गूंगे-बहरे बच्चों की माताओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण

29 Jun 2022 14:32:58
 
wach
 
पुणे, 28 जून (आ. प्र.)
 
जन्म से गूंगे-बहरे बच्चों को बोलना सिखाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन समाज में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी है. इसलिए ऐसे बच्चों की माताओं को प्रशिक्षण करने की जरूरत है. इसको ध्यान में रखते हुए कॉक्लिया पुणे फॉर हियरिंग एंड स्पीच संस्था द्वारा पिरंगुट के पास उरवड़े में पुसालकर स्वरनाद, श्रवण, वाचा व भाषा पुनर्वास (रिहैबिलटेशन सेंटर) शुरू किया गया है. संस्था के चीफ एक्जीक्यूटिव ट्रस्टी डॉ. अविनाश वाचासुंदर ने मंगलवार (28 जून) को नवी पेठ स्थित पत्रकार भवन आयोजित पत्रकार-वार्ता में यह जानकारी दी. इस मौके पर स्वरनाद स्कूल की मुख्याध्यापिका अभिलाषा अग्निहोत्री, संस्था की सलाहकार मानसी दाते, संस्था की मीडिया एंड डेडा मैनेजर तृप्ति कोहिनकर, एडमिन ऑफिसर एबिनेजर हर्डिंग उपस्थित थे. संस्था द्वारा उरवडे में बनाए गए पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन 2 जुलाई को सुबह 10 से 12 बजे के बीच उद्योगपति अभय फिरोदिया के हाथों किया जाएगा, यह जानकारी डॉ. वाचासुंदर ने दी.
 
डॉ. वाचासुंदर ने बताया कि बहरा बच्चा उम्र के 3 से 6 वर्ष तक सुन-सुनकर बोना सीख सकता है. ऑडियो वर्बल थेरपी के जरिए बच्चे को सिखाया जा सकता है. अगर बच्चे की मां को प्रशिक्षित किया जाए, तो वह उसको अच्छे से संभाल सकती है. इसीलिए उरवडे में बनाए गए पुनर्वास केंद्र में बहरे बच्चों और उनकी माताओं के लिए रहने, खाने और सिखाने की व्यवस्था की गई है. ग्रामीण इलाकों की महिलाएं सीख जाएंगी तो वहां के गूंगे-बहरे बच्चे बोलना सीख सकते हैं और यह सामाजिक कार्य भविष्य में व्यापक रूप ले सकता है, इसीलिए यह केंद्र शुरू किया गया है.
 
मानसी दाते ने कहा कि पुनर्वास केंद्र में 20 बच्चे और उनकी माताएं मिलाकर कुल 40 लोगों के रहने, खाने व सिखाने की व्यवस्था की गई है. इसके लिए प्रतिमाह 10 हजार रुपए शुल्क लिया जाएगा. यह केंद्र पूरी तरह से डोनर्स के सहयोग पर शुरू है. इसलिए किसी परिवार को यह खर्चा उठाना संभव नहीं है, तो उसे कुछ छूट देने के बारे में सोचा जा सकता है. गूंगे-बहरे बच्चों को सिखाने के लिए मराठी, हिंदी व अंग्रेजी मीडियम की व्यवस्था की गई है.
 
अभिलाषा अग्निहोत्री ने कहा कि गूंगे- बहरे बच्चे उम्र के छठवें साल तक बोलना सीख सकते हैं. पहले सुनना और उसके बाद बोलने की प्रक्रिया होती है. इसीलिए बच्चों की माताओं को प्रशिक्षण देना बेहद जरूरी है. प्रशिक्षित माताओं को केंद्र द्वारा प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे. साथ ही उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में काम करने का मौका दिया जाएगा.
Powered By Sangraha 9.0