मनाेवैज्ञानिक कहते हैं कि हम मुर्दाें की प्रशंसा करते हैं भय के कारण. पुराना भय है कि मरा हुआ आदमी, पता नहीं अब क्या करे ! पत्नी ने जिंदगी भर सताया या पति ने जिंदगी भर सताया, अब मर गये, अब राे लेती है पत्नी, छाती पीटती है - भीतर भीतर खुश भी हाेती है कि भले गये; जिंदगी भर यही चाहती थी कि राम जी कब उठा लें; अब राम जी ने उठा लिया ताे राेती है -- मगर डरती भी है, घबड़ाती भी है, कंपती भी है. क्याेंकि वैसे ही यह दुष्ट था आदमी और अब यह मर भी गया, अब यह दिखायी भी नहीं पड़ेगा. अब यह घुस आए रात अंधेरे में और....मुल्ला नसरुद्दीन ने अपनी पत्नी से कहा कि मेरी बड़ी इच्छा है यह बात जानने की कि मरने के बाद लाेग बचते हैं या नहीं बचते?
ताे हम में से जाे भी पहले मर जाए, वह वायदा करे कि तीसरे दिन, लाख अड़चनें हाें मगर चेष्टा करेगा संपर्क साधने की. तीसरे दिन आ जाए, दरवाजे पर दस्तक दे, बस इतना कम-से-कम कह जाए कि हां मैं हूं. ताे भराेसा ताे आ जाए. मुल्ला और मुल्ला की पत्नी ने, दाेनाें ने तय कर लिया कि ठीक है, जाे भी पहले मरे वह तीसरे दिन आकर दरवाजे पर दस्तक दे और अंदर आकर इतना कह दे कि मैं जिंदा हूं और आदमी मरने से ही मरता नहीं.िफर मुल्ला कुछ साेच में पड़ गया, िफर उसने कहा, एक बात ख्याल रख, अगर तू पहले मर जाए ताे दिन में ही आना, रात में नहीं.ऐसे भी मैं रात घर में रहूंगा नहीं.तेरी वजह से ही घर आना पड़ता है रात.मजबूरी में घर आना पड़ता है रात. वैसे भी में घर रहूंगा नहीं, तू पक्का रख ! और रात अगर रहूं भी, ताे रात तू आना मत.
क्याेंकि रात मुझे डर लगता है. और अंधेर में घर में अकेला और तू आकर दस्तक देने लगे ! भरे उजाले में आना, अच्छा ताे दफ्तर में आना. ताे मुझे भी प्रमाण मिल जाएगा, बाकी लाेगाें काे भी प्रमाण मिल जाएगा. जिसकाे तुम जिंदा छाती से लगाते थे, वह मुर्दा हाेकर, मरकर तुम्हारा हाथ हाथ में ले ले, तुम्हारे प्राण छूट जाएंगे एकदम.इसलिए मनाेवैज्ञानिक कहते हैं कि आदमी मृत्यु के भय के कारण मुर्दा की प्रशंसा करता है. पूजा के फल चढ़ाता है.ये तुम जाे पितृ-पक्ष इत्यादि मनाते हाे, इसका मतलब तुम्हें चाहे पता हाे या न हाे ! इसका मतलब है कि हे पिता जी, अब आप उसी तरफ रहना ! यहां सब ठीक चल रहा है. श्राद्ध किये दे रहे है.जिंदगी भर जिनकी श्रद्धा में दाे ूल नहीं चढ़ाएं थे, मरने पर लाेग उनका श्राद्ध करते हैं ! गया जाते हैं, श्राद्ध करने !अगर पिता जिंदा हाेते और कहते, बेटा, मुझे गया ले चलाे, ताे काेई ले जाने काे राजी नहीं था कि काहे के लिए, क्या जरूरत है? िफजूलखर्ची करवाना है ! शांति से घर में बैठाे ! मनुष्य डरता है, इसलिए मुर्देे की पूजा करता है. जिंदा का सम्मान नहीं है, जीवन का सम्मान नहीं है, मृत्यु का भय है.