हमारे आस-पास ही कई ऐसी खाने-पीने की चीजें हाेती हैं, जिनका उपयाेग औषधि के रूप में भी किया जाता है. ताल मखाना काे लाेग सामान्यतः भून कर खाते हैं. यह काफी टेस्टी हाेता है. इससे कई राेगाें का उपचार हाेता है.
ताल मखाना : इसे काली कंता भी कहते हैं. यह एक सीधा वनाैषधीय पाैधा है, जाे करीब 150 सेमी तक का हाेता है. इसके फूल आठ पत्तियाेंवाले व चक्राकार हाेते हैं.
ये नीले रंग के हाेते हैं. ये पूरे भारत में नमीवाले स्थानाें में पाये जाते हैं.
औषधीय प्रयाेग : इसके पूरे पाैधे से दवाई बनायी जाती है. यह गठिया तथा मूत्र संबंधी राेगाें काे दूर करने में सहायक है. इसके बीज काे पीस कर लगाने से फिरंग राेग व सिफलिस में फायदा हाेता है. इसका चूर्ण बनाकर सिफलिस के राेगी काे दिया जाता है. इसकी पत्तियां खांसी काे ठीक करती हैं. पत्तियाें का काढ़ा बनाकर लेने से खांसी ठीक हाे जाती है. इसका स्वरस लेने से धातु संबंधी राेग भी ठीक हाे जाते हैं. यह सुरक्षित दवा है.
नील फल : इसे काला दाना भी कहते हैं. यह वार्षिक पाैधा है, जिसमें राेयेंदार संरचना हाेती हैं. इसके फूल चार से पांच सेमी लंबे व शंकु आकार के हाेते हैं. इनका रंग नीला या नारंगी हाेता है. इसके फल लगभग आठ सेमी के व अंडाकार हाेते हैं. इसके फूल जब तक पेड़ पर लगे रहते हैं तब तक ये नीले रंग के हाेते हैं.
टूटते ही इनका रंग परपल हाे जाता है.
यह भी पूरे भारत में पाया जाता हैं.
औषधीय गुण : इसके बीज से दवा बनायी जाती है.
इसका बीज कब्जनाशक है और जुलाब के रूप में प्रयाेग किया जाता है. इसका अधिक प्रयाेग नहीं करना चाहिए अन्यथा पेट में जलन हाे सकती है.