फ्रैक्चर ठीक होने की अवधि और इलाज भी अलग-अलग होते हैं

    02-Oct-2021
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डॉ. मंगेश पाटिल
 
चीफ ट्रॉमा अँड एक्सीडेंट सर्जन व
साईश्री हॉस्पिटल संचालक
 
डीपी रोड, औंध, पुणे 411007
फोन : 020-67448600/25888600
मोबा : 9689930608/12
web : www. saishreehospital.org
 
 
 
 
 
साईश्री हॉस्पिटल के चीफ ट्रॉमा एंड एक्सीडेंट सर्जन तथा डायरेक्टर डॉ. मंगेश पाटिल द्वारा जानकारी
 
चलते, फिरते अथवा खेलते समय गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है. चोट अगर गंभीर हो तो फ्रैक्चर होने की आशंका भी बनी रहती है. लेकिन फ्रैक्चर भी कई तरह के होते हैं और उनके इलाज भी अलग-अलग होते हैं. कभी प्लास्टर करवाना होता है तो कभी-कभी सर्जरी भी करनी पड़ती है. साईश्री हॉस्पिटल के चीफ ट्रॉमा एंड एक्सीडेंट सर्जन तथा हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. मंगेश पाटिल से इस संदर्भ में कुछ लोगों ने प्रश्‍न पूछे थे. उनके जवाब देकर डॉ. पाटिल ने उनके संदेह दूर कर दिए हैं.
 
फ्रैक्चर क्या होता है और फ्रैक्चर का उपचार कौन सी चीजों पर निर्भर होता है?
 
उत्तर: फ्रैक्चर यानी मूल रूप से हड्डी का सरकना होना है, एक ऐसी घटना जिसमें हड्डी 2 या अधिक टुकड़ों में टूट जाती है. फ्रैक्चर का उपचार चोट लगने के तुरंत बाद शुरू होता है और आमतौर पर यह फ्रैक्चर का हिस्सा/अंग, फ्रैक्चर की तीव्रता, मरीज की उम्र और फ्रैक्चर के एरिया के आसपास के नरम ऊतकों (soft tissues) के अनुसार आगे बढ़ता है अथवा उसमें सुधार होता है. आमतौर पर फ्रैक्चर का उपचार टूटी हुई हड्डियों की स्थिरता, उस हिस्से रक्त की आपूर्ति, अगर फ्रैक्चर खुला फ्रैक्चर है (यानी इसके आसपास कोई घाव है), मरीज की सामान्य स्थिति और मरीज के पोषण की स्थिति यानी मरीज को लत हो अथवा स्मोकिंग की आदत होना, बीपी या मधुमेह जैसी अन्य बीमारियां होना, उपचार के लिए मरीज को लंबे समय से दवा या नशीली दवा दिया जाना और बिसफॉपफोनेट्स (bisphosphonates) से युक्त किसी किसी विशेष दवा का अत्यधिक उपयोग किया जाना आदि पर निर्भर होता है. ये सभी बिंदु फ्रैक्चर के उपचार को प्रभावित करते हैं.
 
फ्रैक्चर ठीक होने में कितना समय लगता है?  क्या यह हमेशा निश्चित होता है या या यह प्राकृतिक रूप से ठीक हो जाता है?
 
उत्तर : फ्रैक्चर ठीक होने की कोई निश्चित अवधि नहीं है क्योंकि पहले बताई गई कई ऐसी चीजें हैं जिन पर फ्रैक्चर का ठीक होना निर्भर होता है. अगर शरीर के ऊपरी हिस्से में फ्रैक्चर होता है तो उपचार की अवधि 6 से 8 सप्ताह के बीच होती है, जबकि अगर शरीर के निचले हिस्से में फ्रैक्चर होता है तो उपचार की प्रक्रिया चोट की तीव्रता के अनुसार 3 से 4 महीने चलती है. सामान्य तौर पर जैसे-जैसे हम पैरों से कूल्हे के जोड़ की ओर बढ़ते हैं वैसे-वैसे इसकी अवधि बदलती और बढ़ती जाती है.
 
मालयूनियन फ्रैक्चर क्या होता है और मरीज पर इसका क्या असर होता है? ऐसे फ्रैक्चर का इलाज कैसे किया जाता है?
 
