48 घंटे के भीतर पिछले चैंपियन इंग्लैंड की अफगानिस्तान की हाथाें और नीदरलैंड द्वारा दक्षिण अफ्रीका काे दी गई शिकस्त के बाद बांग्लादेश की टीम मेजबान और दाे बार के चैंपियन भारत पर अप्रत्याशित जीत के लिए ताल ठाेकने लगी है. इन दाे मैचाें के इतने बड़े उलटफेर ने टूर्नामेंट काे पूरी तरह से ओपन कर दिया है.वैसे इस बार क्वालीफाइंग राउंड में हारने के कारण वेस्टइंडीज और केन्या दाेनाें इस कार्निवल का हिस्सा नहीं हैं.वैसे ताे बांग्लादेश के इस ‘साहस’ के पीछे पुणे का इतिहास भी है. पुणे काे 27 वर्ष बाद फिर से विश्व कप के मैच की मेजबानी का माैका मिला है और लाेगाें काे बरबस ही 29 फरवरी 1996 काे माैरिस ओडुम्बे की केन्याई टीम की याद आ गई जिसने वेस्ट इंडीज काे चाैंकाकर वनडे वर्ल्ड कप काे झझकाेर दिया था.
रिची रिचर्डसन की टीम पर 73 रनाें की केन्या की जीत काे सबसे बड़े उलटफेराें में से एक कहा जाता है.बांग्लादेश उसी मूड में है लेकिनउसे यह अहसास नहीं कि राेहित एंड कंपनी का अश्वमेध का घाेड़ा छूट चुका है. अब ताे ये देखना है ऑस्ट्रेलिया औरपाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान जैसी टीमाें काे जमीं चटाने के बाद भारत पर नकेल लगाने की शक्ति किसके पास है?.
बांग्लादेश की साहसिक आशा के विपरीत भारत की यह स्थिति है कि पड़ाेसी के खिलाफ जीत के साथ ही उसका सेमी फाइनल का द्वार भी खुल जायेगा.दूसरी ओर बांग्लादेश इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाफ लगातार दाे हार के बाद जूझता दिख रहा है. अब तक जिन पिचाें पर भारत खेला है, वे अजीबाेगरीब रूप से बदलते माैसम की वजह से चरित्र बदलती दिख रही हैं.
वैसे यह साफ दिख रहा है कि मेजबान टीम काे टारगेट चेस करना काफी आसान हाे रहा है. दक्षिण अफ्रीका तीन सेंचुरी के साथ जीती ताे भारतीय टीम ने चेन्नई ने दिखाया कि कैसे 3 शून्य केबाद भी विजय दर्ज की जा सकती है.हालाँकि, पुणे के एमसीए स्टेडियम में मामला अलग है क्याेंकि यहां पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमाें ने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है. पुणे की गहुंजे स्टेडियम चूंकि शहर से दूर खुले में पहाड़ाें के करीब है इसलिए वह नेहरू स्टेडियम की तरह पाटा विकेट वाली नहीं हैं. आज अंदर देखने पर पाया कि इसकी सतह आम ताैर पर अच्छी और सपाट ही लेकिन अब देखना है पिछले दिनाें के जल छिड़काव के बाद उसके अंदर नमी क्या बरकरार रहती है.पुणे में हुए अब तक के सात मैचाें में से पांच में पहली पारी में स्काेर 300 से अधिक था और केवल दाे बार ही लक्ष्य का पीछा किया जा सका.