मासिक धर्म के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ह्रदय रोग का खतरा कम

वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋतु भाटिया से हृदयरोगों की जानकारी के संदर्भ में की गई एक खास मुलाकात

    17-Jun-2022
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डॉ. ऋतु भाटिया
ह्रदय रोग विशेषज्ञ (Cardiologist)
एमबीबीएस, एमडी, डीएम
(कार्डियोलॉजी)
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नरेंद्र हार्ट क्लीनिक,
227, फोर्टालेजा, कल्याणी नगर,
पुणे- 4110014.
मोबाइल नंबर : 99239 33973/
7020622839
ई-मेल :
वेबसाइट :
www.ritudhawanbhatia.com
   
आजकल कई लोग हृदयरोगों से पीड़ित हैं. यहां तक कि युवा भी हृदयरोग की समस्या से जूझ रहे हैं. हालांकि पुरुषों की तुलना में, महिलाओं को हृदय रोगों का खतरा कम होता है. पुणे की प्रसिद्न हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋतु भाटिया ने ‘आज का आनंद` के प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए कहा कि हृदयरोगों से बचाने में, मासिक धर्म महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच साबित हो रहा है. प्रस्तुत है, इस संदर्भ में उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश-
 
  
 प्रश्‍न : आप मूलत: कहां की रहने वाली हैं ? अपने बचपन और शिक्षा के बारे में बताएं.
 
उत्तर : मेरा नाम डॉ. ऋतु भाटिया है. मैं चंडीगढ़ की रहने वाली हूं और हरियाणा में पली-बढ़ी हूं. मेरे पिता नेत्र चिकित्सक हैं जोकि सरकारी अस्पताल में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के तौर पर कार्यरत थे. मेरी मां प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थीं . मेरी 12वीं तक की शिक्षा कैथल नामक एक छोटे से गांव में हुई है . एम.बी.बी.एस. और एम.डी. की शिक्षा प्राप्त करने के बाद मैं डी.एम.करने के लिए मुंबई आई. 2001 से 2004 तक मुंबई के सायन अस्पताल में डी.एम. किया. उसके बाद से मैं पुणे शहर में कार्यरत हूं.
 
प्रश्‍न : आपके हृदय रोग विशेषज्ञ बनने का क्या कारण है? आपको इसकी प्रेरणा कहां से मिली ?
 
उत्तर : पिता के डॉक्टर होने के कारण मेडिकल क्षेत्र के बारे में जानकारी तो थी ही. हालांकि उस समय में महिला डॉक्टरों का झुकाव स्त्रीरोग विशेषज्ञ बनने की ओर ज्यादा था लेकिन कार्डियोलॉजी का क्षेत्र प्रथम क्रमांक पर था. डॉ. एस.आई. पद्मावती को भारत की पहली महिला हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता था. इसलिए मेरे पिता की इच्छा थी कि मैं भी उन्हीं की तरह बनूं . इसलिए मैंने तय किया कि मैं भी हृदय रोग विशेषज्ञ ही बनूंगी.
 
प्रश्‍न : आपको हृदय रोग विशेषज्ञ बने कितने वर्ष हो गए? अब तक आपने कितने मरीजों का इलाज किया है?
 
उत्तर : मैं पिछले 21 वर्षों से हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हूं . साथ 2001 से, प्रतिदिन 10 नए मरीजों का इलाज करती आ रही हूं .
 
प्रश्‍न : हार्ट अटैक से क्या तात्पर्य है? इसके कितने प्रकार है? क्या आर्ट अटैक आनुवंशिक होता है?
 
