चातुर्मासिक पर्व की आराधना में सभी जीवों से सामूहिक क्षमापना

    28-Nov-2023
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गुरुवार पेठ, 27 नवंबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
श्री गोडी चिंतामणि पोर्शनाथ जैन संघ, पंन्यास राजरक्षितविजयजी, पंन्यास नयरक्षितविजयजी आदि साधु-साध्वीजी भगवंत की पावन निश्रा में चातुर्मासिक पर्व की आराधना के लिए बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए. पौषध-देववंदन-चातुर्मास प्रतिक्रमण में सभी जीवों के साथ क्षमापना की. श्री तत्वार्थसूत्र कारिका ग्रंथ का समापन करते हुए पं.राजरक्षितविजयजी ने कहा कि इस ग्रंथ की रचना भगवान उमास्वती महाराज ने 1720 वर्ष पूर्व पाटलि पुत्र (पटना) में की थी. सूरीपुरंदर 1444 के लेखक आ. हरिभद्रसूरिजी ने उस पुस्तक पर टिप्पणी की ताकि सामान्य लोक उसे समझ सकें. शेतांबर-दिगंबर, स्थानकवासी, तेरापंथी चार संप्रदाय इस ग्रंथ को स्वीकार करते हैं. यह ग्रंथ सागर में डूबती हुई आत्माओं के लिए प्रकाश स्तम्भ के समान है. मनुष्य से महान मनुष्य बनने की मुख्य कुंजी इसी पुस्तक में है. संक्षेप में, यदि हम इस पुस्तक को एक पंक्ति में सारांशित करना चाहते हैं, शरीर से आत्मा तक, आलोक से परलोक तक और स्वार्थ से परोपकार, इस ग्रंथ का सारांश है. 28 नवंबर सिद्धांत दिवाकर, गीतार्थ श्री जयघोषसूरेीशरजी महाराजा की चतुर्थ पुण्य तिथि के अवसर पर सुबह 9 बजे गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया है.