कई चुनौतियों को मात करके कानून क्षेत्र में नाम कमाया

भोसले लॉ क्लासेस की निदेशक जान्हवी भोसले ने साक्षात्कार में अपने सफर की जानकारी दी

    05-Nov-2023
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bhosle 
 
   
जान्हवी भोसले
भोसले लॉ क्लासेस, 250, ए/1,
शनिवार पेठ, गौरी अपार्टमेंट, पुणे 30.
फोन : 8600194914
थशलीळींश : bhosalelawclasses.org
 
कानून क्षेत्र में महिलाओं की संख्या तुलना में कम दिखती है. कानून को समझना भी आवश्यक होता है. पुणे में एड जान्हवी संजय भोसले, ‘लॉ क्लासेस' द्वारा पिछले बारह सालों से लॉ की क्लासेस ले रही हैं. इसके साथ वह वकीली भी करती हैं और सामाजिक संस्थाओं को सलाह भी देती हैं. लॉ की क्लासेस लेने वाली वह राज्य में एकमात्र महिला हैं. दैनिक आज का आनंद के संपादक द्वारा लिये हुए साक्षात्कार के कुछ अंश....
 
 
प्रश्न : अपने बारे में थोड़ी जानकारी दीजिए?
 
जान्हवी भोसले : मैं पुणे की हुं. नतून मराठी स्कूल और अहिल्यादेवी हाईस्कूल में मैंने स्कूली शिक्षा प्राप्त की. बाद में नासिक के आरवाईके कॉलेज में मैं सायंस की छात्रा थी. बारहवीं में मैं पुणे के स.प.महाविद्यालय में आई और बाद में मराठवाड़ा लॉ कॉलेज में प्रवेश लिया. यहां पहले साल से मैंने घर में क्लासेस शुरु किये. मेरे कुछ सहपाठियों के फेल होने की वजह से उन्हें सिखाने के उद्देश्य से यह क्लासेस शुरु हुए. इसमें मेरे सीनियर और बॅकलॉग वाले लड़के भी आने लगे. साधारण 2007 वर्ष में यह शुरु हुआ. लेकिन वकीली की प्रैक्टिस करने के लिए कोई क्लासेस नहीं है, ऐसा पिता द्वारा बताये जाने की वजह से मैंने लीगल रिसर्च के क्लास में प्रवेश लिया. बाद में मैं कुछ वकीलों को सिखाती थी. सर्वोच्च न्यायालय की जजमेंट कैसे तलाशें, कैसे पढ़ें, यह मैं सिखाती थी. मेरा काम देखकर एड मुर्तजा चेरावाला वकील ने मुझे अपने यहां जूनिअर के रुप में काम करने के लिए ले लिया, उस वक्त मैं दूसरे साल में पढ़ रही थी. लॉ का बारहवीं के बाद पांच साल का कोर्स होता है. एड मुर्तजा के यहां दो साल काम किया. लेकिन तब भी मैं सुबह 6 से 8 तक क्लास लेती थी और सुबह 9 से रात 9 क्लास ले लेती. फाइनल ईयर में मैंने नौकरी छोड़ दी. अब मैं एलएलबी, एलएलएम की डिग्री होल्डर हूं.
 
प्रश्न : डिग्री लेने के बाद आपने क्या किया?
 
जान्हवी भोसले : पूरा समय क्लासेस लेने का विचार किया. 2021 में शनिवारवाड़ा के सामने जगह ली, तब यहां 30-35 छात्र थे. लेकिन यह जगह रेडलाइट एरिया में होने की अफवाह फैलने से मेरे यहां सिर्फ पांच छात्र ही रहे.
 
प्रश्न : फिर इस चुनौती का हल कैसे निकाला?
 
