सूर्यदत्ता नेशनल स्कूल और सूर्या किड्स में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा
‘भावी पीढ़ी को आकार देने वाले शिक्षकों की भूमिका अहम्’ - डॉ. संजय चोरडिया
शिक्षक दिखाता है प्रकाश की ओर जाने का रास्ता ; सुषमा चोरडिया
पुणे, 12 सितंबर (आ.प्र.)
समाज के उत्थान में शिक्षक का कार्य महत्वपूर्ण है. उनकी शिक्षा के कारण ही मानवीय मूल्यों और समाज का विकास होता है. शालेय शिक्षा देश को पहचान देती है. अपने स्कूलों से दर्जेदार शिक्षा देने का सूर्यदत्ता ग्रुप का प्रयास सराहनीय है. शिक्षक और छात्रों के बीच रिश्ता अधिक गहरा होने के लिए सूर्यदत्ता में हो रहे उपक्रम बहुत अच्छे हैं, यह राय हाई-वे पुलिस अधीक्षक संजय जाधव ने व्यक्त की.
सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट द्वारा संचालित सूर्यदत्ता नेशनल स्कूल और सूर्या किड्स की ओर से राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर वे बोल रहे थे. इस समय पुलिस उपअधीक्षक प्रीतम यावलकर, ‘सूर्यदत्ता’ के कार्यकारी संचालक सुनील धाड़ीवाल, प्रशांत पितालिया, रोहित संचेती, उप-संचालक सुखविंदर मुलतानी, शिक्षक और छात्र उपस्थित थे. छात्रों ने शिक्षक दिवस पर सजावट की थी. ग्रीष्मा थोबड़े ने गायन किया. शिवेन बलदोटा ने नृत्य किया. संगीत की प्रस्तुति जीया पाटिल ने दी. छात्रों ने शिक्षकों के लिए आकर्षक गिफ्ट कार्ड बनवाये थे.
मोनिका हजारे और प्राजक्ता पाटकर ने इसका नियोजन किया. मान्यवरों के हाथों सूर्यदत्ता में पांच साल से अधिक सेवा देनेवाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया. प्रा. सुनील धाड़ीवाल, प्रशांत पितालिया ने भी शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं. सरिता हालूर ने आभार व्यक्त किया.
संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने कहा, केवल शिक्षक दिवस के दिन कार्यक्रम न लेकर हम पूरा महीना अलग-अलग उपक्रमों से शिक्षक दिवस मना रहे हैं. शिक्षक व छात्र के बीच गहरा रिश्ता स्थापित हो, उन्हें अलग-अलग प्रकार का ज्ञान प्राप्त हो, इसलिए हर एक क्षेत्र के विशेषज्ञ व्यक्ति को बुलाकर मार्गदर्शन किया जायेगा. शिक्षा देने के साथ शिक्षा हासिल करना भी जरूरी है.
उपाध्यक्षा सुषमा चोरडिया ने कहा, शिक्षक छात्र को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का काम करते हैं. समाज में जो भी व्यक्ति अच्छा काम करता है वह शिक्षक ही होता है. भारत को विश्व गुरु बनाने में युवा पीढ़ी का अहम् रोल है. और युवा पीढ़ी को बनाने में शिक्षक की भूमिका अहम् है. मुख्य विकास अधिकारी सिद्धांत ने कहा, शालेय जीवन में शिक्षक द्वारा दिए गए संस्कारों से ही व्यक्ति की छवि बनती है. भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश के बाहर जाने वाले टैलेंट को रोकना होगा, उसे वापस लाना पड़ेगा. इसमें शिक्षक योगदान दे सकते हैं.