उत्तर : हृदय में रक्त के अभाव के कारण उसका कुछ भाग नष्ट हो जाता है. रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में स्नेहन (चिकनाई) कम होने के कारण हृदय में, रक्त के सुचारू प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है और उस स्थान पर रक्त का थक्का बन जाता है.रक्तप्रवाह में आए इस अवरोध के कारण, हृदय में रक्त की कमी होने से दर्द होता है और हार्ट अटैक आता है. हार्ट अटैक के दो प्रकार हैं - एंजाइना एवं अस्थिर एंजाइना. एंजाइना हार्ट अटैक में थोड़ा सा चलने पर भी हांफ लगने लगती है लेकिन अस्थिर एंजाइना में बैठे-बैठे भी हांफ लगने लगती है. हार्ट अटैक के ये दोनों प्रकार, हार्ट की वॉल पर निर्भर करते हैं. जिस वॉलमें अटैक आता है, उसके आधार पर हार्ट अटैक का प्रकार सुनिश्चित होता है. हृदय में एक इंटीरियल वॉल होती है और एक इंफीरियल वॉल होती है. इंटीरियल वॉल में आने वाले अटैक को बड़ा /तीव्र अटैक कहा जाता है और इंफीरियल वॉल में आने वाले अटैक को छोटा या सौम्य/ हल्का अटैक कहा जाता है. हार्ट अटैक आनुवंशिक होता है. जिनके माता-पिता को हार्ट अटैक आ चुका है उन्हें हार्ट अटैक होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. हालांकि हृदय रोग से बचने के लिए धूम्रपान बंद करना, रक्त के कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच कराना, रक्तचाप एवं मधुमेह की नियमित जांच करवाना हितकारी साबित होता है.
 
प्रश्‍न : हार्ट अटैक के क्या कारण और लक्षण होते हैं ? हार्ट अटैक आने की संभावना किस उम्र में अधिक होती है?
 
उत्तर : हृदयरोग होने के कई कारण हैं जैसे- धूम्रपान, अल्कोहल एवं कैफीन का ज्यादा मात्रा में सेवन, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तनाव, जंक फूड के कारण बढ़ा हुआ वजन आदि. हार्टअटैक के लक्षण हैं - सीने में दर्द होना, बेचैनी होना, हांफना, चक्कर आना, हृदय की धड़कन बढ़ना एवं उसका अनियमित होना आदि. अतः ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल ईसीजी कराना जरूरी है. 50 से 60 की उम्र में हार्ट अटैक होने की संभावना ज्यादा होती है. हालांकि आजकल 25 -30 वर्ष के युवाओं को भी हार्ट अटैक हो रहे हैं. वहीं 40 से 50 की आयु के लोगों को भी हार्टअटैक हो रहे हैं.
 
प्रश्‍न : हार्ट अटैक होने पर, अस्पताल ले जाने तक क्या कोई प्राथमिक चिकित्सा की जा सकती है?
 
उत्तर : हार्ट अटैक होने पर सबसे पहले मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत व्यक्ति से संपर्क करें. फिर पीड़ित व्यक्ति का तत्काल ईसीजी कराएं. साथ ही उसे डिस्प्रिन अथवा एस्प्रिन की गोली दें . इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति को जोर से खांसने को कहें . इससे रक्त की आपूर्ति सुचारू रूप से होने में सहायता मिलती है.
 
प्रश्‍न : हार्ट अटैक होने के बाद का पहला एक घंटा महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? इसे ‘गोल्डन आवर` क्यों कहा जाता है? इस दौरान कौन से उपचार किए जाते हैं?
 
उत्तर : हार्ट अटैक के लक्षण दिखने के बाद का पहला घंटा `गोल्डन आवर` कहा जाता है. हार्ट अटैक भले ही तीव्र हो या मध्यम स्वरूप का हो, इस पहले घंटे में मरीज की स्थिति नाजुक और गंभीर होती है. इस समयावधि में उपचार मिलने पर मरीज की जान बच सकती है. यह पहला घंटा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यदि हृदय की रक्तवाहिनी में उत्पन्न अवरोध को पहले घंटे में ही दूर कर दिया जाए तो हार्ट अटैक को रिवर्स किया जा सकता है. इससे हृदय को पहुंचने वाली स्थायी क्षति से बचा जा सकता है.
 
प्रश्‍न : क्या हार्ट अटैक को टाला जा सकता है? इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
 
उत्तर : `गोल्डन आवर` में उपचार करके हार्ट अटैक को टाला जा सकता है. साथ ही हार्टअटैक से बचने के लिए पौष्टिक आहार लेने, प्रतिदिन व्यायाम करने, पैदल चलने, धूम्रपान न करने जैसी बातों पर अमल करना चाहिए.
 
प्रश्‍न : पिछले 10 वर्षों में हार्ट ट्रीटमेंट के क्षेत्र में क्या बदलाव हुए हैं?
 
