कृष्णकुमार गोयल
सिर्फ भवन निर्माण में ही नहीं, समाज के लिए विशेष योगदान, उदारता, मिलनसारिता और व्यहार के कारण ही कृष्णकुमार गोयल सच्चे अर्थो में समाज के ‘कोहिनूर' हैं. भवन निर्माण क्षेत्र में एक अलग पहचान एक वेिशसनीय नाम ‘कोहिनूर ग्रुप' के सर्वेसर्वा एम. डी. प्रसिद्ध उद्योगपति आदर्श समाजसेवी कृष्णकुमार गोयल ने 27 नवंबर को 71 वें वर्ष में प्रवेश किया लेकिन उम्र के इस पड़ाव में भी वे इतने अधिक उर्जावान और विचारशीलता से भरपूर हैं कि युवा पीढ़ी के आईकॉन बन गए हैं.
समाज में कुछ व्यक्तित्व एकदम अलग होते हैं, इनके कृतित्व में पुरुषार्थ होता है, कार्य में जिद, एक ध्येय, प्रेरणा, लगन, सेवा समर्पण और सहनशीलता होती है. कहा जाता है कि गुणों से व्यक्ति सफल होता है किंतु विनय और विवेक साथ है तो वह शिखर छू जाता है.
कृष्णकुमार गोयल अपने कृतित्व के कारण ही सफलता का शिखर छू रहे हैं. माता-पिता की सीख ‘हार के बाद ही जीत है' को जीवन में उतारा कृष्णकुमार गोयल को माता-पिता से एक ही सीख मिली कि छोटी-छोटी हार से कभी डरना नहीं. जिंदगी में बड़ी जीत हासिल करना है तो छोटी-छोटी हार से कभी मत घबराना. माता-पिता की यही सीख उनका हौसला बढ़ाती रही और वह लगातार तरक्की करते गए. माता-पिता की सीख में उन्होंने हर कार्य सेवाभाव से किया.
आदर और समानता का व्यवहार किया तथा विश्वास ही सबसे बड़ी पूंजी है, इन बातों का जीवन में अक्षरशः पालन किया और उन्होंने हर शब्द को प्रेरणा समझकर हर कार्य को पूरा करने का संकल्प लेकर उसे जीवन का प्रथम लक्ष्य बना लिया. किराना दुकान से सीमेंट, हार्डवेअर के व्यवसाय से अपने करियर का श्री गणेश किया. सन 1983 में कोहिनूर सीमेंट ट्रेडिंग डिवीजन की शुरुआत ने उनकी सफलता की उड़ान में मानो पंख लगा दिए. कोहिनूर कंस्ट्रक्शन ने पुणे के साथ ही महाराष्ट्र में भवन निर्माण के लिए एक अलग पहचान बनाई. 1983 से 2023 तक के सफर में 8000 से भी ज्यादा घरों का लोगों का सपना पूर्ण किया और किशन से कृष्णकुमार त्रबनने का उनका सफर समस्त युवा पीढ़ी के लिए एक आयकॉन बनकर उभरा.
कृष्णकुमार गोयल वित्तीय संस्था, शैक्षणिक संस्था, कलाक्षेत्र, सामाजिक संस्था, सांस्कृतिक संस्थाओं में सीधे तौर पर जुड़े हैं. इसके साथ ही कॉसमॉस बैंक के अध्यक्ष पद पर वे विराजित रहे. सांस्कृतिक क्षेत्र में अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद, पुणे फेस्टिवल जैसी संस्थाओं में भी वह महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं. सामाजिक क्षेत्र में अग्रवाल समाज की शीर्ष संस्था अग्रवाल समाज फेडरेशन के वे अध्यक्ष भी हैं. समाज में एकता, भाईचारा, संस्कार और संस्कृति को बढ़ावा मिले इस उद्देश्य से उन्होंने अग्रवाल समाज फेडरेशन से युवाओं को जोड़ा. इस फेडरेशन में युवा समिति, महिला समिति, चिकित्सा समिति, शिक्षा समिति जैसी कई समितियां गठित कर उनके माध्यम से कई समाजोपयोगी कार्य किए. कोविड काल में भी उन्होंने दिल खोलकर मानवता की सेवा की. शहर की कई प्रसिद्ध संस्थाओं ने ‘पुण्य भूषण', अग्रभूषण, समाज भूषण' तथा ‘उद्योग रत्न' सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया है.
बचपन से ही मेधावी रहे
27 नवंबर 1952 को हरियाणा के पाढा गांव में किशोरीलाल एवं चंद्रकला के घर एक होनहार बालक का जन्म हुआ. माता-पिता ने नाम रखा किशन. इसके बाद सन् 1954 में दो वर्ष की उम्र में अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ ‘किशन' ने महाराष्ट्र की सांस्कृतिक नगरी पुणे के बोपोड़ी की जमीं पर अपना पैर रखा. माता-पिता के स्नेह और संस्कारों का इन पर गहरा असर था. कहते हैं ना कि पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते हैं. इनके साथ भी ऐसा ही कुछ था. पढ़ाई में वे हमेशा अव्वल रहते थे, उनकी छवि एक मेधावी विद्यार्थी की थी. उन्होंने पढ़ाई के साथ पिता के किराना व्यवसाय में भी हाथ बंटाया.