भाग्य से तय नहीं हाेती अमीरी और गरीबी

    18-Jan-2023
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Osho 
 
क्या तुम साेचते हाे कि सब भाग्यशाली अमेरिका में ही पैदा हाेते हैं? अगर तुम्हारे शास्त्र सही हैं ताे सब भाग्यशाली अमेरिका में ही पैदा हाेते हैं.और सब अभागे भारत में पैदा हाेते हैं.अगर तुम्हारे शास्त्र सही हैं ताे भारत में र्सिफ पापी ही पैदा हाेते हैं, जिन्हाेंने पहले पाप किये हैं. और अमेरिका में वे सब पैदा हाेते हैं, जिन्हाेंने पहले पुण्य किये.तुम्हारे शास्त्र गलत हैं, तुम्हारा गणित गलत है. अमेरिका समृद्ध इसलिए नहीं है कि वहां पुण्यवान लाेग पैदा हाे रहे हैं. अमेरिका समृद्ध इसलिए है कि विज्ञान है, तकनीक है, बुद्धि का प्रयाेग है.
 
अमेरिका समृद्ध हाेता जा रहा है, राेज-राेज समृद्ध हाेता जा रहा है. और तुम देखते हाे अमेरिका में कितने जाेर की लहर है अध्यात्म की ! कितनी अभीप्सा है ध्यान की ! कितनी आतुरता है अंतर्यात्रा की ! हजाराें लाेग पश्चिम से पूरब यात्रा करते हैं, इसी आशा में कि शायद पूरब के पास कुंजियां मिल जायें.उन्हें पता नहीं, पूरब अपनी कुंजियां खाे चुका है. पूरब बहुत दरिद्र है. और दरिद्र हाथाें में परमात्मा के मंदिर की कुंजियां बहुत मुश्किल हैं.ताे पहली ताे बात है कि भारत पुन: समृद्ध हाेना चाहिए. और समृद्ध हाेने के लिए जरूरी है कि गांधीवादी जैसे विचाराें से भारत का छुटकारा हाे. बिना बड़ी टेक्नाेलाॅजी के अब यह देश समृद्ध नहीं हाे सकता. अब इसकी संख्या बहुत है. बुद्ध के समय में पूरे देश की संख्या दाे कराेड़ थी. निश्चित देश समृद्ध नहीं हाे सकता.
 
अब इसकी संख्या बहुत है. बुद्ध के समय में पूरे देश की संख्या दाे कराेड़ थी. निश्चित देश समृद्ध रहा हाेगाइतनी भूमि और दाे कराेड़ लाेग. भूमि अब भी उतनी है और इंच भर जमीन बढ़ी नहीं. हां, जमीन घटी बहुत. घटी इस अर्थाें मैंं कि इन ढाई हजार सालाें में हमने जमीन का इतना शाेषण किया, इतनी फसलें काटीं कि जमीन राेज-राेज रुखी हाेती चली गई. हमने जमीन का सब कुछ छीन लिया. वापस कुछ भी नहीं दिया. वापस देने की हमें सूझ ही नहीं है, लेते ही चले गये, लेते ही चले गये. जमीन दीन-हीन हाेती चली गई, उसके साथ हम दीन-हीन हाेते चले गये.और जितना ही समाज दीन-हीन हाेता है, उतने ज्यादा बच्चे पैदा करता है. इस जगत में बड़े अनूठे हिसाब हैं.