जीएसटी काउंसिल की मीटिंग खत्म, जानें क्या हुआ सस्ता क्या महंगा

    29-Jun-2022
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नई दिल्ली - चंडीगढ़ में चल रही जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक संपन्न हो गई. करीब छह महीने बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्यों को जीएसटी मुआवजा बढ़ाने के प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया गया. इसके साथ ही ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव भी टाल दिया गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी देते हुए कहा कि 16 राज्यों ने क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर बात की. बैठक के दौरान जीओएम के चार प्रस्तावों पर चर्चा की गई. ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ पर 28 फीसदी टैक्स को लेकर मिले प्रस्ताव को अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया है. इस पर अगस्त में होने वाली काउंसिल की बैठक में फैसला होगा. वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि जीएसटी परिषद ने मंत्रियों के समूह से 15 जुलाई तक घुड़दौड़, ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो पर कर की दर पर फिर से विचार करने को कहा है.
जिन प्रस्तावों को हरी झंडी दिखाई गई है, उनमें रेट रेशनलाइजेशन पैनल को एक्सटेंशन दिया गया है. इसके अलावा इनवर्टेड ड्यूटी के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी को जीएसटी के दायरे में लाने के मुद्दे को इस दो दिवसीय बैठक से बाहर रखा गया है.
जानें क्या हुआ सस्ता क्या महंगा -
महंगा -
प्री-पैकेज्ड और लेबल वाले आटा और चावल भले ही वो गैर-ब्रांडेड क्यो न हों, उनपर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. इसके अलावा मीट, मछली, दही, पनीर और शहद जैसे प्री-पैक्ड और लेबल्ड खाद्य पदार्थों पर भी 5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. यानी ये सभी खाद्य पदार्थ अब महंगे होने जा रहे हैं.
गुड़, विदेशी सब्जियां, अनरोस्टेड कॉफी बीन, अनप्रोसेस्ड ग्रीन टी, व्हीट ब्रान और राइस ब्रान को छूट से बाहर रखा गया है.
1,000 रुपये प्रति दिन से कम के होटल के कमरों पर 12 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाएगा, फिलहाल ऐसे कमरे कर मुक्त श्रेणी में आते हैं. इसके अलावा बैठक में चेक जारी करने के लिए बैंक द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क पर भी जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई है. अनपैक्ड, अनलेबल और अनब्रांडेड सामान को जीएसटी के दायरे से मुक्त रखा गया है.
छोटे ऑनलाइन कारोबारियों को तोहफा -
बैठक में असंगठित क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छोटे ऑनलाइन कारोबारियों के लिए अनिवार्य पंजीकरण को माफ करने पर सहमति व्यक्त की है। कानून में बदलाव 1 जनवरी, 2023 से लागू किए जाएंगे। काउंसिल के मुताबिक, इस फैसले से लगभग 120,000 छोटे व्यापारियों को फायदा होगा। बैठक में कंपोजीशन डीलरों को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के माध्यम से इंट्रास्टेट आपूर्ति करने की भी अनुमति दी गई।
कंपोजिशन डीलर वे हैं जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये तक है। उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के साथ फ्लैट दरों पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। फिलहाल, ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (ईसीओ) के माध्यम से आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं को अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना जरूरी है, भले ही उनका कुल वार्षिक कारोबार 40 लाख रुपये या 20 लाख रुपये की सीमा से कम हो। ऑफ़लाइन काम करने वाले विक्रेताओं को 40 लाख रुपये या 20 लाख रुपये तक की वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति के लिए पंजीकरण से छूट की अनुमति है।