ससून हाॅस्पिटल के 60% बेड काेविड के लिए रिजर्व रखें

    14-Apr-2021
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आरटीपीसीआर टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाई जाए: मुरलीधर माेहाेल
 

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शहर में हर राेज औसतन 25 हजार से ज्यादा काेराेना पेशेंट की जांच की जा रही है. उनमें सरकारी स्तर पर आरटीपीसीआर जांच की संख्या केवल दाे हजार के करीब है. यह जांच संख्या तत्काल बढ़ाई जाए. इसके लिए पिछले कई दिनाें से लगातार फाॅलाेअप जारी है. इस बारे में ससून हाॅस्पिटल के डीन डाॅ. मुरलीधर तांबे से तत्काल यह क्षमता बढ़ाने हेतु चर्चा करने की जानकारी महापाैर मुरलीधर माेहाेल ने दी. महापाैर मुरलीधर माेहाेल ने कहा कि, शहर में हाेने वाली 25 हजार टेस्टिंग में से 23 हजार टेस्टिंग प्राइवेट लैब द्वारा हाेने से संक्रमण बढ़ने का डर अधिक है. क्योंकि प्राइवेट लैब में टेस्टिंग करने पर संबंधित पेशेंट हाेम ्नवारंटाइन हाेगा, इसकी काेई गारंटी नहीं, जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा ै. इसलिए सरकारी टेस्टिंग बढ़ाना जरूरी है.
 
 
साथ ही ससून हाॅस्पिटल में कुल बेड की संख्या 1750 है. इसके बावजूद ससून हाॅस्पिटल में काेराेना संक्रमिताें के लिए केवल 520 बेड उपलब्ध कराए गए हैं. एक ओर शहर के सभी हाॅस्पिटलाें के 80 प्रतिशत बेड काेविड के लिए रिजर्व रखे गए हैं, वहीं ससून में यह प्रतिशत काफी कम है. इसलिए ससून हाॅस्पिटल के कम से कम 60 प्रतिशत बेड काेराेना के लिए रिजर्व रखने पर भी चर्चा की गई. इससे 500 बेड काेराेना संक्रमिताें के लिए उपलब्ध हाें  ससून हाॅस्पिटल काे पीएम केअर्स के माध्यम से कुल 86 वेंटिलेटर मिले. इनमें से 54 वेंटिलेटर शुरू तथा 32 वेंटिलेटर बंद हाेने की जानकारी डाॅ. तांबे ने दी. इस बारे में चर्चा की गई. महापाैर ने कहा कि, पुणे मनपा काे पीएम केअर्स के माध्यम से कुल 34 वेंटिलेटर मिले थे. उनमें से 33 वेंटिलेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. पुणे मनपा काे मिले वेंटिलेटर शुरू ताे फिर ससून हाॅस्पिटल काे मिले वेंटिलेटर बंद कैसे? यह सवाल है. इसलिए इस मामले का भी स्पष्टीकरण जल्द मिलेगा.
 
 
जिले में काेराेना संक्रमिताें की संख्या बढ़ने के बाद ऑ्नसीजन की मांग में भी बड़ी वृद्धि हाे गई है. फिलहाल पुणे जिले में 310.46 मेट्रिक टन ऑ्नसीजन की जरूरत पड़ रही है. इस दाैरान ऑ्नसीजन का उत्पादन और सप्लाई उचित पद्धति से हाेने से जिले में ऑ्नसीजन की कमी नहीं हाेने का प्रशासन की ओर से बताया गया है. वर्तमान स्थिति में 357 मेट्रिक टन ऑ्नसीजन का स्टाॅक उपलब्ध है. जनवरी में काेराेना संक्रमिताें की संख्या कम हाेने से ऑ्नसीजन की मांग कम हाे गई थी. लेकिन अब जिले में हर राेज 10 हजार से अधिक काेराेना पेशेंट मिल रहे हैं. जिससे ऑ्नसीजन की मांग में करीब 359% वृद्धि हाे गई है. जनवरी में 67.5 मेट्रिक टन ऑ्नसीजन की जरूरत पड़ रही थी. अब यह मांग 310.46 मेट्रिक टन तक पहुंच गई है. जिले में ऑ्नसीजन का उत्पादन करने वाली कंपनियाें की पूरी क्षमता से उत्पादन किया जा रहा है. कुल उत्पादित हाेने वाले ऑ्नसीजन में से 80%ऑ्नसीजन का इस्तेमाल मेडिकल में तथा 20% ऑ्नसीजन का इस्तेमान औद्याेगिक जरूरताें में करने का निर्देश जिला प्रशासन ने दिया है.