परोपकार की भावना से निःस्वार्थ सेवा होनी चाहिए

लायंस क्लब इंटरनेशनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दीपस्तंभ फाउंडेशन के संस्थापक यजुर्वेंद्र महाजन की राय

    21-Nov-2023
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तिलक रोड, 20 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
दिव्यांगों की सेवा करना दैवीय कार्य है. शायद भगवान ने हम सभी को सुंदर और स्वस्थ इसलिए बनाया है ताकि हम उन लोगों की सेवा कर सकें जिनमें कुछ कमी है. हमें समाज में जरूरतमंदों को कुछ देना है. दान और कृतज्ञता की भावना से निःस्वार्थ सेवा करनी चाहिए. दीपस्तंभ फाउंडेशन (जलगांव) के संस्थापक यजुर्वेंद्र महाजन ने कहा कि दिव्यांग बच्चे और उन्हें आकार देने के लिए काम करने वाले हाथ विपरीत परिस्थितियों में भी जिद्दी होकर जीने की उम्मीद देते हैं. वे लायंस क्लब इंटरनेशनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे.
 
इस दौरान दिव्यांगों के लिए काम करने वाले शिक्षकों के लिए एक मनोरंजक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसमें पुणे जिले के 60 दिव्यांग संस्थानों के 200 शिक्षकों ने तिलक रोड पर स्थित न्यू इंग्लिश स्कूल के गणेश हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में भाग लिया. इस गतिविधि में 34 लायंस क्लब भी शामिल हुए. कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत आठ शिक्षकों को सम्मानित किया गया. दिव्यांगों के 60 संगठनों को एक-एक सतरंजी भेंट दी गई. प्रत्येक शिक्षक को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में लायंस क्लब के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय भंडारी, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश शाह और शरदचंद्र पाटणकर, साथ में चंद्रहास शेट्टी, चन्द्रशेखर शेठ, शाम खंडेलवाल, राजेंद्र गोयल, सुवर्णा दोषी, किशोर मोहोलकर, दीपिका खिंवसरा, माधुरी पंडित, ऋजुता पितले, दीप्ति शाह, सतीश राजहंस, प्राजक्ता माने, सीमा पारेख, शमा गोयल, ज्योति भंडारी, राजश्री शाह, महेंद्र गादिया, कल्पेश पटनी, नीलेश माने आदि उपस्थित थे. रमेश शाह ने कार्यक्रम की जानकारी दी.
 
रवीन्द्र जोशी एवं हर्षदा वालके ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. परियोजना प्रमुख सीमा दाबके ने स्वागत एवं परिचय दिया. संचालन सुजाता शाह ने किया. राजीव निगड़ीकर ने आभार व्यक्त किया. वैशाली आचार्य एवं विद्यार्थियों ने गणेश वंदना प्रस्तुत की. बालकृष्ण नेहरकर ने कार्यक्रम में मनोरंजक खेलों का आयोजन किया.
 
शिक्षकों का कार्य सराहनीय : विजय भंडारी
विजय भंडारी ने कहा कि यह कार्यक्रम इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि सेवा कार्य कैसे होने चाहिए. शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को अपने बच्चों की तरह पालने वाले शिक्षकों का सम्मान करते समय कृतज्ञता की भावना है. आप सभी ने दिव्यांगों को पढ़ाने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया है. आपका योगदान उन्हें मुख्यधारा में आने और सामान्य लोगों की तरह अपना जीवन जीने में मदद कर रहा है.