जान्हवी भोसले : क्लास शुरु करने के लिये मैंने उस जगह पर कर्ज लिया था. उस कारण मैं कुछ टेंशन में थी. लेकिन मैंने जिन पांच लड़कों को सिखाया था. वे सभी पास हो गए. यह जानकारी मिलने पर अन्य लड़के भी आने लगे और मेरे छात्रों की संख्या 60 पर पहुंच गई. अब मैंने क्लासेस का काम कम कर दिया है. फिर भी 2019 में 350 लड़के थे. 2020 में कोरोना महामारी का झटका लगने से मैंने लॉ सीईटी शुरु की. पहले उसे कम रेस्पांस था. लेकिन 2022 में सौ प्रतिशत रिजल्ट लगने से तस्बीर बदल गयी और छात्रों की संख्या बढ़ गई.
 
प्रश्न - आप ने पहले वकिली क्यों नहीं की?
 
जान्हवी भोसले : हम एकाध केस की तैयारी करके जाएं, तो कभी सामने वाले का वकील नहीं आया होता था. तो कभी न्यायाधीश नहीं आते थे. यह मुझे पसंद नहीं था. लेकिन मुझे पहले से ही सिखाना पसंद है. मेरी नानी (मेरे मां की मां) महापालिका के स्कूल में 38 साल संचालिका थी. वही बाते मुझ में आई है. मैं स्कूल में थी, तब मेरी सहपाठियों को सिखाती थी और वही मेरी स्टड़ी रहती थी. प्रश्न : पुणे में कितने लॉ क्लासेस हैं? जान्हवी भोसले : इस वक्त चार क्लासेस हैं. उसमें मेरा एक है. पहले मैं सुबह 7.30 से रात 9 के समय में क्लासेस ले लेती थी. लेकिन अब मैंने वकिली भी शुरु कर दी हैं. इसकी वजह से सिर्फ शाम 5 ते रात 9 के समय में ही सिखाती हूं.
 
प्रश्न : क्लासेस के अनुभव के बारे में क्या बताएंगे?
 
जान्हवी भोसले : युवा उम्र में क्लास शुरु करने की वजह से पहले स्टूडेंटस्‌‍ मुझे गंभीरता से नहीं लेते थे. लेकिन मेरे पहले लेक्चर के बाद उन्हें समझ में आने लगा और उनका मेरे प्रति आदर बढ़ गया. क्लास चलाना यह पूरे समय की जिम्मेदारी होने से आपका वहां होना जरुरी होता है. मुझे घर और क्लासेस की कसरत करनी पड़ती है और पिछले 12 सालों से मैं यह कर रही हूं. अपने बच्चें को मैं समय नहीं दे सकती. इसका मुझे बहुत खेद है. मुझे मेरे मां की बहुत मदद मिळती है.
 
प्रश्न : लॉ का कोर्स कितने साल का रहता है?
 
जान्हवी भोसले : 12 वीं के बाद पांच साल. इन पांच सालों में 48 विषय रहते हैं और हर महीने परीक्षा रहती है.
 
प्रश्न : लॉ में आपके पसंदीदा विषय कौन से?
 
जान्हवी भोसले : परिवार कायदा (फैमिली लॉ), अपराध कायदा (क्रिमिनल लॉ) और संविधान. प्रश्न : वकिली शुरु करने का क्या कारण है? जान्हवी भोसले : कोरोना की वजह से मैं वकिली करने लगी. मैं खासकर परिवारिक और क्राईम मामले ही लेती हूं. इसमें मुझे मेरी क्लास से सीखकर गये छात्र भी बहुत मदद करते हैं. फास्ट लाइफ की वजह से आजकल तलाक के मामले बढ़ गये हैं. दोनों तरफ संयम नहीं है और इसकी वजह से मामले तलाक तक पहुँच जाते हैं.
 
प्रश्न : आप अन्य कौन सी जिम्मेदारियां संभाल रही हैं?
 
