पुणे, 27 जनवरी (आ.प्र.)
वरिष्ठ साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अनिल अवचट का लंबी बीमारी के कारण गुरुवार सुबह को निधन हो गया. उन्होंने 77 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. पत्रकारनगर स्थित अपने निवासस्थान पर डॉ. अवचट का निधन हो गया. उन्होंने मराठी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. साथ ही अपनी दिवंगत पत्नी अनीता अवचट के साथ मुक्तांगण नशामुक्ति केंद्र की स्थापना भी की. उनके बाद उनके परिवार में विवाहित बेटियां मुक्ता और यशोदा, परिवार के अन्य सदस्य और मित्र परिवार है. डॉ. अवचट को पिछले साल (2021) महाराष्ट्र साहित्य परिषद की ओर से मसाप लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
अपने शोक संदेश में मुक्तांगन के अध्यक्ष डॉ. आनंद नाडकर्णी ने कहा है कि उनके लेखन में उनकी संवेदनशीलता विद्वता और शोध की प्रवृत्ति हमेशा दिखाई देती है. उनके जाने से सामाजिक रूप से जागरूक, सामाजिक कार्यों में अग्रणी संवेदनशील व्यक्ति और बाल साहित्य में एक महान योगदानकर्ता को हमने खो दिया है.
नशामुक्ति के क्षेत्र में डॉ. अनीता व अनिल अवचट का कार्य यूं ही जारी रहेगा. साहित्यिकार अवचट का करियर अनिल अवचट का जन्म पुणे जिले के ओतूर में हुआ था और उनकी कक्षा 8 तक की पढ़ाई वहीं हुई थी. आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े होने के कारण उनके पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे. गांव में रहकर यह कर पाना मुश्किल था इसलिए उनके पिता ने पढ़ाई के लिए उन्हें पुणे के मॉर्डन हाईस्कूल में बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया.
सन् 1959 में एस .एस.सी. करने के बाद वे फर्ग्यूसन कॉलेज से इंटर पास हुए और बी. जे. मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. इसी कॉलेज में अपनी सहेली सुनंदा से उन्होंने शादी की. सामाजिक कार्यों के प्रति रूझान के कारण उन्होंने चिकित्सा व्यवसाय न करके सामाजिक आंदोलनों में भाग लिया.
कई पुरस्कारों से किए गए थे सम्मानित
आयोवा यूनिवर्सिटी की ओर से अंतर्राष्ट्रीय लेखक सम्मेलन (1988) में उन्हें भारत द्वारा चुना गया था. इसके अलावा उन्हें कई अन्य पुरस्कार मिले हैं जिनें फाय फाउंडेशन पुरस्कार, अनंत भालेराव स्मृति पुरस्कार, लाभसेटवार पुरस्कार, शंकरराव किर्लोस्कर पुरस्कार, न्यायमूर्ति रामशास्त्री प्रभुने प्रतिष्ठान (2007) द्वारा दिया गया सामाजिक न्याय पुरस्कार शामिल हैं. महाराष्ट्र सरकार राज्य पुरस्कार (2008), साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार (2010), महाराष्ट्र फाउंडेशन साहित्य जीवन गौरव पुरस्कार (2017) से वे सम्मानित थे. नशामुक्ति के क्षेत्र में कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा 26 जून, 2013 को दिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
आनंद परिवार से घनिष्ट संबंध रहा
डॉ. अनिल अवचट का दै. आज का आनंद परिवार से घनिष्ट संबंध था. मुख्य संपादक श्याम अग्रवाल से करीब 50 वर्षों से उनका, डॉ. अनीता अवचट व मुक्तांगण परिवार का स्नेह संबंध रहा. वे सदैव दै. आज का आनंद के हितचिंतक रहे. आनंद परिवार की ओर से उनके निधन पर संपादक श्याम अग्रवाल व कार्यकारी संपादक आनंद अग्रवाल ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की.