आईसीएमआर जाेधपुर के डायरे्नटर डाॅ. अरुण शर्मा ने कहा
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय असंचारी राेग कार्यान्वयन अनुसंधान संस्थान(एनआईआईआरएनसीडी), जाेधपुर के निदेशक डाॅक्टर अरुण शर्मा ने कहा कि म्युकरमाइक्राेसिस यानी ब्लैक फंगस संक्रामक राेग नहीं है.डाॅ. शर्मा यहां पत्र सूचना कार्यालय की तरफ से ब्लैक फंगस के बारे में तथ्य विषय पर आयाेजित वेबिनार में बाेल रहे थे. उन्हाेंने कहा कि फंगस हमारे पर्यावरण में माैजूद हाेता है और व्यक्ति पर तब हमला करता है जब उसके शरीर का प्रतिराेधक क्षमता स्तर बहुत कम हाे.उन्हाेंने कहा कि इधर, काेविड-19 के मरीजाें में ब्लैक फंगस पाया जा रहा है,
जिनकी प्रतिराेधक क्षमता कम है लेकिन आम ताैर पर यह कैंसर, एचआईवी और अन्य मरीजाें में भी पाया जाता है जिनकी प्रतिराेधक क्षमता कम हाेने के कारण इस राेग के पकड़ने की आशंका प्रबल रहती है.उन्हाेंने बताया कि ब्लैक फंगस के लक्षणाें में नाक के आसपास सूजन, कालापन या बेरंग हाेना, दृष्टि धुंधली या दाेहरी हाेना, सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत शामिल हैं. यह आंखाें काे प्रभावित कर सकता है और आंखाें की राेशनी जा सकती है. यह तब और घातक हाे जाता है जब यह फेफड़ाें और मस्तिष्क तक पहुंच जाए.उन्हाेंने कहा कि फंगस काे राेकने का सबसे प्रभावशाली तरीका घर में आर्द्रता स्तर काे नियंत्रित करना है, खासकर जहां कम इम्युनिटी वाले मरीज हैं.