जान्हवी भोसले : मेरी क्लासेस की वजह से फरवरी 2023 में मेरी वाराणसी में पॉक्सो एक्सपर्ट के रुप में नियुक्ति हुई. महेंद्र एंड महेंद्र और कोका कोला की प्रायोजित से वहां नन्ही कली यह पहल शुरु हुई है. उसमें तीस बच्चियों के लिए ऐसे 210 आब्जरवर की नियुक्ति की गयी है. उन्हें मैंने ट्रेनिंग दिया. छोटे बच्चें पर हुए लैंगिक अत्याचारों के बारे में बता नहीं सकते. उन्हें कैसे बताया कैसे जाए? कानून में इस संदर्भ में क्या प्रावधान है. इसकी जानकारी मैंने उन्हें दी. पुणे के यशदा संस्थान में विशाखा समिति मामले में (काम की जगह लैंगिक अत्याचार से संरक्षण के लिए) क्लास-1 अधिकारियों को मैं शिक्षा देती हूं. हर एक अधिकारी के लिए 42 दिन में प्रशिक्षण अनिवार्य है. इसमें मैं विशाखा समिति विषय सिखाती हूं. पुलिस को मानवी अधिकारों के बारे में सिखाती हूं और अखिल भारतीय स्तर पर सीजीएसटी, वैसे जीएसटी अधिकारियों को भी मैं यही सिखाती हूं. यह प्रशिक्षण खंडाला में रहता है. रेडलाइट एरिया में मैं लीगल एडवाइजर के तौर पर काम करती हूं. यहां काम करने वाले एनजीओ को मैं कायदे के मामले में सलाह देती हूं. इससे पहले पर्वती परिसर के यशवंतराव चव्हाण कॉलेज और गणेशखिंड के मॉडर्न कॉलेज में मैं बौद्धिक संपदा (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) विषय पर पढ़ाती हूं.
 
प्रश्न : क्या आप इस क्षेत्र के अपने कुछ अनुभव बताएंगी?
 
जान्हवी भोसले : एक अच्छा अनुभव यानी, एक दम्पत्ति के 14 साल पुराने तलाक का केस मेरी तरफ ट्रांसफर पिटीशन से आया. यह दम्पत्ति सिर्फ एक साल साथ रहे, उन में विवाद नहीं था, लेकिन परिवार के लोगों में था. केस बड़ी थी. मैंने दोनों की काऊंसिलिंग की, उन्हें तीन महीने के लिए एकसाथ रहने के तैयार किया. बाद में वे हमेशा एकसाथ रहने के लिए तैयार हो गए. अन्य एक मामले में एक महिला को वकील ने उसे मुआवजा मिलने नहीं दी थी. मैंने उसकी केस लेते ही मुझे ऑफर आये, पर मैंने ध्यान नहीं दिया. उस महिला को मैंने आठ हजार रुपए मुआवजा और रहने के लिए घर दिलवाया. इस तरह मैंने शराबी पति से महिला को संरक्षण मिलाकर दिया और पति अब जेल में है. ऐसे अनेक यादें बता सकती हूं. हमारे सीईटी बैच का एक लड़का बाराहवीं में फेल हुआ. लेकिन, सीईटी में उसका स्कोर अच्छा था. पूर्व परीक्षा में पास हुआ. पर बोर्ड का परिणाम देर में घोषित होने से सीईटी सेल के एडमिशन खत्म हो गए. ऐसे 1 लाख 80 हजार बच्चे थे. उनके लिए हमने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके युक्तिवाद किया. उसके बाद दो दिनों में सरकार ने प्रवेश प्रक्रिया शुरु करके सभी को ॲडमिशन दे दिया.
 
प्रश्न : गरीब बच्चों के लिए मुफ्त में शिक्षा
 
जान्हवी भोसले : क्लास में आने वाले गरीब बच्चों से फीस न लेने का नियम एड. जान्हवी भोसले ने पिछले 12 सालों से लगातार किया है. हर वर्ष ऐसे 20-25 बच्चों को वे मुफ्त सिखाती हैं. प्रैक्टिस शुरु करने के बाद यह बच्चे उन्हें मिलकर कुछ तो देकर जाते है. इससे समाधान मिलता है.