सटीक निदान के लिए MRI और X-RAY दोनों टेस्ट कराने जरूरी

साईश्री हॉस्पिटल के एमडी व चीफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन और स्पोट्‌‍र्स इंजुरी स्पेशलिस्ट डॉ. नीरज आडकर की सलाह

    28-Jan-2023
Total Views |
 
AA
 
 
डॉ. नीरज आडकर
चीफ रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन
और स्पोट्‌‍र्स इंजुरी स्पेशलिस्ट
 

डीपी रोड, औंध, पुणे 411007
फोन ः 020-67448600/25888600
मोबा :  9689930608/12
web : www. saishreehospital.org
 
बीमारियों का इलाज शुरू करने से पहले या सर्जरी करने से पहले डॉक्टर संबंधित पेशेंट को कुछ मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कहते हैं. इसमें एमआरआई और एक्स-रे मुख्य रूप से शामिल हैं. पेशेंट का निश्चित रूप से किस पद्धति से इलाज किया जाना चाहिए, इसकी जानकारी स्पेशलिस्ट को इससे मिलती है. इस बारे में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर पुणे के साईश्री हॉस्पिटल के संचालक और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. नीरज आडकर ने विस्तार से देकर शंकाओं का समाधान किया.
 
 पेशेंट को पीठ का दर्द होने पर क्या डॉक्टर उसे एमआरआई (चठख) टेस्ट कराने की सलाह देते हैं? क्या एक्स-रे (द-ठअध) टेस्ट पर्याप्त नहीं होता?
 
उत्तर : एमआरआई और एक्स-रे इन दोनों टेस्ट के कुछ अलग उपयोग हैं. एक्स-रे टेस्ट से हमें हड्डियों के बाहरी लाइन (Bone outline) के सटीक चित्र मिलते हैं तो एमआरआई का ज्यादा संबंध सॉफ्ट टिश्यू (Soft tissue) की चोट के साथ होता है. एक्स-रे टेस्ट से रीढ़ के हड्डी (Vertabrates) की रचना कैसी है और क्या उसका संतुलन (Mal-alignment) बिगड़ गया है? इसका पता चलता है. लेकिन एमआरआई टेस्ट में हम रीढ़ की हड्डी और उसके आस-पास के सॉफ्ट टिश्यूज स्पष्ट रूप से देख सकते हैं. क्या कोई चोट है? क्या जलन (Inflamation) है या फिर कुछ संक्रमण जैसा हुआ है, यह इससे स्पष्ट होता है. यानी सिर्फ एमआरआई या एक्स-रे टेस्ट पर्याप्त नहीं हैं इन दोनों के संयोग से डॉक्टरों को पेशेंट की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी मिलती है. इसलिए अगर आपके डॉक्टर ने दोनों टेस्ट कराने के लिए कहा हो तो सटीक निदान के लिए यह टेस्ट कराना उचित होता है.
 
क्या छोटे बच्चों के फ्रैक्चर्स में कुछ मिसिंग  फ्रैक्चर्स रह सकते हैं?
 
उत्तर : बच्चों के जॉइंट के आस-पास ‘मिसिंग फ्रैक्चर्स' रहने की संभावना अक्सर रहती है. ग्रोथ प्लेट्स (Growth plates) और हड्डियों की लंबाई बढ़ने वाला यह भाग होता है. इस जगह को गलती से फ्रैक्चर्स समझ लिया जाता है, इसलिए यह फ्रैक्चर लाइन है या ग्रोथ लाइन, यह समझना कुशलता भरा काम होता है.
 
कई बीमारियों से ग्रस्त  और बुजुर्ग पेशेंट की सर्जरी कराना क्या सुरक्षित होता है?
 
उत्तर : मेडिकल साइंस में हुई उन्नति के कारण किसी भी उम्र के पेशेंट की सर्जरी करना सुरक्षित हुआ है. सर्जरी करने से पहले हम पेशेंट की शारीरिक तंदुरूस्ती को लेकर अक्सर फिजिशियन (Physician) और एनेस्थेटिस्ट (Anesthetist) से सलाह लेते हैं. सर्जरी का जोखिम समझने के लिए इसका उपयोग होता है. अधिकांश बुजुर्ग पेशेंट को ब्लड प्रेशर, शुगर का स्तर ज्यादा होना, स्ट्रोक या फिट आने जैसी दूसरी बीमारियां होती हैं. ऐसे पेशेंट की भी सभी मापदंड़ों (Parameters) और जरूरी सावधानी बरतकर सर्जरी की जा सकती है. इसका मतलब सुरक्षितता महत्वपूर्ण होती है, लेकिन ज्यादा उम्र के पेशेंट में हुए फ्रैक्चर्स ठीक करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि अगर फ्रैक्चर्स का समय पर इलाज नहीं किया गया तो पेशेंट के शारीरिक मूवमेंट पर सीमाएं आती हैं.
 
चोटों से बचने के लिए व्यायाम की क्या भूमिका होती है, कैल्शियम और विटामिन  सप्लीमेंट का फायदा क्या ताकत  बढ़ाने के लिए होता है?
 
उत्तर : उम्र के 60 वर्षों बाद कैल्शियम और डी-3 विटामिन का नियमित सेवन करना आवश्यक होता है. खासकर रजोनिवृत्ति उम्र (Post-menopausal age) के बाद महिलाओं के लिए इसकी ज्यादा जरूरत होती है. क्योंकि रजोनिवृत्ति के बाद हार्मो नल साइकिल (Harmonal cycle) में बदलाव के कारण उस उम्र की महिलाओं को ऑस्टियो-पोरोसिस (Ostioporosis) बीमारी होने का जोखिम ज्यादा होता है. इसके कारण कैल्शियम और डी-3 विटामिन के सप्लीमेंट्स नियमित रूप से लेना जरूरी होता है. आहार के बारे में सोचा जाए तो प्रोटीन (Protien) और दही तथा दूध से बने पदार्थों से शरीर में कैल्शियम और डी-3 तथा बी-12 विटामिन का संतुलन रहने में मदद मिलती है.
 
बच्चों के फ्रैक्चर्स अलग कैसे होते हैं?
 
उत्तर : बच्चों की हड्डियां ‘ग्रोइंग बोन' (growing bone) अथवा ‘इलास्टिक बोन' (Iastic bones) होने के कारण बड़ों की तुलना में बच्चों के फ्रैक्चर्स अलग होते हैं. बच्चों की हड्डियां आसानी से नहीं टूटतां, इसलिए बच्चों के फ्रैक्चर्स को ‘ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर्स' (Greenstic fractures) कहते हैं. लंबी हड्डियों के नहीं भरे फ्रैक्चर्स ही (Incomplete fractures) ही ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर्स होते हैं. ऐसे फ्रैक्चर्स आमतौर पर 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाए जाते हैं.
 
बच्चों के लिए सबसे खतरनाक फ्रैक्चर्स कौन से होते हैं?
 
उत्तर : कोहनी (Elbow) और घुटनों के फ्रैक्चर्स सबसे जटिल फ्रैक्चर्स होते हैं. कोहनी के ऊपरी हिस्से में हुए फ्रैक्चर को Supra condylar of the humerus कहा जाता है. इसमें रक्त और नसों (Blood and nerve vessels humerus) पर असर होकर नुकसान होने का खतरा होता है. इसलिए ऐसे फ्रैक्चर्स बच्चों के लिए सबसे खतरनाक होते हैं.