पानी के मुद्दे पर अजीत पवार व चंद्रकांत पाटिल में ठनी

03 Dec 2022 10:46:18
 
CHAND
 
 
 
पुणे, 2 दिसंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
पूर्व और वर्तमान पालक मंत्रियों ने शहर के पानी के मुद्दे पर एक-दूसरे की आलोचना की है. अगर पानी का लीकेज नहीं रोका जा सकता है तो मनपा आयुक्त को इस्तीफा दे देना चाहिए. नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने आरोप लगाया कि अधिकारी हमेशा की तरह वही जवाब दे रहे हैं. पालक मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने अजीत पवार से पूछा है कि यह समस्या तुम्हारे समय की है तब हल क्यों नहीं निकाला. इसलिए यह कहना गलत है कि बैठक संतोषजनक नहीं रही. पुणे मनपा शहर में समान जलापूर्ति योजना पर काम कर रहा है. इसके अंतर्गत 84 नई पानी की टंकियां और नई पाइपलाइन बिछाई जा रही हैं. वाटर मीटर लगाने का काम किया जा रहा है. हालांकि पता चला है कि पानी का लीकेज कम नहीं हो रहा है. इसी पृष्ठभूमि में शुक्रवार को विधान भवन में पानी के लीकेज को लेकर बैठक हुई. इस बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान पाटिल और पवार के बीच आपस में आरोप-प्रत्यारोप हुए.
 
आपने सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया ? पाटिल
 
बैठक में हुई चर्चा पर असंतोष व्यक्त करने वाले पवार जब पालकमंत्री थे तब उन्होंने इस समस्या का हल क्यों नहीं निकाला? यह सवाल पालकमंत्री पाटिल ने पूछा. समान जलापूर्ति योजना का काम आगामी 2 वर्षों में पूरा हो जाएगा. उसके बाद, पानी का लीकेज कम हो जाएगा. पुणे मनपा द्वारा अधिक पानी लेने के आरोप का समाधान हो जाएगा. इस संबंध में कार्य की समय सारिणी मनपा के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत की गई है. हालांकि, यह नकारात्मक बात करने से काम नहीं चलेगा कि हम इससे संतुष्ट नहीं हैं. पाटिल ने कहा. विकास के मुद्दों को राजनीतिक मुद्दा बनाकर हल नहीं किया जाएगा. पाटिल ने अधिकारियों का समर्थन करते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों से आपको इस मुद्दे पर ध्यान देने का समय नहीं मिला है, हम उस मुद्दे पर समाधान की योजना बना रहे हैं. अधिकारियों ने अच्छा प्रेजेंटेशन दिया है. काम चल रहा है और पूरा हो जाएगा. इसलिए सितंबर 2023 तक लीकेज कम हो जाएगा और पानी की खपत कम हो जाएगी, पानी की खपत कम हुई तो मनपा पर दोष नहीं पड़ेगा. इस समय उन्होंने वेिशास व्यक्त किया कि कृषि को भी पर्याप्त मात्रा में पानी मिलेगा.
 
अधिकारी दे रहे एक ही जवाब : अजीत पवार
 
बैठक में हुई चर्चा को लेकर नेता प्रतिपक्ष और पुणे के पूर्व पालकमंत्री अजीत पवार ने नाराजगी जताई. अधिकारी एक ही जवाब दे रहे हैं. सरकार बदल भी जाए तो अधिकारियों का एक ही जवाब होता है. इसके समाधान के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है. इसलिए यदि तय समय में पानी का लीकेज नहीं रोका गया तो मनपा आयुक्त को इस्तीफा दे देना चाहिए. मनपा आयुक्त ने स्वीकार किया है कि 40 प्रतिशत पानी लीक हो रहा है. यह मनपा के रिकॉर्ड में है. नहरों से पानी लीक होने से मनपा को 21 टीएमसी पानी लेना पड़ रहा है. इसलिए यह पानी मनपा के खाते में पड़ रहा है. जब वे इतना पानी इस्तेमाल नहीं करते हैं तो पुणे के नागरिकों पर गलत आरोप लगाया जाता है. हालांकि, यह केवल अधिकारियों की गलती है. पिछले कुछ वर्षों में राज्य और मनपा में सत्ता परिवर्तन हुआ है. कमिश्नर भी बदले हैं. लेकिन उनके जवाब नहीं बदले. अगर अगले साल सितंबर तक लीक नहीं रुका तो कमिश्नर को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. पवार ने कहा कि अगर यह सवाल कोर्ट में जाता है, और अगर वहां तथ्य पेश किए जाते हैं तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
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