पुणे, 27 नवंबर (आ.प्र.)
देश में निरक्षरता एक बड़ी सामाजिक समस्या है और इसके पूर्ण उन्मूलन के लिए सभी सामाजिक समूहों को सरकार और प्रशासन के प्रयासों का समर्थन करना चाहिए. उसी के तहत ‘नवभारत साक्षरता कार्यक्रम' में निरक्षर और स्वयंसेवक नजदीकी स्कूल में अपना रजिस्ट्रेशन करें. ऐसी अपील शिक्षा निदेशक (योजना) डॉ. महेश पालकर ने की है. इस वर्ष वेिश साक्षरता दिवस पर 8 सितंबर से राज्य में नवभारत साक्षरता कार्यक्रम शुरू हुआ. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों में अनुशंसित है 2030 तक 100 प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य हासिल किया जाना है. 2011 की जनगणना से पता चला है कि महाराष्ट्र में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के 1 करोड़ 63 लाख निरक्षर व्यक्ति हैं.
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम अप्रैल 2022 से केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की मदद से शुरू किया गया है. इसके लिए ‘उल्लास' ऐप बनाया गया है और इसमें निरक्षर व्यक्तियों, स्वयंसेवकों और सर्वेक्षणकर्ताओं के पंजीकरण की सुविधा प्रदान की गई है. राज्य के लिए पिछले और वर्तमान वर्षों का संयुक्त लक्ष्य 12 लाख 40 हजार है. आजादी के बाद देश में कुल 9 साक्षरता अभियान चलाए गए. भारत में राष्ट्रीय वयस्क शिक्षा कार्यक्रम की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 1978 को की गई और इसका कार्यान्वयन 1979 में शुरू हुआ. इसके अलावा, 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में निरक्षर वयस्कों की संख्या 25 करोड़ 78 लाख थी. आज भी देश में 18 करोड़ लोग निरक्षर हैं.