तीन सदस्यीय प्रभाग रचना से बदलेंगी वार्ड की सीमाएं

09 Oct 2021 07:55:15
 
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भाजपा नगरसेवकों में बढ़ा चिंता का माहौल : नेताओं के दल-बदल में आ सकती है तेजी

  
पिंपरी, 8 अक्टूबर (आ.प्र.)
 
तीन नगरसेवकों के प्रभाग की रचना पर भाजपा ऊपरी तौर पर खुश नजर आ रही है लेकिन प्रभाग की बदलने वाली रचना के कारण भाजपा नगरसेवकों में चिंता का माहौल है. नए प्रभागों में अपने स्थायी वोटर का मन बदल गया तो क्या होगा? इसका डर उनमें व्याप्त है. इसलिए चार सदस्यीय वार्ड व्यवस्था को लेकर नगरसेवकों के खिलाफ नागरिकों की नाराजगी को कैसे शांत किया जाए? इसको लेकर भाजपा नेतृत्व विचार- मंथन कर रहा है. राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि भविष्य में होने वाले नगरसेवकों के दल-बदल, निष्ठावान उम्मीदवारों का अभाव और वोटबैंक में लगी सेंध के कारण भाजपा की जीत का आंकड़ा कम होगा.
 
राज्य चुनाव आयोग ने मनपा चुनाव के लिए प्रभाग रचना का ड्राफ्ट प्लान तैयार करने के आदेश दिए हैं. इसके अनुसार प्रशासन ने काम करना शुरू कर दिया है. जनसंख्या और मतदाताओं की संख्या के आधार पर वार्डों की सीमाएं तय की जाएंगी. इसलिए पुराने वार्डों की सीमाएं बहुत बदलने वाली हैं. शहर में अब 43 प्रभाग होंगे जिनमें से 42 प्रभाग में तीन सदस्य होंगे और एक प्रभाग में दो सदस्य होंगे. प्रभाग की रचना करते समय तीन वार्डों को मिलाकर एक प्रभाग बनाया जाएगा. इसमें यह ध्यान रखने के लिए कहा गया है कि भौगोलिक निरंतरता कायम रहे.
 
राजनीतिक दलों और इच्छुकों की सबसे बड़ी आपत्ति वार्डों को तोड़-मरोड़कर की जाने वाली प्रभाग रचना पर ही होती है. विपक्षी दलों की आपत्ति होती है कि सत्ताधारी अपने विजय के लिए अनुकूल प्रभाग रचना करते हैं. जीत का समीकरण प्रभाग रचना पर ही निर्भर होता है. यह केवल इच्छुक प्रत्याशी ही नहीं बल्कि नगरसेवक भी कहते हैं क्योंकि अगर बड़ी संख्या में अपने स्थायी वोटरों को हटाया गया तो उनकी जीत का गणित बिगड़ जाता है. इसलिए, मौजूदा नगरसेवकों के साथ-साथ इच्छुकों में चिंता है कि यह प्रभाग रचना कैसे बनती है? पिछली बार चार वार्डों का प्रभाग था.
 
अगर वह इस बार दो वार्डों का होता तो प्रभाग रचना अधिक आसान बनती. लेकिन तीन वार्डों के कारण पुराने ढांचे में बड़ा बदलाव होगा. एनसीपी के हाथों में लगातार पंद्रह साल तक मनपा रही. सन 2017 के चुनावों में भाजपा ने बहुमत हासिल किया और उस पर कब्जा कर लिया. एनसीपी को विपक्ष की भूमिका निभानी पड़ी. उनकी समान विचारधारा वाली पार्टी कांग्रेस तो मनपा में प्रवेश भी नहीं कर पाई. शिवसेना और मनसे की ताकत 2012 की तुलना में कम हुई है. अब भी कहा जा रहा है कि चार सदस्यीय प्रभाग रचना के चलते भाजपा को फायदा हुआ है.
 
अब आगामी चुनाव तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति से होंगे. भाजपा नेता कह रहे हैं कि इससे उन्हें फायदा होगा. एनसीपी को दो सदस्यीय प्रणाली की उम्मीद थी. कांग्रेस को दो सदस्यीय प्रणाली और छोटे दलों को एक सदस्यीय प्रणाली की उम्मीद थी. शिवसेना के तीन सदस्यों के प्रभाग पर कायम रहने के बावजूद 2017 के चुनावों में उनकी ताकत 2012 की तुलना में कम हो गई थी. मनसे की संख्या भी चार से घटकर एक हो गइ
 
नए नेतृत्व के उभरने की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई
 
राज्य में महाविकास आघाड़ी सरकार ने तीन सदस्यीय वार्ड प्रणाली में चुनाव कराने का फैसला किया है. राज्यपाल ने भी राज्य सरकार के इस फैसले पर मुहर लगाई है. इसलिए भाजपा नगरसेवक सतर्क हो गए हैं. भाजपा ने 2017 के चुनावों में 77 सीटें, एनसीपी ने 36 सीटें, शिवसेना ने 9 सीटें और मनसे ने 1 सीट जीती थीं. चार वार्डों के प्रभाग पद्धति में भाजपा ने कई नए चेहरों को मौका दिया था. साथ ही कई स्थानों पर जाति, पदाधिकारियों के रिश्‍तेदार और पार्टी की सेवा वरिष्ठता के मद्देनजर उम्मीदवारी के आवंटन में एडजेस्टमेंट किया था. इससे मनपा में नया नेतृत्व उभरने की उम्मीद थी लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई.
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