उत्तर : मालयूनियन का अर्थ है कि फ्रैक्चर ठीक हो गया है, लेकिन सही स्थिति में नहीं जैसा कि वास्तव में उसे होना चाहिए. इसका मतलब उसका अलाइनमेंट (alignment) सही नहीं होता है. जब घुमावदार अलाइनमेंट (rotational alignment) अथवा हड्डी की लंबाई में समस्या होती है तो हम ऐसे मामलों को मालयूनियन फ्रैक्चर कहते हैं. मालयूनियन के कारण गतिविधियों पर प्रतिबंध (restricted movement), अंगों की लंबाई में असमानता, न्यूरो-वैस्कुलर प्रॉब्लम जिनमें नस मालयूनियन फ्रैंगमेंट में फंसकर जम जाती है अथवा दब जाती है अथवा फंस जाती है जैसी समस्याएं आती हैं और कुल मिलाकर मरीज की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है. अगर इन फ्रैक्चर का असर गंभीर हो तो गलत तरीके से जुड़ी (malunited) हड्डियों को तोड़कर उन्हें उसे सही स्थिति में स्थापित करने का उपचार किया जाता है.
 
फ्रैक्चर का देरी से जुड़ना क्या होता है और इसका इलाज कैसे किया जाता है?
 
उत्तर : देरी से जुड़ना एक ऐसी स्थिति है जिसमें फ्रैक्चर ठीक होने में सामान्य समय से अधिक समय लेता है लेकिन यह मालयूनियन फ्रैक्चर की श्रेणी में नहीं आता. उस हिस्से को स्थिर करके और हार्मोनल थेरेपी जैसी ट्रीटमेंट देकर इसका इलाज किया जा सकता है जिससे फ्रैक्चर के ठीक होने की गति बढ़ जाती है. सर्जरी की दृष्टि से, देरी से जुड़ने का इलाज फिक्सेशन (fixation) में सुधार करके किया जा सकता है. अगर हम अनुमान लगाते हैं कि कोई फ्रैक्चर न जुड़ने वाला (non-union) फ्रैक्चर हो सकता है तो हम ऐसे मामलों में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप कर सकते हैं और संभावित न जुड़ने वाले केसेज का इलाज कर सकते हैं.
 
नॉन-यूनियन फ्रैक्चर क्या होता और नॉन- यूनियन फ्रैक्चर का कारण क्या होता है?
 
उत्तर : नॉन-यूनियन एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डी के टूटे हुए सिरे एक निश्चित अवधि के बाद (ऊपरी अंग के मामलों में 4-6 महीने और निचले अंगों के मामलों में 8-9 महीने) भी एकजुट नहीं हो सकते. यह आमतौर पर तब होता है जब मरीज की टूटी हुई हड्डी अस्थिर होती है, अगर उस हिस्से की रक्तप्रवाह की क्षमता (vascularity) कम होती है, टूटी हुई हड्डी का खुले घाव से संपर्क होता है, अगर मरीज को पोषण की आपूर्ति खराब है, मरीज अगर लंबे समय से स्मोकिंग करता है और हृदय को रक्त की आपूर्ति कम होती है, मरीज को चोट की जगह पर संक्रमण हो रहा है और अगर मरीज ड्रग का अधिक इस्तेमाल करता है. ये सभी चीजें न जुड़ने वाले फ्रैक्चर के मामलों में असरकारक होते हैं.
 
न जुड़ने वाले फ्रैक्चर के लिए उपचार की पद्धति कौन-सी है?
 
उत्तर: यह नॉन-यूनियन फ्रैक्चर होने में योगदान देने वाले किसी कारण या कई कारणों पर निर्भर करता है जैसे रक्त की आपूर्ति कम होना, संक्रमण आदि. अगर फ्रैक्चर को अच्छी तरह से स्थिर नहीं किया जाता है, तो फ्रैक्चर हुई हड्डी की स्थापना (fixation) सही नहीं होती. फ्रैक्चर को जुड़वाने के लिए नॉन-यूनियन फ्रैक्चर होने के कारण का पता चलना आवश्‍यक है. इसके प्रकार के आधार पर, ऑपरेटिव तकनीक भिन्न हो सकती है. जैसे अगर फ्रैक्चर साइट पर स्थिरता कम है, तो हमें स्थिरता लाने के लिए लॉकिंग प्लेट जैसे कठोर इम्प्लांट बिठाना पड़ता है. अगर फ्रैक्चर साइट पर शरीर की प्रतिक्रिया कम होती है, तो हमें फ्रैक्चर साइट को ऑगमेंट करना पड़ता है यानी बोन ग्राफ्टिंग. इसमें नॉन-यूनियन फ्रैक्चर तेजी से ठीक होने के लिए हम पेल्विक रीजन से हड्डी का एक हिस्सा लेते हैं. इस प्रकार नॉन-यूनियन फ्रैक्चर के इलाज की पद्धति हड्डी न जुड़ने के कारणों के अनुसार अलग हो सकती है.