी कामकाज बंद; अधिकारी भी आंदाेलन में शामिल : दाे दिनाें में लिखित पत्र देंगे, शिक्षा मंत्री का आश्वासन
 
सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के कर्मचारियाें ने साेमवार काे अपनी लंबित मांगाें काे लेकर कलम बंद आंदाेलन किया. उनके इस आंदाेलन में अधिकारी भी शामिल हाे गए. इस आंदाेलन से यूनिवर्सिटी का कामकाज पूरी तरह ठप्प रहा. इस आंदाेलन के 100 प्रतिशत सफल हाेने का दावा आंदाेलनकारियाें ने किया है. इस बार उच्च शिक्षा मंत्री उदय सावंत की कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियाें के साथ ऑनलाइन बैठक हुई.
 
उन्हाेंने आने वाले दाे दिनाें में कर्मचारियाें की लंबित मांगाें काे लेकर लिखित पत्र देने का आश्वासन दिया. यह जानकारी विद्यापीठ कृति समिति के सचिव संताेष मदने व महासचिव शिवाजी उत्तेकर ने दी. उन्हाेंने कहा कि, जब तक लिखित पत्र हाथ में नहीं मिलता, तब तक आंदाेलन जारी रहेगा. इस अवसर पर बडी संख्या में यूनिवर्सिटी के कर्मचारी यूनिवर्सिटी की मुख्य बिल्डिंग परिसर में एकत्रित हुए. इस बीच सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के अधिकारी फाेरम के प्रदीप काेली ने कर्मचारी संगठन के आंदाेलन काे संबाेधित करते हुए अपना समर्थन देने की घाेषणा की. इसके कारण आंदाेलन और तेज हाेने की संभावना है.
 
यूनिवर्सिटी के 850 कर्मचारी आंदाेलन में शामिल हुए और 100 अधिकारियाें काे समर्थन हाेने की जानकारी मदने ने दी. काेराेना के कारण पहले से ही ठप्प हुए काेराेना के कामकाज पर आंदाेलन से और विपरित असर हुआ है. अब कलम बंद कामकाज से हाेने वाले असर के लिए पूरी तरह राज्य सरकार जिम्मेदार है. यह आंदाेलन राज्य के 16 अकृषिक यूनिवर्सिटी व महाविद्यालय की संयुक्त कृति समिति द्वारा किया गया. 24 अक्टूबर से शुरू हुआ आंदाेलन कल 30 सितंबर तक जारी रहेगा. इसके बाद भी यदि मांगें मान्य नहीं हुईं, ताे 1 अक्टूबर से राज्य की सभी यूनिवर्सिटीज में और सभी महाविद्यालयाें काे अनिश्चितकाल के लिए बंद किया जाएगा. यह चेतावनी यूनिवर्सिटी के शिक्षकेत्तर सेवक कृति समिति ने दिया है. कर्मचारियाें के लंबित मांगाें काे में 7वें वेतन आयाेग काे तत्काल लागू किया जाना भी है.
 
इसके अलावा आश्वासित प्रगत याेजना के रद्द किया गया जीआर में सुधार कर तत्काल प्रभाव से लागू करने और सुप्रीम काेर्ट के 2018 के आदेशानुसार प्रमाेशन की तत्काल लागू किया जाए. अपने न्यायिक मांग के लिए राज्य के यूनिवर्सिटी के अधिकारी व कर्मचारी के विभिन्न संगठन कानूनी तरीके से अपनी लड़ाई लड़ रहे थे, लेकिन शासन से रिस्पांस नहीं मिलने के कारण आंदाेलन का सहारा लेना पड़ा.