उत्तर : पिछले 10 वर्षों पूर्व के और आजकल के उपचार के तरीकों में बहुत बदलाव आए हैं. पहले, अभी की तुलना में प्रभावी दवाएं उपलब्ध नहीं थीं. पहले दवा देने पर किसी- किसी को रक्तस्राव शुरू हो जाता था. किसी- किसी का रक्तचाप अचानक कम हो जाता था. साथ ही 1 से 2 घंटे तक ट्रीटमेंट चलता था. हालांकि आजकल केवल 5 सेकंड में इंजेक्शन देकर, मरीज पर आगे का उपचार शुरू कर दिया जाता है. अब स्टेंट लगाने में लगने वाले समय में भी कमी आई है.
 
प्रश्‍न : एंजियोप्लास्टी क्या होती है ? इसे कब और कैसे किया जाता है ?
 
उत्तर : एंजियोप्लास्टी एक शल्यक्रिया है जिसमें हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिनियों को खोला जाता है. मेडिकल की भाषा में रक्तवाहिनी को `कोरोनरी आर्टरी` कहा जाता है. हार्ट अटैक या स्ट्रोक की समस्या होने पर डॉक्टर अक्सर एंजियोप्लास्टी करते हैं जिसमें 1 से 2 घंटों तक उपचार किया जाता है. इस दौरान डाले गए स्टेंट, रक्त वाहिनी के भीतर रक्त प्रवाह को पुनः सुचारु करने का कार्य करते हैं.
 
प्रश्‍न : एंजियोप्लास्टीकराने के बाद स्वास्थ्य का ध्यान किस तरह रखना चाहिए?
 
उत्तर : एंजियोप्लास्टीके बाद स्वास्थ्यवर्धक भोजन करें, तनाव कम करने का प्रयास करें. मानसिक शांति, ध्यान, योग जैसे उपाय अपनाएं . अच्छी नींद लें, धूम्रपान, तंबाकू का सेवन बंद कर दें. मद्यपान, फास्ट फूड, चाइनीज खाद्य पदार्थों से बचें. सुखी एवं संतुष्ट जीवन जीने का प्रयास करें.
 
प्रश्‍न : दो-तीन वर्षों पहले मोदी सरकार द्वारा स्टेंट की कीमतों पर कैप लगाए जाने के कारण क्या डॉक्टरों का नुकसान हुआ है? क्या आपको लगता है कि इससे मरीजों को लाभ पहुंचा है?
 
उत्तर : स्टेंट की कीमतों पर कैप लगाए जाने के कारण डॉक्टरों को कोई नुकसान नहीं हुआ बल्कि स्टेंट निर्माता कंपनियों एवं उनका बिजनेस करने वाले लोगों को नुकसान हुआ है. कैप लगाए जाने के कारण डॉक्टर किसी भी तरह प्रभावित नहीं हुए.
 
प्रश्‍न : एंजियोप्लास्टी कराने के बाद मरीज की आयु कितने वर्ष बढ़ जाती है? क्या एंजियोप्लास्टी कराने के बाद भी हार्ट अटैक हो सकता है ?
उत्तर : यदि मरीज `गोल्डन आवर` में अस्पताल लाया जाता है तो वह सामान्य व्यक्ति की तरह अपना जीवन जी सकता है. एंजियोप्लास्टी होने के बाद भी हार्टअटैक की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
 
प्रश्‍न : विदेशों में वैज्ञानिक आर्टिफिशियल हार्ट बनाने का प्रयास कर रहे हैं? इसमें अब तक कितनी सफलता मिली है?
 
उत्तर : विदेशों में कुछ कंपनियों ने आर्टिफिशियल हार्ट बनाने का प्रयास किया है. हालांकि इसमें बहुत कम कंपनियां सफल हुई हैं. इसके अलावा आर्टिफिशियल हार्ट का खर्च 2 से 3 करोड़ तक आता है जिसे सामान्य लोग वहन नहीं कर सकते.
 
प्रश्‍न : आपके परिवार में कौन-कौन हैं ?
उत्तर : मेरे परिवार में मेरे पति डॉ. मनीष भाटिया हैं जो कैंसर सर्जन हैं . हमारा बेटा अंश है जो मुंबई के के.ई.एम. अस्पताल में एम.बी.बी.एस. कर रहा है/ कर चुका है ?